देहरादून: जनपद स्थित राजपुर रोड मंथन सभागार में उत्तराखण्ड वन विभाग एवं उत्तराखण्ड राज्य मानवाधिकार आयोग के तत्वाधान में आयोग के अध्यक्ष मा0 न्यायमूर्ति विजेन्द्र जैन की अध्यक्षता में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें मा0 दिनेश अग्रवाल कानून, वन एवं पर्यावरण मंत्री उत्तराखण्ड सरकार मुख्य अतिथि उपस्थित थे।कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए मा0 मंत्री ने कि मानवाधिकार आयोग तथा वन विभाग मानव तथा वन्यजीवों के अधिकारों के सम्बन्ध में एक दूसरे के पूरक है क्योंकि मानवधिकार सीधे पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़ा विषय है। उन्होने कहा कि वर्तमान समय में न्यायपालिका पर कार्यो का बहुत भार होने के कारण लोक अदालत तथा मोबाइल अदालत जैसी न्यायिक अवधारणा चलन में आयी । इन लोक अदालतों के माध्यम से एक ओर जहां न्याय पालिका पर अनावश्यक मुकदमों का बोझ नही पड़ता वहीं दुसरी लोगों को घर के पास ही त्वरित, आपसी सुलह एवं बिना परेशानी के सस्ता न्याय प्राप्त होता है।
इस अवसर पर मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष मा न्यायमूर्ति विजेन्द्र जैन ने कहा कि मानवाधिकार पर्यावरण पर निर्भर है, पर्यावरण वनों से सुरक्षित है तथा वन, वन विभाग से सुरक्षित है। इस प्रकार मानवाधिकार एवं वन विभाग के बीच मानवाधिकार को लेकर अभिन्न सम्बन्ध है। उन्होने कहा कि एक व्यक्ति के अधिकार वहां समाप्त हो जाते है जहां दूसरे व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन होता है। उन्होने अन्तराष्ट्रीय मानवधिकार की धारा 10 का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि फेयर इन्वेस्टिगेशन नही है तो वहां पर फेयर ट्रायल की सम्भावना नही होती। उन्होने कहा कि सरकारी अधिकारी/कर्मचारी को अधिक संवेदनशील बनने की आवश्यकता है। जिसके तहत यदि कोई आम जन आपके पास आता है तो उसकी बात ठीक से सुने तथा हमेशा समस्या के समाधान का हिस्सा बने।
इस अवसर पर राज्य मानवाधिकार आयोग की सदस्या डाॅ हेमलता ढौंडियाल ने कहा कि इस कार्यशाला के आयोजन का उद्देश्य यह है कि मानवाधिकार को लेकर लोगों के क्या विचार है तथा विभागीय अधिकारी इसको किस प्रकार लेते है। उन्होने कहा कि गठन के समय से लेकर उत्तराखण्ड मानवाधिकार आयोग में 2093 परिवाद पंजीकृत हुए थे जिसमें से 1666 का निस्तारण किया जा चुका है तथा शेष पर शिकायतें विचाराधीन है। उन्होने कहा कि कोई भी व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से सीधे कार्यालय, ई-मेल, डाक इत्यादि द्वारा मानवाधिकार के सम्बन्ध में शिकायत कर सकता है। आयोग उस पर सम्पूर्ण निगरानी के साथ निःशुल्क कार्यवाही करता है।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड मानवाधिकार आयोग के सदस्य न्याायमूर्ति राजेश टण्डन तथा निबन्धक सुनील कुमार गुप्ता, प्रमुख वन संरक्षक बीना सेखरी, अपर मुख्य वन संरक्षक श्री जयराज सहित वन विभाग एवं मानवाधिकार आयोग के अधिकारी/कर्मचारी सहित सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।
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