देहरादून: गौरीकुंड से केदारनाथ तक पैदल यात्रा करने वाले विकलांगजनों के दल को मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बुद्धवार को बीजापुर गेस्ट हाउस से हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। मुख्यमंत्री ने यात्रा पर जाने वाले विकलांगजनों के साहस की प्रशंसा करते हुए कहा कि यही उत्तराखण्ड का असली जज्बा है।
उन्होंने कहा कि कृत्रिम पैरों से यात्रा कर रहे विकलांगजन दुनिया को संदेश दे रहे हैं कि जब हम जा सकते हैं तो और लोग क्यों नहीं। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि इन लोगों को यात्रा पर रवाना करना मेरे लिए बहुत ही सुखद अहसास है।
इस दौरान चार धाम यात्रा मार्गों की व्यवस्थाओं के सम्बन्ध में बोलते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि यात्रा को सुचारू बनाने के लिए हमारे बहुत से लोगों ने दिन-‘रात काम किया है। गिरते हुए बोल्डरों के बीच रास्ता बनाया है। भारी मात्रा में हुई बर्फबारी के कारण बंद हुए मार्गों को खोला है। मुख्यमंत्री ने आंतरिक पर्यटन को भी बढ़ावा देने के बारे में कहा कि राज्य के एक हिस्से के निवासी दूसरे हिस्सों में जाएं। उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्य में प्राकृतिक अवरोध आते रहते हैं। सिरोबगड़ व लामबगड़ में पहले भी लगभग 500 बार यात्रा बाधित हुई है। उन्होंने कहा कि रास्ते बंद होते हैं, देखने वाली बात यह है कि बंद रास्तों को जल्द से जल्द खोलने के लिए क्या व्यवस्थाएं हैं। सीएम ने कहा कि चारधाम यात्रा पूरी तरह सुरक्षित है। लोग बिना किसी दुविधा के आ सकते हैं।
नौटियाल कृत्रिम अंग केंद्र के बैनर तले यात्रा करने वाले इस दल में सात विकलांगजन शामिल हैं। दल में शामिल राजेन्द्र तंवर एवं जीसी गुरूंग ने कारगिल युद्ध में भारत की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी, जबकि यात्रा पर दल के साथ जाने वाले राकेशलाल ने 2013 में आई भीषण आपदा में अपना पैंर गंवा दिया था। इसके अतिरिक्त दल में सुरजन सिंह, लक्ष्मी प्रसाद बहुगुणा, दिनेश विज्लवाण तथा धीरेन्द्र सिंह भी विकलांग हैं, जिनके द्वारा कृत्रिम पैरों से यात्रा की जायेगी। इसके साथ ही दल में नौटियाल कृत्रिम अंग केन्द्र के वी.के.नौटियाल व विजय कुमार नौटियाल सहित अन्य लोग शामिल हैं।
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