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उत्तराखण्ड स्टेट गंगा रिजर्व कन्जरवेशन अथाॅरिटी की अध्यक्षता करते हुए: मुख्यमंत्री

उत्तराखंड
देहरादून: उत्तराखण्ड स्टेट गंगा रिजर्व कन्जरवेशन अथाॅरिटी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि गंगा में किसी भी नाले को सीधे न छोड़ा जाय। हरिद्वार शहर के सभी बड़े नालों का ट्रीटमेंट करने के बाद गंगा में छोड़ा जाय। साथ ही ऐसी कार्ययोजना बनायी जाय कि कैनाल आधारित पाइपलाइन से ऐसे नालों को शहर के बाहर निकाला जाय। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देश दिये कि प्रदेश में वाटर बोनस के लिए शीघ्र प्रस्ताव लाया जाय।

इसके साथ ही प्रदेश की अपनी जल नीति तैयार की जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि नमामि गंगे के तहत भारत सरकार को भेजी गई योजनाओं की स्वीकृति के लिए केन्द्र स्तर पर प्रभावी पहल की जाय। उन्होंने कहा कि योजनाओं के प्रस्ताव स्थानीय आवश्यकता को देखते हुए बनायी जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि अर्द्धकुम्भ मेले को देखते हुए ऋषिकेश व हरिद्वार शहर में विशेष ड्रेनज प्लान तैयार किया जाय। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देश दिये कि त्रिवेणीघाट सीवरेज योजना के लिए 4 करोड़ रुपये धनराशि शीघ्र स्वीकृत की जाय। इसी के तहत हरिद्वार शहर में अर्द्धकुम्भ मेले की आवश्यकता के दृष्टिगत जो भी धनराशि आवश्यक हो, उसके भी प्रस्ताव भेजे जाय। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि भारत सरकार की नमामि गंगे और स्वच्छ भारत योजना के मानकों के अनुसार प्राथमिकता पर प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये। ऋषिकेश में बनने वाले रिवर फं्रट डेवलपमेंट योजना की डी.पी.आर. फिर से बनाने व सिंचाई विभाग से समन्वय किया जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि वाटर पाल्यूशन को कम करने के लिए अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जाय। इसके लिए जैव उपचार तकनीक को माॅडल के रूप में अपनाया जाय। इस तकनीक के तहत नालियों व बडे नालों के पानी को प्राकृतिक तरीके से शुद्ध किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने नाराजगी व्यक्त की कि पेयजल, पर्यटन विकास बोर्ड तथा शहरी विकास विभागों को डी.पी.आर. बनाने के लिए धनराशि दे दी गई थी, लेकिन अभी तक डी.पी.आर. तैयार नही की गई है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कार्य प्रकृति ठीक नही है।
मुख्यमंत्री ने प्रबंध निदेशक सिडकुल को निर्देश दिये कि काशीपुर, हरिद्वार सहित अन्य सिडकुल क्षेत्रों में भी स्वच्छता अभियान संचालित किया जाय। इसके लिए सिडकुल क्षेत्र के उद्यमियों से समन्वय स्थापित करते हुए योजनाएं तैयार की जाय। उन्होंने प्राधिकरण के अधिकारियों को निर्देश दिये कि जल संचय के संबंध में अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार किया जाय। इसके लिए बच्चों के बीच में विभिन्न प्रतियोगितात्मक कार्यक्रम भी किये जाय।
बैठक में शहरी विकास मंत्री प्रीतम सिंह, मुख्य सचिव एन.रविशंकर, अपर मुख्य सचिव एस.राजू, प्रमुख सचिव वन डाॅ. रणबीर सिंह, सचिव पर्यटन डाॅ. उमाकांत पंवार, प्रबंध निदेशक सिडकुल आर.राजेश कुमार, अपर सचिव पेयजल सौजन्या आदि उपस्थित थे।

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