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प्रदेश में बेमौसम की बारिश व ओलावृष्टि से किसानों को हुए व्यापक नुकसान की समीक्षा करते हुए हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत

उत्तराखंड
देहरादून: प्रदेश में बेमौसम की बारिश व ओलावृष्टि से किसानों को हुए व्यापक नुकसान को देखते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किसानों से 6 माह की राजस्व व सिंचाई वसूली, सहकारी ऋणों पर ब्याज व बिजली सरचार्ज माफ करने के निर्देश दिए हैं। किसानों से 1 अप्रैल से 30 सितम्बर तक की उपरोक्त सभी वसूलियां माफ करने के निर्देश दिए गए हैं।

सहकारी ऋणों पर ब्याज व बिजली सरचार्ज  की भरपाई राज्य सरकार द्वारा की जाएगी। साथ ही केंद्र सरकार को भी पत्र लिखकर किसानों पर केंद्र सरकार की संस्थाओं व वाणिज्यिक बैंकों के बकाया की वसूली को भी स्थगित करने का अनुरोध किया जाएगा।
बुधवार को बीजापुर में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में किसानों को हुए नुकसान की समीक्षा की गई। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि किसानों को हुए नुकसान का आंकलन पूरी गम्भीरता से किया जाए और इसमें प्रदेशभर के किसानों को हुए वास्तविक नुकसान को शामिल किया जाए। मार्च में हुए नुकसान के साथ ही पिछले दो-तीन दिनों में बारीश से हुए नुकसान को भी शामिल किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों से स्थानीय काश्तकारों से मिल रहे फीडबैक के अनुसार पिछले दो-तीन दिनों की बारिश से फसलों को बहुत क्षति हुई है। जहां खेतों में खड़ी फसलें व फलदार पेड़ों की बौर चैपट हो गई हैं वहीं अब अदरक सहित अन्य पौध भी नहीं बोई जा सकती है। किसानों को इससे भी नुकसान हुआ है। कृषि व हाॅर्टीकल्चर के अधिकारियों को वैकल्पिक प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए कि किसानों व काश्तकारों को मदद पहुंचाने के लिए सरकार क्या कदम उठा सकती है।
 मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों को पौधरोपण की तैयारियों में अभी से जुट जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वन विभाग की कार्यप्रणाली में तेजी लाए जाने की आवश्यकता है। 14 वें विŸा आयोग में वृक्षारोपण के लिए केंद्रीय सहायता समाप्त होने की बात कहे जाने पर मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि अगस्त माह तक का प्रोजेक्शन प्रस्तुत करें। आवश्यक धनराशि राज्य योजना या अन्य स्त्रोत से उपलब्ध करवाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूकेलिप्टस के ऐसे पेड़, जो कि निर्धारित आयुसीमा को पार कर गए हैं और जो खराब हो गए हों या जिनसे नुकसान सम्भावित हो, को काटने के लिए आवश्यक औपचारिकताएं पूरा करने में तेजी लाई जाए। प्रदेश में वन विभाग की 40 डिवीजनों में चिन्हित स्थानों में  छोटे-छोटे जलाशय विकसित किए जाएं। वहां चीड़ के पेड़ों को चैड़ी पŸिायों के पेड़ों से प्रतिस्थापित किया जाएं। चीड़ से हमारे जंगलों की जैव विविधता समाप्त हो रही है और खाद्य-श्रंृखला टूटने से जंगली हिंसक जानवर गांवों व शहरों में घुस रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग को इनोवेटिव होने की जरूरत है। इको पर्यटन की योजना के समान ही अन्य नई योजनाएं बनाएं जिससे वन विभाग की आय भी बढ़े और स्थानीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो। बैठक में कृषि मंत्री डा.हरक सिंह रावत, वन मंत्री दिनेश अग्रवाल, मुख्य सचिव एन रविशंकर, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव कृषि एस रामास्वामी, प्रमुख सचिव वन डा.रणवीर सिंह, प्रभारी सचिव हाॅर्टीकल्चर निधि पाण्डे सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

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