देहरादून: प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री उत्तराखण्ड सरकार सुरेन्द्र सिंह नेगी ने आज विधान सभा स्थित अपने कक्ष में मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में कोटद्वार विधान सभा क्षेत्र के अन्तर्गत कण्र्वाश्रम को प्रर्यटन क्षेत्र एवं डियर पार्क को विकसित करने के सम्बन्ध में वन विभाग, सिचाई विभाग एवं पर्यटन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की।
बैठक में उन्होंने अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि महऋषि कण्व की तपस्थली के में रूप सुविख्यात मालन नदी के किनारे स्थित कण्व आश्रम जनपद पौड़ी गढवाल का रमणीय स्थल है। नदी में वहते जल व ऊंचे-2 पेड़ों के मध्य इस स्थल की प्राकृतिक छटा अत्यन्त मनोहारी प्रतीत होती है। यह स्थान चक्रवर्ती सम्राट भरत की जन्म स्थली के रूप में विख्यात है। भरत की प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा महऋषि कण्व के आश्रम में सम्पन्न हुई। उन्होंने बताया कि यह स्थल राजा जी राष्ट्रीय अभ्यारण के निकट स्थित होने के कारण यहाॅ पर वन्यजीव प्रचुर मात्रा मेें पाये जाते है। तथा देश विदेश के दुर्लभ जाति के पक्षि भी यहाॅ विचरने आते है। यहाॅ का शान्त वातावरण ध्यान(मेडिटेशन) योगियों हेतु अत्यन्त उपयुक्त है। तथा अत्यन्त देव दुर्लभ जड़ी-बूटियाॅं भी इस स्थान पर पायी जाती हैं। मुख्यमंत्री द्वारा इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निश्चय किया है।
उन्होंने कहा कि उक्त स्थल पर मा0 मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप इन्टरी पिटेशन सेन्टर का निर्माण तथा व्यू प्वाईट का निर्माण होना है इसके साथ ही कोटद्वार से कण्वाश्रम तक रेट्रोरिफ्लेक्टिव का कार्य तथा पर्यटन आवास गृह का उच्चीकरण तथा सुदृढ़ीकरण भी किया जाय। परिसर में लैण्ड स्केपिंग का कार्य तथा परिसर में चिल्ड्रन पार्क भी कराया जायेगा। उन्होंने पर्यटन से जुडे अधिकारियों से इसमें पहुचने वाले मार्ग का सुदृढ़ीकरण एवं टायलेट ब्लाक का निर्माण कराने के निर्देश भी दिये है।
अधिकारियों ने बैठक में उक्त कार्यों के सम्पादन हेतु 65.72 लाख रू0 का आगणन उत्तराखण्ड लोक निर्माण विभाग को दिया गया है। मंत्री जी ने पर्यटन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि पर्यटन विकास के लिए 1 करोड़ रू0 स्वीकृति है। इसी धनराशि से हल्दूखाता में एक बड़े गेट का निर्माण भी करवाया जाये।
बैठक में उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि उक्त स्थल पर झील के निर्माण हेतु जमीन 0.99 हेक्टेयर वन विभाग की भूमि है। जिस पर 3 करोड़ 99 लाख की लागत से झील का निर्माण कराया जाना है। इस भूमि का लैण्ड ट्रान्सफर केस 29 अप्रैल 2015 तक बनाने के निर्देष दिये। इसके साथ ही बाढ़ आदि से बचाने के लिए सुरक्षा दीवार प्रस्ताव बनाकर प्रेषित करने के निर्देश सिंचाई विभाग के अधिकारियों को दिये।
बैठक में अपर सचिव पर्यटन अशिस जोशी, आईएफएस नितिन माही, मुख्य अभियन्ता सिंचाई विभाग गढ़वाल डी.पी. जुगरान, प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखण्ड जन्मेजय सिंह, संयुक्त सचिव सिंचाई सुनील श्री पांथरी, सुनील कुमार अधिशासी अभियन्ता सिंचाई उपनिदेशक पर्यटन वी.के. चैहन आदि उपस्थित थे।