नई दिल्ली/देहरादून:उत्तराखण्ड में लोअर ज्यूडिश्यरी के अवस्थापना से सम्बंधित केंद्र पोषित योजनाओं में सहायता 9:10 के अनुपात में दी जाए। नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन सभागार में राज्यों के मुख्यमंत्री एवं न्यायधीक्षों के संयुक्त सम्मेलन में प्रतिभाग करते हुए उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लोअर ज्यूडिश्यरी की अवस्थापना हेतु 550 करोड़ रूपये दिए जाने का अनुरोध किया।
प्रधानमंत्री को राज्य में न्यायपालिका की बेहतर स्थिति से अवगत कराते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने बताया कि लैंगिक अपराधों से पीडि़तों को न्याय दिलाने के लिए उत्तराखण्ड सरकार बेहद संवेदनशील है, जिसके लिए राज्य के चार प्रमुख बड़े जिलों में फास्ट ट्रैक न्यायालयों का गठन किया गया है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने न्यायिक सेवा में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को हिन्दी एवं स्थानीय भाषाओं का प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से दिये जाने पर जोर देते हुए कहा कि उत्तराखण्ड एक हिन्दी भाषी राज्य है, एवं राज्य की अधिकतम आबादी हिन्दी व स्थानीय भाषायें जानती है, अतः राज्य न्यायपालिका के आधिकारिक कामकाज हिन्दी में होने से स्थानीय जनता के लिए न्यायिक प्रक्रिया सरल होगी । उन्होंने बैठक में कहा कि लोअर ज्यूडिश्यरी के अवस्थापना से सम्बंधित केंद्र पोषित योजनाओं के लिए केंद्रांश घटाया जाना विशेष दर्जा प्राप्त उत्तराखण्ड राज्य के हित में नहीं है। केंद्र पोषित योजनाओं के लिए 9:10 का जो अनुपात उत्तर-पूर्व राज्यों के लिए हैं, उसी प्रकार उत्तराखण्ड को भी 7:25 के बजाय 9:10 ही दिये जाने का अनुरोध किया। उन्होंने राज्य में लोअर ज्यूडिश्यरी की अवस्थापना हेतु 550 करोड़ रूपये की मांग की।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने माननीय उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार को केंद्र पोषित योजना से आवासीय सुविधाओं के संदर्भ में प्रेषित प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि न्यायालयों तथा न्यायिक अधिकारियों के आवासों के निमार्ण हेतु पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करायी जा रही हैै। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में पूर्ण कालिक सचिवों की तैनाती हेतु राज्य के 13 जनपदों मंेे पूर्णकालिक सचिव तथा स्टाफ के पद सृजित कर दिये गये हैं, जिनकी नियुक्ति माननीय उच्च न्यायालय द्वारा की जानी है। इसके अलावा उत्तराखण्ड में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अनुसार वैकल्पिक विवाद समाधान(एडीआर सेंटर) एवं मध्यस्थता केंद्रों (मीडियिएशन सेंटर) का निर्माण भी पहले ही किया जा चुका है। स्थायी लोक अदालतों का गठन भी किया गया है, जिनमें नियुक्ति माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा की जानी है। प्रत्येक जिले में किशोर न्याय अदालतें हैं, बडे़ जिलों में विशेष रूप से इन अदालतों में प्रधान मजिस्ट्रेट के पदों का सृजन कर दिया गया है। जनपदों में न्यायलय भवनों का निर्माण उच्च न्यायलय की अपेक्षा अनुसार व केंद्र सरकार के बजट से राज्य सरकार द्वारा कराया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि जनपद न्यायधीशों की नियुक्ति माननीय उच्च न्यायालय द्वारा की जाती है। वर्ष 2008 से ही राज्य में वादकारिता नीति जारी कर दी गयी है, जिसका पूरे राज्य में प्रभावी रूप से पालन किया जा रहा है। परिवार न्यायालयों के गठन के विषय में उन्होंने कहा कि दूरस्थ पहाड़ी जिलों में पारिवारिक वादों की संख्या अत्यंत कम होने के कारण माननीय जनपद न्यायधीक्ष एवं सिविल जजों के पास भी काम अत्यंत कम है। ऐसे में राज्य के पहाड़ी जिलों में अतिरिक्त परिवार न्यायालयों के गठन की आवश्यकता नहीं महसूस की जा रही। केंद्र से मिलने वाली धनराशि का प्रयोग राज्य सरकार माननीय उच्च न्यायालय के प्रस्ताव अनुसार किया जायेगा। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीक्षों एवं न्यायमूर्तियों के वेतमान वृद्वि को वित्तीय उपलब्धता के आधार पर किया जायेगा।
उक्त सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीक्ष श्री एचएल दत्तू ने की। सम्मेलन में विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालय के न्यायधीक्ष और मुख्यमंत्री भी सम्मिलित थे।