नई दिल्ली: वाणिज्य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने क्षेत्रवार निर्यात संवर्धन रणनीति पर आज आयोजित प्रथम अंतर-मंत्रालय बैठक में सचिवों और वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित किया। इस बैठक में वाणिज्य विभाग, डीआईपीपी, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी, पशुपालन एवं डेयरी और एमएसएमई की ओर से भारत सरकार के सचिवों ने भाग लिया। इस बैठक में लगभग 14 अन्य प्रशासनिक मंत्रालयों/विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया जिनमें कृषि, वस्त्र, पेट्रोलियम, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, फार्मा, रसायन एवं पेट्रो रसायन, रक्षा उत्पादन और एमईए शामिल हैं। ये ऐसे विभिन्न उत्पाद समूहों से वास्ता रखते हैं जिनकी व्यापक हिस्सेदारी भारत के वाणिज्यिक निर्यात में है।
वाणिज्य मंत्री ने विशेष जोर देते हुए कहा कि निर्यात रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं और निर्यात में सतत वृद्धि भारत के लिए विशेष अहमियत रखती है। अत: एक मिश्रित एवं संयुक्त मिशन के रूप में निर्यात को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है जिसके लिए सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों की ओर से ठोस प्रयास किए जाने की जरूरत है।
मंत्री महोदय ने सभी अधिकारियों से अपने-अपने मंत्रालयों द्वारा संचालित किए जा रहे उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक कार्य योजना तैयार करने और इसे अगले 15 दिनों के भीतर वाणिज्य विभाग को भेजने के लिए कहा। इस कार्य योजना में ऐसे अल्पकालिक लक्ष्य भी होने चाहिए जिनकी प्राप्ति अगले दो महीनों में संभव हो सकती है। उन्होंने कहा कि वाणिज्य विभाग विदेश स्थित हमारे वाणिज्यिक मिशनों के जरिए कार्य योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए विदेश मंत्रालय की मदद लेगा। मंत्री महोदय ने सूचित किया कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अव्वल (चैंपियन) क्षेत्रों से सेवा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 5,000 करोड़ रुपये को मंजूरी दी है और वाणिज्य विभाग (डीओसी) 15 मई, 2018 को मुम्बई में सेवा निर्यात पर अगली वैश्विक प्रदर्शनी आयोजित करेगा।
वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री श्री सी. आर. चौधरी ने यह बैठक बुलाने के लिए ‘सीआईएम’ की सराहना की और कहा कि वैसे तो वाणिज्य विभाग ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अनेक कदम उठाए हैं, लेकिन यह अपने-आप में पर्याप्त नहीं है और इस प्रयास में अन्य मंत्रालयों/विभागों के साथ संपूरकता की आवश्यकता है।
वाणिज्य सचिव श्रीमती रीता तेवतिया ने अधिकारियों को जानकारी दी कि वैसे तो चालू वर्ष के दौरान वाणिज्यिक निर्यात में 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, लेकिन वैश्विक व्यापार में हमारी हिस्सेदारी वाणिज्यिक निर्यात में 1.7 प्रतिशत और सेवा निर्यात में 3.4 प्रतिशत के स्तर पर स्थिर है।
डीजीएफटी श्री आलोक चतुर्वेदी ने भारत के व्यापार आंकड़ों के रुख (ट्रेंड) का उल्लेख कर परिचर्चा की शुरुआत की।