नई दिल्ली: भारत और आपदा जोखिम में कमी संबंधी संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने आज यहां आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एएमसीडीआरआर) 2016 के दूसरे दिन एक सहयोग वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए।
इस वक्तव्य में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर सेंडाई फ्रेमवर्क (एसएफडीआरआर) के कारगर क्रियान्वयन एवं निगरानी के लिए भारत और यूएनआईएसडीआर के बीच सहयोग के मार्गदर्शक सिद्धांतों, उद्देश्यों और क्षेत्रों का उल्लेख किया गया है। मार्च, 2015 में जापान के सेंडाई में डीआरआर पर आयोजित किए गए विकासशील देशों के सम्मेलन में एसएफडीआरआर को अपनाया गया था।
इस तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन कल यहां प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया था।
आज डीआरआर से जुड़े मुद्दों पर दो विशेष कार्यक्रम, दो तकनीकी सत्र और 11 विषयगत सत्र आयोजित किए गए।
इन सत्रों के अलावा ‘मेक इन इंडिया’ पर विषयगत फोकस रखते हुए एक डीआरआर प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है, जिसमें आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए अपनाए जा रहे उत्तम तौर-तरीकों को दर्शाया जा रहा है।
कुछ सहभागी एशियाई देशों जैसे कि बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, जापान, थाइलैंड और म्यांमार के सरकारी निकायों ने भी यहां स्टॉल लगाए हैं, जिनमें डीआरआर संबंधी उनके विशिष्ट प्रयासों को दर्शाया जा रहा है।
यह प्रदर्शनी आम जनता के लिए आज शाम 6 बजे से लेकर 8 बजे तक और कल शाम 3 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक खुली रहेगी।
नए जोखिमों की रोकथाम के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के उपयोग पर आयोजित किए गए एक विशेष कार्यक्रम की अध्यक्षता नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने की।
‘एशिया में सेंडाई फ्रेमवर्क के क्रियान्वयन के लिए क्षेत्रीय सहयोग मजबूत करने’ पर आयोजित किए गए एक अन्य विशेष कार्यक्रम की अध्यक्षता गृह राज्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने की।
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