11.6 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

Vat Savitri Brata: जानिए कैसा होना चाहिए व्रत में खान-पान

अध्यात्म

#VatSavitriBrata महिलाओं के लिए खास माना जाता है. इस व्रत में वट और सावित्री दोनों का एक खास महत्व माना गया है. जिस तरह से पीपल के पेड़ का महत्व है ठीक उसी प्रकार वट यानी की बरगद के पेड़ की भी अपनी विशेषता है. पुराणों की मानें तो वट में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास होता है और इसके नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा आदि सुनने से मनोकामना पूर्ण होती है साथ ही वट वृक्ष अपनी विशालता के लिए भी प्रसिद्ध है. इस दिन खानपान की भी अपनी एक खास परंपरा होती है.

क्यों रखा जाता है वट सावित्री का व्रत

पूर्णिमानता कैलेंडर के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है. पूर्णिमानता कैलेंडर को उत्तरी भारत के प्रदेशों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में फॉलो किया जाता है. इसलिए यह त्योहार मुख्य रूप से इन जगहों पर ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है. शादीशुदा महिलाएं पति की भलाई और उनकी लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखती हैं.

क्यों अलग है दूसरे व्रत से

वट सावित्री व्रत दूसरों व्रत से थोड़ा-सा अलग होता है. इसमें पूरे दिन व्रत रखने की जरूरत नहीं होती है. आप तब तक कुछ खा-पी नहीं सकतीं जब तक कि पूजा ना कर लें. पूजा में जिन चीजों को चढ़ाया जाता है उसी को ग्रहण करके व्रत खोला जाता है. उत्तर भारत में यह व्रत काफी लोकप्रिय है. आइए जानते हैं कि आखिर इस दिन क्या खाएं.

प्रसाद में पूरी और पुए होते हैं खास

ज्यादातर त्योहारों में पूरियां बनाई जाती हैं क्योंकि मान्यता है कि पूरी शुभ मानी जाती है. पूरी के साथ इस दिन मीठे पुए बनाने की परंपरा है. यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश की एक खास रेसिपी है. पुए यानी की गुलगुले की रेसिपी. इसे बनाने के लिए आटे को पानी, चीनी और मेवों के साथ अच्छी तरह से घोलकर गाढ़ा घोल तैयार किया जाता है. फिर तेल में छोटी-छोटी बड़ियां तली जाती हैं. इस व्रत में पूरी और पुए को प्रसाद के रूप में बरगद के नीचे चढ़ाया जाता है और कुछ को अपने आंचल में रखा जाता है और बाद में इसे प्रसाद स्वरूप व्रती महिलाएं खाती हैं. इसमें काले चने, आम का मुरब्बा और खरबूजा भी प्रसाद स्वरूप चढ़ाया जाता है.

काले चने से खोला जाता है व्रत

प्रसाद में भीगे चने रखना महत्वपूर्ण माना जाता है. चने को रात को भिगोया जाता है और सुबह छानकर अलग करके पूजा की थाली में रखा जाता है. प्रसाद में पूरी, चने और पूए को बरगद के पेड़ के नीचे रखते हैं और कुछ चने को पूजा के बाद सीधे निगलने की परंपरा निभाई जाती है. बाद में बचे हुए चने की सब्जी बनाकर खाई जाती है.

खरबूजे का विशेष महत्व

वट सावित्री व्रत में खरबूजा वो फल है जो आपके वट सावित्री की पूजा का एक सबसे जरूरी हिस्सा है. वैसे तो गर्मियों में खरबूजे की गजब की ब्रिकी होती है, लेकिन इस दिन इसकी डिमांड काफी बढ़ चाती है. इसे चढ़ाते भी हैं और बाद में खाया भी जाता है.

आम का मुरब्बा

इस दिन आम का मुरब्बा बनाया जाता है. इसमें आम और गुड़ या चीनी का इस्तेमाल किया जाता है. कच्चे आम को उबालकर आम का मुरब्बा तैयार किया जाता है. इसे यूपी के पूर्वांचल हिस्से में गुरम्हा के नाम से भी जाना जाता है. यह कच्चे आम की मीठी चटनी के रूप में भी अपनी पहचान रखता है. पूजा के बाद विधिवत पूरी, सब्जी और आम का मुरब्बे का स्वाद लिया जाता है.

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More