लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार की संस्तुति पर सेन्ट्रल जेल बरेली में टाडा कानून के तहत सजा काट रहे वयोवृद्ध कैदी श्री वरियाम सिंह को जेल में अच्छे आचरण,
25 वर्षांे के दौरान पैरोल न लेने तथा बेदाग छवि के चलते रिहा कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के प्रयासों के चलते 70 वर्षीय कैदी श्री वरियाम सिंह को रिहा किए जाने पर विभिन्न सिक्ख संगठनों ने खुशी जाहिर की है। प्रदेश के कारागार मंत्री श्री बलवंत सिंह रामूवालिया के नेतृत्व में आए सिक्ख प्रतिनिधियों ने श्री यादव से आज उनके सरकारी आवास पर भेंटकर उन्हें धन्यवाद दिया।
मुलाकात के दौरान श्री यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार लोकतांत्रिक होने के साथ ही हरेक को इन्साफ दिलाने में पूरा भरोसा रखती है। श्री वरियाम सिंह का प्रकरण सामने आते ही उन्होंने श्री सिंह की जेल से रिहाई के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने कारागार मंत्री श्री बलवंत सिंह रामूवालिया को निर्देश दिए कि इस तरह के सभी प्रकरणों का शीघ्र संज्ञान लेकर उन पर समुचित विधिक प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए न्यायोचित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
पिछले दिनों प्रदेश के कारागार मंत्री श्री बलवंत सिंह रामूवालिया के नेतृत्व में सिखों के एक प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री से मिलकर श्री वरियाम सिंह को रिहा कराने का अनुरोध किया था। उन्होंने सजायाफ्ता कैदी के अच्छे चाल-चलन को देखते हुए रिहा कराने हेतु हर सम्भव सहायता देने का आश्वासन दिया था।
श्री वरियाम सिंह को 17 दिसम्बर, 2015 को पहली बार पैरोल पर छोड़ा गया। इसके पश्चात 16 फरवरी, 2016 को जेल से रिहा कर दिया गया है। इस अवसर पर राजनैतिक पेंशन मंत्री श्री राजेन्द्र सिंह चैधरी सहित सिख संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
टाडा अधिनियम के तहत 26 वर्षाें से सेन्ट्रल जेल, बरेली में सजा काट रहे श्री वरियाम सिंह की रिहाई के लिए विश्व भर के सिख समाज के लोग समय-समय पर केन्द्र तथा राज्य सरकार से मांग करते रहे हैं। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र संघ, इंग्लैण्ड, कनाडा, जर्मनी, आस्ट्रेलिया आदि देशों में बसे सिख संगठनों के लोगों ने इनकी रिहाई की पुरजोर मांग की थी।