नई दिल्ली: उप-राष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज सभी बड़े मुद्दों पर एक प्रबुद्ध बहस का आह्वान किया और जोर देते हुए कहा कि असंतोष को लोकतांत्रिक और अहिंसक तरीके से व्यक्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “संवैधानिक तरीके और हिंसा एक साथ नहीं चल सकते।”
श्री नायडू ने आज श्री अरुण जेटली को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके साथ लंबे समय से जुड़े संस्मरण को याद करते हुए भावुक हो गए।
श्री नायडू ने पुस्तक ‘द रेनेसां मैन-द मेनी फेसेट्स ऑफ अरुण जेटली’ का विमोचन करते हुए कहा कि अपने सबसे करीबी दोस्त के निधन के महीनों बाद भी, उन्हें इस इस बात को मानने में बड़ी कठिनाई हुई कि श्री जेटली अब नहीं रहे।
उन्होंने कहा, “जब भी किसी प्रबुद्ध बहस की जरूरत होती है, हमें जेटली जी की कमी महसूस होती रहेगी।”
श्री जेटली के बारे में बताते हुए उप-राष्ट्रपति ने कहा कि वे एक सज्जन और निर्दोष स्वरूप के ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया और भ्रष्टाचार के प्रबल विरोधी थे।
यह बताते हुए कि श्री जेटली 4-सी – चरित्र, बुद्धि, क्षमता और आचरण वाले राजनेता के सही मायने में एक उदाहरण थे, उप-राष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अन्य 4-सी- जाति, समुदाय, अपराध और नकदी-वाले लोगों को राजनीति में आने पर काफी अंदर से दु:ख होता है।
श्री नायडू ने आज के युवा नेताओं से श्री जेटली के इन गुणों का अनुकरण करने और राष्ट्र की सेवा करने का आह्वान किया।
श्री जेटली के साथ अपने जुड़ाव को याद करते हुए उप-राष्ट्रपति ने कहा कि श्री जेटली और वे भारतीय राजनीति के कंटीले रास्ते पर एक-दूसरे के साथी बन गए और एक-दूसरे के लिए परस्पर प्रशंसा और सम्मान भी दिखाया।
श्री जेटली को “एक बहुआयामी प्रतिभा का धनी और एक तेज विश्लेषणात्मक दिमाग के साथ ज्ञान का एक स्रोत” बताते हुए, श्री नायडू ने उनके प्रभावी ढंग से संवाद करने और यहां तक कि सबसे जटिल मामलों को सरल, आकर्षक तरीके से समझाने की क्षमता को याद किया। उन्होंने कहा, “उनकी स्पष्टता एक और सराहनीय गुणवत्ता थी और उन्होंने कुदाल को कुदाल कहने में कभी संकोच नहीं किया।”
उन्होंने बताते हुए कहा कि जेटली जी जैसा व्यक्तित्व कई दशकों में एक बार आता है, साथ ही उप-राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें जब भी जरूरत होती है, मैं श्री जेटली के पास बिना संकोच के कानूनी सलाह लेने भी पहुंच जाया करता था।
कठिन समय में श्री जेटली द्वारा अर्थव्यवस्था को संभालने के बारे में चर्चा करते हुए, उप-राष्ट्रपति ने कहा कि जीएसटी पर राज्यों के साथ मुश्किल वार्ता के दौरान आम सहमति बनाने के लिए उनके प्रेरक कौशल और सहयोग की भावना अतुल्यनीय था।
उप-राष्ट्रपति ने कहा कि बिना अपने स्वास्थ्य की परवाह किए बगैर, जेटली जी जीएसटी पर आम सहमति बनाने और रोल-आउट के कई अवसरों पर सफलता पूर्वक सबको साथ लाने में समय की भी पाबंदी नहीं किया करते थे।
उप-राष्ट्रपति ने केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में श्री जेटली द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों का भी उल्लेख करते हुए कहा कि जेटली जी ने यह सुनिश्चित किया कि एनपीए के कारण बैंकिंग क्षेत्र एक गहरे संकट में न फंस जाए। उन्होंने कहा कि दिवाला और शोधन अक्षमता कोड उनके कार्यकाल के दौरान का एक क्रांतिकारी कदम साबित हुआ।
उप-राष्ट्रपति ने कहा कि यह पुस्तक मेरे पुत्र श्री मुप्पवरप हर्षवर्धन और पुत्री दीपा वेंकट ने श्री अरुण जेटली के प्रति प्यार और स्नेह के प्रतीक के रूप में लिखा है। पुस्तक के विमोचन के इस अवसर पर स्वर्गीय श्री अरुण जेटली की पत्नी श्रीमती संगीता जेटली, उनके पुत्र और पुत्री भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला, राज्यसभा के उप-सभापति श्री हरिवंश, कानून और न्याय मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद, विदेश एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री श्री वी. मुरलीधरन, संसदीय कार्य राज्यमंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल, प्रसार भारती बोर्ड के अध्यक्ष श्री ए. सूर्यप्रकाश एवं कई प्रतिष्ठित संपादक, वरिष्ठ पत्रकार सहित कई गणमान्य उपस्थित व्यक्तियों में से थे।