नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने भारत को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से निरंतर और लाभकारी वार्तालाप से जुड़े रहने की आवश्यकता पर जोर दिया है, इससे देश के विकास एजेंडे को आगे बढ़ाने और एक सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध विश्व के निर्माण में मदद मिलेगी।
आज नई दिल्ली के सप्रू हाउस में विश्व मामलों की भारतीय परिषद (आईसीडब्ल्यूए) के शासी निकाय की 18वीं बैठक को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज देश तेजी से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत आर्थिक रूप से सुदृढ़ है और विदेशी निवेशों के लिए एक पसंदीदा स्थल रहा है। उन्होंने कहा कि देश में “सर्वांगीण विकास पर गहन जोर और वर्तमान में कार्यान्वित किए जा रहे परिवर्तनकारी सुधारों” की दुनिया भर के पर्यवेक्षकों ने सराहना की है।”
श्री नायडू ने कहा कि भारत की विश्व के देशों के साथ मजबूत कूटनीतिक पहुँच और संबंधों ने ही इसे राष्ट्रों के बीच गरिमापूर्ण संबंधों में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया है। उन्होंने कहा कि हमें अब अपनी सफलताओं के माध्यम से आगे बढ़ना चाहिए।
इसके पश्चात, आईसीडब्ल्यूए के अध्यक्ष के तौर पर भी उपराष्ट्रपति ने शासी परिषद की 17वीं बैठक की भी अध्यक्षता करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि विश्व मामलों में भारत की बढ़ती भूमिका और इस जटिल एवं बदलते वैश्विक परिदृश्य में हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, वे ऐसे मुद्दे हैं जो प्रत्येक नागरिक के जीवन से जुड़े हैं।
अनुसंधान में अच्छे कार्यों और अपनी गतिविधियों के माध्यम से विशेषज्ञों और आम जनता दोनों के बीच जागरूकता बढ़ाने की दिशा में किये गये परिषद के प्रयासों की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने परिषद को सलाह दी कि वह भारतीय विदेश नीति के संदर्भ में अधिक शोध कार्यों और संबंधों के साथ पड़ोस प्रथम दृष्टिकोण को अपनाए।
उन्होंने शोधकर्ताओं से अधिक मूल सोच रखने और अपने कार्यों की गुणवत्ता बढ़ाने का भी आग्रह किया।
इस अवसर पर विदेश मंत्री, डॉ. एस. जयशंकर, राज्य सभा सदस्य, श्री विनय सहस्रबुद्धे और श्री आनंद शर्मा, लोकसभा सदस्य श्री जम्यांग त्सेरिंग नामग्याल और सुश्री अनुप्रिया पटेल के अलावा आईसीडब्ल्यूए के निदेशक डॉ. टी.सी.ए राघवन एवं शासी निकाय और शासी परिषद के प्रमुख विशेषज्ञ और सदस्य उपस्थित थे।