उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने युवाओं को कोविड महामारी से उत्पन्न चुनौतियों को अवसरों में बदलने की सलाह दी है। आज विजयवाड़ा में स्वर्ण भारत ट्रस्ट के प्रशिक्षुओं को प्रमाणपत्र देने के अवसर पर एक सभा को संबोधित करते हुए श्री नायडू ने कहा कि महामारी ने जहां कई क्षेत्रों को प्रभावित किया है, वहीं इसने दूसरे क्षेत्रों में लोगों के लिए अवसर का मार्ग भी खोला है।
देश की 65 प्रतिशत आबादी के 35 वर्ष से कम आयु का होने का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यदि हम इस मानव संसाधन का सदुपयोग करें, तो युवा और महिलाएं राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भागीदार बन सकते हैं। उन्होंने कहा “इन महत्वपूर्ण मानव संसाधनों के साथ, हम भविष्य में एक बेहतर दुनिया का निर्माण कर सकते हैं”। इस संबंध में उपराष्ट्रपति ने युवाओं के कौशल विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न प्रयासों को याद किया और इन्हें और गति प्रदान करने का आह्वान किया। उन्होंने 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप कौशल विकास पर जोर देते हुए इस क्षेत्र में निजी भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया।
श्री नायडू ने कहा कि जीडीपी वृद्धि देश की प्रगति का एक मात्र पैमाना नहीं है बल्कि लोगों का सशक्तिकरण ही वास्तविक प्रगति है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सबको मिलकर अल्पावधि के लाभ वाली नीतियां बनाने की बजाए दीर्घकालिक लाभ वाली नीतियां बनानी चाहिए। कोविड महामारी का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इसने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि स्वास्थ्य पैसे से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। श्री नायडू ने अन्य देशों की तुलना में भारत में कोविड से होने वाली मृत्यु दर बहुत कम रहने का हवाला देते हुए लोगों से स्वस्थ जीवन शैली अपनाने का आह्वान किया।
अपने पाठ्यक्रम पूरा कर चुके प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र वितरित करते हुए, श्री नायडू ने लॉकडाउन की अवधि में शिक्षण के ऑनलाइन माध्यमों का बेहतर उपयोग करने के लिए छात्रों की सराहना की। उन्होंने कौशल विकास के माध्यम से महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने और लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की मदद करने के लिए स्वर्ण भारत ट्रस्ट के प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम में स्वर्ण भारत ट्रस्ट के प्रशिक्षुओं और कर्मचारियों ने भी भाग लिया।