नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी ने आज रवांडा विश्वविद्यालय में ‘रवांडा, भारत और अफ्रीका: सहयोग के लिए अनिवार्यताएं’ विषयपर व्याख्यान देते हुए कहा कि हमारे साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों, हमारी पूरक ताकतों और क्षमताओं की अनिवार्यताएं हमें स्वाभाविक रूप से और अधिक आर्थिक और वाणिज्यिक भागीदार बनाती हैं। उन्होंने कहा कि एक बेहतर भविष्य के निर्माण की दिशा में विकास की चुनौतियों को पूरा करने में अफ्रीका-भारत भागीदारी की अनिवार्यताएं हमारी साझा चुनौतियां, आम हित और आपसी लाभ की अवधारणा पर आधारित हैं। इस अवसर पर रवांडा के शिक्षा मंत्री डॉ. मुसाफिरी पपियास मालिम्बा और रवांडा विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ. माइक ओ’नील भी मौजूद थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज के युवाओं के पास अपनी गलतियां सुधारने और अतीत की सीमाओं से बचने की क्षमता है। हम स्वार्थ की भावना और विवाद के बजाय भविष्य में वैश्विक मुद्दों को ऑपरेटिव सिद्धांतों से सुलझा सकते हैं। उन्होंने विकास और प्रगति के प्रभावशाली संकेतों को देखते हुए रवांडा के लोगों को बधाई दी और कहा कि यह सब एक दूरदर्शी नेतृत्व तथा लोगों की कड़ी मेहनत के कारण संभव हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि भारत रवांडा को एक मजबूत विकास के भागेदार के रूप में देखता है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत और अफ्रीका में ‘एक मजबूत भावनात्मक कड़ी’ है, जो उपनिवेशवाद के खिलाफ हमारे साझा इतिहास और हमारे लोगों के लिए समृद्धि लाने की हमारी आकांक्षा को परिभाषित करती है। उन्होंने कहा कि हमारा दृष्टिकोण न केवल विशेषाधिकार या अधिकारों की मांग करना है बल्कि हमारा उद्देश्य अफ्रीका के विकास के प्रति अपना योगदान देना है।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत अफ्रीका में हमारे सहयोगियों की आवश्यकताओं और अभिनव तंत्र को विकसित करना चाहता है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे समय में जब वैश्विक राजनीति और आर्थिक हालात अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे है ऐसे में हमें विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को चिन्हित कर आपसी सहयोग और एकजुटता की भावना को प्रदर्शित करने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि इस संबंध में भारत और हमारे अफ्रीकी भागीदार देशों के बीच रिश्तों में प्रगाढ़ता लाने के कई अवसर मौजूद हैं।
4 comments