नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम हामिद अंसारी ने आज यहां एक समरोह में स्वतंत्रता सेनानी राजा महेन्द्र प्रताप पर पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक का संपादन श्री रघुबीर सिंह ‘अरविंद’ ने किया है।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि राजा महेन्द्र प्रताप सच्चे राष्ट्रवादी थे और उनके विचार अपने समय से काफी आगे थे। उन्होंने कहा कि राजा महेन्द्र प्रताप की जीवनी पुस्तक और वृत्त चित्र के रूप में उपलब्ध होनी चाहिए ताकि उसे लोगों तक पहुंचाया जा सके और लोग स्वाधीनता आन्दोलन में उनके महान योगदान से सीख ले सकें। उन्होंने पुस्तक के सम्पादक को इतनी उपयोगी पुस्तक लाने के लिए बधाई दी।
पुस्तक में इस बात को उजागर किया गया है कि राजा महेन्द्र प्रताप ने अपने राजनीतिक विचारों से कभी समझौता नहीं किया और वे 1913-15 के बीच हुई गदर क्रांति से बेहद प्रभावित थे। 1915 में अपनी जमीनें और संपत्तियों को छोड़कर अफगानिस्तान चले गए और उन्होंने काबुल में अपने सहयोगी बरकतुल्ला खान और मौलवी ओबेदुल्ला सिंधी के साथ भारत की पहली प्रान्तीय सरकार की स्थापना की। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वे भारत लौट आए जब भारत को आजादी मिलने वाली थी। वह अफगानिस्तान से श्रीलंका तक ग्रेट यूनियन का गठन करना चाहते थे जो विभाजन के कारण संभव नहीं हो सका।