नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा कि विश्व की आबादी के छठे हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाले भारत का दावा संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए बिल्कुल सही है। उपराष्ट्रपति ने विभिन्न बहुपक्षीय फोरमों पर भारत का साथ देने के लिए लिथुआनिया के प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया।
उपराष्ट्रपति ने तीन देशों वाली अपनी बाल्टिक यात्रा के तीसरे दिन लिथुआनिया के प्रधानमंत्री श्री साउलियस स्क्वरनेलिस तथा लिथुआनिया गणराज्य की संसद ‘सेइमास’ के अध्यक्ष श्री विकतोरस प्रांकीतीस से भेंट की और लाटविया की राजधानी रीगा के लिए रवाना होने से पहले भारत-लिथुआनिया बिजनेस फोरम को संबोधित किया। उपराष्ट्रपति ने शाम के समय रीगा में भारतीय समुदाय को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री श्री साउलियस स्क्वरनेलिस से बातचीत के दौरान उपराष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के विस्तार तथा लोकतंत्रीकरण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता हेतु भारत के दावे के लिए लिथुआनिया का समर्थन मांगा।
श्री नायडू ने पूरी दुनिया में आतंकवाद का खतरा मंडराने का उल्लेख करने के साथ-साथ इसे मानवता का दुश्मन बताते हुए संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि (सीसीआईटी) को जल्द अपनाने का आह्वान किया, जिसका प्रस्ताव भारत ने वर्ष 1996 में संयुक्त राष्ट्र में रखा था।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि शांति एवं समृद्धि को बढ़ावा देने के साथ-साथ दोनों देशों के लोगों के कल्याण के लिए दोनों राष्ट्रों के सांसदों के बीच सहयोग बढ़ाया जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सांस्कृतिक संबंधों का उल्लेख करते हुए भारतीय विद्या के अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए लिथुआनिया विश्वविद्यालय की सराहना की और इसके साथ ही 108 आम लिथुआनियाई एवं संस्कृत शब्दों के तुलनात्मक शब्दकोश और ‘लिथुआनिया का इतिहास’ हिंदी में प्रकाशित करने पर खुशी जाहिर की।
इससे पहले उपराष्ट्रपति ने भारत-लिथुआनिया बिजनेस फोरम को संबोधित करते हुए लिथुआनिया के उद्योगपतियों से भारत में उपलब्ध व्यापक अवसरों का उपयोग करने का अनुरोध किया, जहां मध्यम वर्ग का बाजार यूरोपीय संघ की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह वर्ष 2024-25 तक 5 ट्रिलियन (लाख करोड़) डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भारत को हर वर्ष लगभग 292 अरब अमेरिकी डॉलर के नए निवेश की आवश्कता है।
भारत को युवा आबादी के मामले में हासिल व्यापक बढ़त का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने अगली पीढ़ी की बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के निर्माण की महत्वाकांक्षी योजना पर अमल शुरू कर दिया है जिसमें 100 स्मार्ट सिटी, हवाई अड्डों, हाई-स्पीड ट्रेनों, राजमार्गों और साइबर कनेक्टिविटी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि भारत की 1.3 अरब लोगों की आबादी में तकरीबन 60 प्रतिशत लोगों की उम्र 35 साल से कम है।
श्री नायडू ने विश्व बैंक के ‘कारोबार में सुगमता’ सूचकांक में 14वीं रैंक हासिल करने के लिए लिथुआनिया की सराहना करते हुए कहा कि भारत और लिथुआनिया आईटी एवं इससे संबद्ध सेवाओं,फार्मास्युटिकल्स और कृषि-खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों में आपस में सहयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा चूंकि लिथुआनिया ने डेयरी और पनीर उत्पादन में बड़ी क्षमता हासिल कर ली है, इसलिए इस तरह की प्रौद्योगिकियों की सराहना भारत के मेगा फूड पार्कों में आवश्य होगी।
इसके बाद उपराष्ट्रपति ने लाटविया की राजधानी रीगा में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि लाटविया और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण एवं सौहार्दपूर्ण संबंध हैं जो वर्ष 1991 में पारस्परिक राजनयिक संबंधों की शुरुआत होने से लेकर अब तक काफी तेजी से बढ़ते हुए विभिन्न क्षेत्रों में कायम हो चुके हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘भारत व्यवसाय एवं निवेश, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक सहयोग और दोनों देशों की जनता के बीच आपसी संपर्कों सहित सभी क्षेत्रों में लाटविया के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।’
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत को विश्व भर में फैले अपने 30 मिलियन लोगों के विशाल भारतीय समुदाय द्वारा किए गए उल्लेखनीय योगदान पर गर्व है। उन्होंने कहा ‘भारतीय समुदाय भारत में विदेशी निवेश, प्रौद्योगिकी, सद्भाव और विशेषज्ञता लाने में मददगार रहा है।’