नई दिल्लीः उपराष्ट्रपति श्री एम.वेंकैया नायडु ने 1979 में यूनेस्को द्वारा पुराने ग्वाटेमाला शहर को विश्व विरासत शहर घोषित किये जाने के बाद से इसकी समृद्ध विरासत के प्रबंधन के बारे में जानकारी लेने के लिए 08 मई, 2018 को ऐतिहासिक एंटीगुआ (पुराना) ग्वाटेमाला शहर का दौरा किया। उन्होंने शहर की मेयर सुश्री सुसाना हिदी एसेंसीओ ल्युग और संबंधित अधिकारियों के साथ संरक्षण के उपायों के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने संरक्षित और संरक्षण किये जा रहे विभिन्न स्मारकों का दौरा किया। 16वीं सदी के विरासत शहर और उसके संरक्षण से प्रभावित श्री नायडु ने कहा, ‘यह खंडहरों से पुनर्जीवंतता का स्पष्ट उदाहरण है’।
1524 में स्पेन के शासकों के ग्वाटेमाला पर आक्रमण के बाद से एंटीगुआ ग्वाटेमाला उनकी तीसरी राजधानी थी। पहली दो राजधानियां क्रमश: स्थानीय योद्धाओं के विरोध और प्राकृतिक आपदाओं के कारण 1541 तक वीरान हो गईं थीं। पुराने ग्वाटेमाला में 1565 से कई भूकंप आये और 1773 में सांता मार्ता भूकंप से ये शहर नष्ट हो गया था, जिसके कारण वर्तमान ग्वाटेमाला शहर को राजधानी बनाना पड़ा था।
यहां रह गये और वापस लौट कर आये लोगों ने पुराने ग्वाटेमाला शहर के पुनर्निर्माण कार्य के जरिये इसके अधिकतर स्मारकों को संरक्षित करना शुरू कर दिया। यूनेस्को ने 1979 में इसे विश्व विरासत शहर घोषित किया था।
एंटीगुआ ग्वाटेमाला की नगर पालिका परिषद को संबोधित करते हुए श्री नायडु ने ग्वाटेमाला की प्राचीन मयान सभ्यता और भारत की सिंधु सभ्यता का उल्लेख किया और उनके समृद्ध सांस्कृतिक मूल को संरक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि यह वर्तमान और भविष्य की पीढि़यों के लिए मार्गदर्शक बन सके। उन्होंने अहमदाबाद को भी विश्व विरासत शहर घोषित किये जाने के बारे में बताते हुए कहा कि दोनों विरासत शहरों को आपस में जोड़ने से दोनों को लाभ होगा।
उपराष्ट्रपति ने सेन जोस कैथेड्रल, म्युजियम ऑफ कोलोनियल आर्ट, सम्राट का महल, खंडहर हो चुकी परिसंपत्ति का जीर्णोद्धार कर बनाये गये होटल सहित शहर के विभिन्न ऐतिहासिक स्मारकों का दौरा भी किया।
श्री नायडु के साथ एक प्रतिनिधिमंडल भी गया है, जिसमें जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री जसवंत सिंह भाभोर और सांसद श्री तिरूचि शिवा, श्री अनिल देसाई, श्री कमलेश पासवान और श्रीमती छाया वर्मा शामिल हैं।