नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने चिकित्सक समुदाय से मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कैंसर जैसे गैर संचारी रोगों से बचाव के बारे में लोगों को जागरूक बनाने की अपील की है।
उन्होंने निजी और सरकारी अस्पतालों तथा चिकित्सकों से कहा है कि वे अपने आसपास के स्कूल, कॉलेज और सामुदायिक केन्द्रों में जाये और वहां युवाओं और लोगों को स्वास्थ्य पर आधुनिक जीवनशैली के दुष्प्रभाव के बारे में जागरूक बनाये और उन्हें खानपान की अच्छी आदतें अपनाने को कहें।
श्री नायडू आज आज हैदराबाद में भारतीय तंत्रिका विज्ञान अकादमी के 27वें वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि देश इस समय संचारी और गैर संचारी दोनों तरह की बीमारियों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के अभाव से भी जुझ रहा है।
उपराष्ट्रपति ने सरकार और नीति निर्माताओं को सलाह दी कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाओं के विस्तार के लिए और ज्यादा सुविधाएं दें। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों को चाहिए कि वे गुणवत्ता मानकों से समझौता किए बगैर इस काम के लिए निजी क्षेत्र की मदद करें। उन्होंने भारतीय चिकित्सा परिषद से देश के मेडिकल कॉलेजों में तंत्रिका विज्ञान की शिक्षा से जुड़ी सीटें बढाये जाने पर विचार करने को कहा, हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि इस बारे में नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित होना चाहिए। तंत्रिका संबंधी विकारों का जिक्र करते हुए श्री नायडू ने कहा कि यह समस्या शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में समाज के हर वर्ग को प्रभावित कर रही है।
हर साल देश में करीब 20 लाख लोगों के मस्तिष्काघात से प्रभावित होने के कारण लंबे समय के लिए अपंगता या पक्षाघात जैसी समस्याओं से जूझने पर चिंता जाहिर करते हुए श्री नायडू ने कहा कि ऐसी स्थिति में यह बेहद जरूरी है कि लोगों को रक्तचाप और रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के बारे में जागरुक बनाया जाए तथा उन्हें बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के साथ ही स्वस्थ्य जीवन शैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित भी किया जाए।
Stating that the rise in acquired neurological diseases (non-communicable) was a worrisome development, he opined that changing lifestyle and dietary habits were adding to the trend. “Over the last two decades, the burden of non-communicable diseases like stroke, epilepsy, headaches, and spine and brain disorders in India has increased more rapidly than communicable diseases like infections and fever. 55.2% of all deaths in India in 2016 were due to non-communicable diseases, according to a study” he added.
Shri Naidu said that the burden of the neurological disease must be tackled by adopting a multi-pronged approach including augmenting seats in neurology and establishing more and more hospitals in the rural areas equipped with CT and MRI scans for early diagnosis of neurological disorders.
He also called for providing rehabilitation services in the rural areas along with training the family members in the rehabilitation process, so that they can take care of the disabled persons.
Observing that the health sector in India was facing the problems of inadequate public spend, low doctor-patient ratio, high share of out-of-pocket expenditure, inadequate infrastructure in rural areas including lack of penetration of health insurance and inadequate preventive mechanisms, the Vice President opined that it was crucial to address this huge gap in the supply of trained healthcare practitioners by opening more medical colleges and increasing the number of seats at both graduate and postgraduate levels.
To mitigate this crisis, we need to pay much more attention to Primary Healthcare, which is the first point of contact with any patient with the medical system.
More than 2000 delegates, including 15 international experts from the USA, UK, Australia, Austria, Portugal, Japan, and Italy attended the conference.
The Member of NITI Aayog, Dr. Vinod Paul, the MD & CEO, KIMS Hospitals, Hyderabad, Dr. B. Bhaskar Rao, the President, Indian Academy of Neurology, Dr. Satish Khadilkar, the President, World Federation of Neurology, Dr. William Carroll, the Secretary, Indian Academy of Neurology, Dr. Gagandeep Singh, the Chairman, Organising Committee, Dr. S. Mohandas, the Organising Secretary, Dr. Sita Jayalakshmi and other dignitaries were present on the occasion.