नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने निजी क्षेत्र से आह्वान करते हुए कहा कि बुनियादी ढांचा विकास और स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्रों में सुधार जैसे महत्वपूर्ण राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में बड़ी भूमिका निभाएं।
आज हैदराबाद में 11वें परियोजना प्रबंधन राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि सार्वजनिक-निजी भागीदारी स्मार्ट शहरों जैसी बड़ी परियोजनाओं के विकास में वरदान सिद्ध होगा।
यह समझते हुए कि परियोजना प्रबंधक एक राष्ट्र की प्रगति के लिए बेहद महत्वपूर्ण थे, श्री नायडू ने कहा कि परियोजना प्रबंधक बहुत बड़े बदलाव के सूचक हैं और इनके ज्ञान एवं कौशल के उपयोग से उद्योग और देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
महाबलीपुरम के प्राचीन मंदिरों से लेकर अशोक स्तंभ तक महान परियोजनाएं के उदाहरणों रूप भारत के इंजीनियरिंग और वास्तुशिल्प की भूमि को वर्णित करते हैं, उपराष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक भारत में भी कई उल्लेखनीय उपलब्धियां-जैसे नर्मदा के किनारे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और दुनिया का सबसे बड़ा बायोमेट्रिक डेटाबेस, आधार का कार्यान्वयन- हैं ।
श्री वाजपेयी के मंत्रिमंडल में ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में और श्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में आवास और शहरी विकास मंत्री के रूप में बड़ी परियोजनाओं को शुरू करने के अपने स्वयं के अनुभव को याद करते हुए, श्री नायडू ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, स्वच्छ भारत, स्मार्ट शहरों, शहर, आवास और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी परियोजनाओं का उदाहरण भी दिया।
श्री नायडू ने स्वच्छ भारत, जन-धन, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना और अन्य जैसी परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन के बारे में बात करते हुए कहा कि इन जरूरत वाले कार्यक्रमों की पहल से और सफलतापूर्वक कार्यान्वयन से टीम को बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित भी करेंगे। जन-धन योजना के मामले में, प्रधान मंत्री ने दुनिया में इस सबसे बड़े वित्तीय समावेशन कार्यक्रम का समर्थन किया, जिसका उन्होंने अवलोकन भी किया।
उपराष्ट्रपति ने कॉर्पोरेट कर में कटौती करने के सरकार के साहसिक निर्णय का स्वागत किया क्योंकि यह आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करेगा।साथ ही उन्होंने कहा, “बड़ी परियोजना के प्रबंधन ने लोगों की धारणाओं को बदलने और स्थायी प्रभाव के लिए उनके समर्थन को जीतने का काम इश सरकार ने किया है।”
साथ ही जोर देते हुए कहा कि सभी कार्यक्रमों को समावेशी विकास हासिल करना है, श्री नायडू ने कहा कि परियोजना प्रबंधन का संस्थागतकरण महत्वपूर्ण है जिसे सरकारी एजेंसियों को निजी क्षेत्र से सीखना चाहिए।
समय पर परियोजनाओं के निष्पादन में देरी पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस प्रवृत्ति को बदलने की जरूरत है और परियोजनाओं एवं कार्यक्रमों के निष्पादन में सुधार के लिए प्रोजेक्ट मैनेजरों को परिवर्तन एजेंटों के रूप में आज के दौर में कार्य करने की जरूरत है।
परियोजना और कार्यक्रम प्रबंधन पर टास्क फोर्स की सिफारिशों का उल्लेख करते हुए, जिसने सार्वजनिक परियोजनाओं में पेशेवरों के लिए वैश्विक मानकों और प्रमाणपत्रों पर सरा उतरने का काम किया है, श्री नायडू ने कहा “हमें परियोजनाओं की योजना बनाने, हितधारकों की निगरानी करने, प्रगति की निगरानी करने, सुधारात्मक तरीके में सुधार करने की आवश्यकता है, साथ ही एक उच्च प्रौद्योगिकी के साथ तेजी से और निर्णायक रूप से कार्रवाई एवं भविष्य के लिए प्रतिभा का विकास करना मुख्य उद्देश्य है।”
सही कौशल हासिल करने और भविष्य की मांगों के लिए निरंतर प्रयास करने के लिए परियोजना प्रबंधन बहुत जरूरी है, श्री नायडू ने कहा कि यह उद्योग और देश के लिए समय और बजट के भीतर प्रत्येक परियोजना के सफल कार्यान्वयन के रूप में योगदान करने का उनका अवसर था, जिससे सैकड़ों, हजारों और कभी-कभी लाखों लोग भी लाभ होता है।
भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया) द्वारा शुरू किए गए नीतिगत ढांचे का उल्लेख करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि यह परियोजना और कार्यक्रम प्रबंधन के लिए एक औपचारिक दृष्टिकोण के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा, जो सरकार के लिए बहुत मददगार साबित होगा।
उपराष्ट्रपति ने पानी के संरक्षण और एकल उपयोग वाले प्लास्टिक को समाप्त करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
उपराष्ट्रपति ने ब्रेल में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट पर एक पुस्तक का विमोचन भी किया, जो सुश्री नेहा अग्रवाल के लिए सुगम था, जो एक दृष्टिहीन है।
इस अवसर पर पीएमआई निदेशक मंडल श्री जोसेफ काहिल, पीएमआई निदेशक मंडल के अध्यक्ष, श्री रान्डेल टी ब्लैक, सम्मेलन अध्यक्ष श्री एस जी श्रीराम, सम्मेलन निदेशक श्रीमती कोमल माथुर, महासचिव पीएमआई पर्ल सिटी चैप्टर, हैदराबाद, श्री भास्कर रेड्डी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।