नई दिल्ली: उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को राज्यसभा के सदस्यों से कहा कि संसद का अगला सत्र जमीनी हालात पर निर्भर करेगा। सामान्य स्थिति की उम्मीद जताते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को रोकने की कोशिशों के नतीजे दिख रहे हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी।नायडू, जो राज्यसभा के सभापति भी हैं, अपने ‘मिशन कनेक्ट’ के तहत लॉकडाउन शुरू होने के बाद से ही सांसदों के साथ ही अन्य नामचीन हस्तियों के साथ बातचीत शुरू कर दी थी।
इस दौरान उन्होंने बड़ी संख्या में सांसदों के साथ ही साथ पूर्व राष्ट्रपतियों, पूर्व प्रधानमंत्रियों, भारत के मौजूदा और पूर्व प्रधान न्यायाधीशों, राज्यपालों और मुख्य मंत्रियों के साथ ही साथ राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बातचीत की। सूत्रों ने बताया कि जब राज्यसभा के कुछ सदस्यों ने नायडू से अगले सत्र के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि यह हालात पर निर्भर करेगा।
राज्यसभा ने कानून बनाने पर 28, बहस में 40 फीसद समय किया खर्च
राज्यसभा ने इस साल अपने कामकाज के दौरान 40 फीसद समय सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर चर्चा करने में, 32 फीसद कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने में और 28 फीसद कानून बनाने में खर्च किया है। एक सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आई है। उच्च सदन यानि राज्यसभा ने प्रति वर्ष 340 घंटे कामकाज किया है।
राज्यसभा सचिवालय द्वारा सत्र के दौरान समय के सदुपयोग पर विश्लेषण से पता चला है कि सदन ने सबसे ज्यादा समय सार्वजनिक महत्व के विभिन्न मुद्दे पर चर्चा में खर्च किया है। 1978 से 41 वर्षो के लिए राज्यसभा सचिवालय द्वारा उच्च सदन में समय का इस्तेमाल करने के पैटर्न पर कराए गए विश्लेषण में यह परिणाम सामने आया है।
राज्यसभा सभापति एम. वेंकैया नायडू ने यह जानना चाहा था कि सदन ने विधायिका, निरीक्षण और विचार में कितना समय खर्च किया है। इसके बाद यह विश्लेषण कराया गया। Source जागरण