नई दिल्लीः उप-राष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में गन्नवरम् मंडल के कोंडापवूलुरू गांव में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) की दक्षिणी कैम्पस इमारत की आधारशिला रखेंगे। गृह राज्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू और केन्द्र और राज्य सरकार के अन्य अधिकारी समारोह में शामिल होंगे।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) गृह मंत्रालय के अंतर्गत सरकार का एक प्रमुख संस्थान है। एनआईडीएम ने आंध्र प्रदेश पुर्नगठन कानून-2014 का पालन करते हुए आंध्र प्रदेश में दक्षिणी कैम्पस की स्थापना की है। इस समय बापटला, गुंटूर में आंध्र प्रदेश मानव संसाधन विकास संस्थान (एपीएचआरडीआई) कैम्पस से एनआईडीएम अंतरिम दक्षिणी कैम्पस का परिचालन हो रहा है। राज्य सरकार ने कोंडापवूलुरू गांव में स्थायी कैम्पस की स्थापना के लिए एनआईडीएम को 10 एकड़ भूमि आवंटन की है। केन्द्र सरकार ने 36.76 करोड़ रुपये की कुल लागत से दक्षिणी कैम्पस के निर्माण को मंजूरी दी है।
एनआईडीएम कैम्पस अपने प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के जरिये जमीनी स्तर के मुद्दों, जिला और स्थानीय नियोजन, अंतिम मील संपर्क और मुख्य आपदा प्रबंधन को निरन्तर विकास उद्देश्यों में बदलने पर विशेष ध्यान देगा, जो क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है।
एनआईडीएम दक्षिणी कैम्पस अपने कार्यक्रमों के जरिये विभिन्न साझेदारों के तीव्र और क्षमता निर्माण उद्देश्य के लिए कार्य करेगा। ऐसे कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे जिनमें दक्षिणी राज्यों में आपदाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। दक्षिण भारत की भौगोलिक स्थिति एनआईडीएम कार्यक्रमों खासतौर से तटीय इलाकों, दक्षिणी पठार के चट्टानी भूभाग और पश्चिमी घाटों के कार्यक्रम तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
भारत संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा अपनाये गए आपदा जोखिम कटौती के लिए सेंडाई फ्रेम वर्क में हस्ताक्षर कर चुका है और आपदा जोखिम प्रबंधन के बारे में प्रधानमंत्री का दस सूत्रीय एजेंडा इसके रणनीतिक और जमीनी कार्यान्वयन से जुड़ा हुआ है। शिक्षा, अनुसंधान, ज्ञान प्रबंधन और जन-जागरुकता में प्रशिक्षण सहित क्षमता निर्माण से सेंडाई फ्रेम वर्क के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है।
“फोर्जिंग पार्टनरशिप : कैपेसिटी बिल्डिंग फॉर डीआरआर” विषय पर दो दिन की एक राष्ट्रीय कार्यशाला आज विजयवाड़ा में शुरू हुई। इस कार्यशाला का उद्देश्य विभिन्न साझेदारों के बीच सहभागिता को प्रोत्साहित करके राज्य के संस्थानों की क्षमता को बढ़ाकर देश को आपदा से उबारने के लिए एक रोडमैप पर विचार करना और उसे तैयार करना है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) और राज्य आपदा प्रबंधन संस्थान (एसडीएमआई), के अलावा अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय विशेषज्ञ और वरिष्ठ अधिकारी एनजीओ और आपदा प्रबंधन क्षेत्रों में कार्यरत पेशेवर इसमें भाग ले रहे हैं।