नई दिल्ली: महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी ने कहा है कि ‘‘अब कोई भी व्यक्ति बच्चे के रूप में उसके साथ हुए यौन दुष्कर्म की शिकायत किसी भी आयु में कर सकता है।’’ उन्होंने पीडि़तों को यौन शोषण के मामलों की रिपोर्ट पोक्सो ई-बॉक्स के जरिये करने का सुझाव दिया। इससे पहले महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बाल यौन शोषण संरक्षण (पॉक्सो) कानून के प्रावधानों के संदर्भ में विधि मंत्रालय से सलाह मांगी थी। विधि मंत्रालय ने पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों और दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों का विश्लेषण करने के बाद सलाह दी थी कि पॉक्सो अधिनियम, 2012 के अंतर्गत अपराधों की रिपोर्टिंग के बारे में धारा 19 में कोई अवधि सीमा वर्णित नहीं की गई है।
बच्चे अकसर अपने साथ हुए दुष्कर्म के बारे में रिपोर्ट करने में अक्षम होते है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में शोषण करने वाला परिवार का सदस्य या कोई निकट संबंधी ही होता है। अध्ययनों से पता चला है कि बच्चे यौन शोषण के आघात को जीवन भर झेलते रहते है। इसे देखते हुए कई वयस्कों ने अपने बचपन में झेली घटनाओं को रिपोर्ट करना शुरू किया है।
बाल यौन शोषण संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) 2012 के अधिनियम, 14 नवम्बर, 2012 से लागू हुआ। इसके अंतर्गत बालक और बालिकाओं दोनों के लिए यौन दुष्कर्म और शोषण से संरक्षण का प्रावधान है।