नई दिल्ली: संसदीय कार्य, सांख्यिकी तथा कार्यक्रम क्रियान्वयन राज्य मंत्री श्री विजय गोयल ने आज पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से मुलाकात की। श्री गोयल ने यह मुलाकात संसद के मानसून सत्र 2018 के दौरान सदन को सुचारू रूप से चलाने में सभी राजनीतिक दलों का सहयोग पाने के सरकारी प्रयास के रूप में की।
श्री विजय गोयल ने कहा कि सरकार सदन में किसी भी विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार है। उन्होंने संसद को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी राजनीतिक दलों से सहयोग करने का आग्रह किया। संसदीय कार्य राज्य मंत्री आने वाले दिनों में इस प्रयास के हिस्से के रूप में अनेक विपक्षी नेताओं से मिलेंगे। श्री गोयल ने डॉ. सिंह से बातचीत में कहा कि लोकसभा में 68 तथा राज्यसभा में 40 विधेयक लंबित हैं। इसलिए 18 जुलाई से 10 अगस्त तक चलने वाले 18 दिनों के मानसून सत्र के दौरान देशहित में इन महत्वपूर्ण बिलों को पारित करने के लिए राजनीतिक दलों का सहयोग आवश्यक है।
डॉ. सिंह ने विभिन्न विपक्षी नेताओं से संपर्क साधने के सरकार के प्रयास का स्वागत किया और कहा कि संसद के दोनों सदनों को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी सत्ताधारी और विपक्षी दोनों दलों की है।
श्री गोयल ने कहा कि पिछले बजट सत्र में कोई कामकाज नहीं हुआ। राज्यसभा में केवल 8 प्रतिशत कामकाज हुआ और लोकसभा में केवल 4 प्रतिशत काम हुआ। उन्होंने कहा कि आगामी सत्र में संसद को सुचारू रूप से चलाने के लिए आरोपों-प्रत्यारोपों को पीछे छोड़ते हुए सहयोग की आवश्यकता है।
श्री गोयल ने कहा कि देश हित में मुस्लिम विवाह (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017, मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक 2017, संविधान (123 वां संशोधन) विधेयक 2017 और भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधन) विधेयक 2013 को पारित करना आवश्यक है। श्री विजय गोयल ने आशा व्यक्त की कि राज्यसभा के उप सभापति का चुनाव सहमति से हो जाएगा।
श्री गोयल ने बताया कि मानसून सत्र शुरू होने से पहले वह विपक्षी नेताओं से मिलेंगे और छह महत्वपूर्ण अध्यादेशों पर देश हित में विधेयक पारित करने के लिए सहयोग मांगेंगे। इन छह विधेयकों में – भगोड़ा आपराधिक अध्यादेश 2018, आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश 2018, वाणिज्यिक अदालत, वाणिज्यिक प्रभाग तथा उच्च न्यायालयों का वाणिज्यिक अपीली प्रभाग (संशोधन) अधिनियम 2018, होम्योपैथिक केन्द्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश 2018, राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय अध्यादेश 2018 तथा दिवालियापन और दिवाला संहिता (संशोधन) अध्यादेश 2018 शामिल हैं।