नई दिल्ली: भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की मुसीबतें एक बार फिर से बढ़ने वाली हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मनी लॉन्ड्रिंग और बैंकों के समूह को 6,027 करोड़ रुपये का चूना लगाने के मामले में माल्या व उसकी कंपनियों के खिलाफ जल्द ही नया आरोपपत्र दायर करने वाली है. अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि ईडी इस आरोपपत्र के साथ अदालत से भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश के तहत माल्या एवं उसकी कंपनियों की 9 हजार करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को तत्काल जब्त करने की स्वीकृति मांगेगी.
ईडी अब तक इस मामले में 9,890 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त कर चुकी है. अधिकारियों ने कहा कि नया आरोपपत्र एसबीआई की उस शिकायत पर आधारित है जो उसने माल्या एवं उसकी कंपनियों द्वारा 2005-10 से दौरान बैंकों के समूह से लिये गये 6,027 करोड़ रुपये के ऋण का भुगतान नहीं करने से संबंधित है. अधिकारियों ने कहा, ईडी ने पाया कि लोन के हेर-फेर के लिए फर्जी कंपनियों के समूह का इस्तेमाल किया गया. नये आरोपपत्र में इसका भी जिक्र होने का अनुमान है.
दूसरी तरफ ब्रिटेन की एक अदालत ने माल्या से शुक्रवार को कहा कि वह 13 भारतीय बैंकों को उसके साथ कानूनी लड़ाई में हुई लागत मद में कम से कम दो लाख पौंड (लगभग 1.81 करोड़ रुपये) का भुगतान करे. ये बैंक माल्या से अपने बकाया कर्ज की वसूली के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. न्यायाधीश एंड्रयू हेनशॉ पिछले महीने माल्या की संपत्तियों को कुर्क करने के एक विश्वव्यापी आदेश को पलटने से इनकार कर दिया था.
साथ ही एंड्रयू हेनशॉ ने भारतीय अदालत की इस व्यवस्था को सही ठहराया कि भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाला 13 भारतीय बैंकों का समूह माल्या से लगभग 1.145 अरब पौंड की वसूली का हकदार है. इस आदेश के तहत अदालत ने माल्या से कहा कि वह ब्रिटेन में विश्वव्यापी कुर्की आदेश तथा कर्नाटक के कर्ज वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) के फैसले के पंजीकरण मद में लागत का भुगतान करे.
(इनपुट भाषा से)