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हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन हिंसक, आरक्षण क्यों मांग रहे हैं जाट?

देश-विदेश

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन हिंसक हो चुका है। 9 जिलों में

आंदोलन का असर है। रोहतक में कल हुई हिंसा के दौरान 3 लोगों की मौत हो गई। अब तक हिंसा के दौरान 60 से ज्यादा लोग घाय़ल हो चुके हैं रोहतक, भिवानी, जींद में सेना पहुंच चुकी है।

हरियाणा सरकार ने कहा कि जाट आंदोलन में जिन भी लोगों के खिलाफ मामला बना, उन्हें ना तो आरक्षण का लाभ मिलेगा और ना ही कभी कोई सरकारी नौकरी। हरियाणा का जाट समुदाय सड़कों पर है। आंदोलन की तस्वीरों ने हरियाणा की खट्टर सरकार की मुश्किल बढ़ा दी है। लेकिन जाट इस मांग पर अड़े हैं कि उन्हें ओबीसी यानी केंद्र की अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल करके सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में आरक्षण दिया जाए जैसे अन्य पिछड़ा वर्ग के बाकी लोगों को मिलता है। देश में आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था के तहत ओबीसी को 27 फीसदी और एससी एसटी को 22.5 फीसदी आरक्षण दिया जाता है।

सरकार के लिए इस मांग को मानना आसान नहीं है। इस समस्या की शुरूआत इसलिए हुई क्योंकि 2014 में लोकसभा चुनाव के पहले उस वक्त की यूपीए सरकार ने हरियाणा समेत 9 राज्यों के जाट समुदाय को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने की अधिसूचना जारी कर दी। यूपीए सरकार का वो फैसला राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग की उस सिफारिश के खिलाफ था जिसमें सामाजिक और शैक्षिक आधार पर जाटों को पिछड़ी जाति मानने से इंकार कर दिया गया था। राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग कि इसी सिफारिश के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने के फैसले को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जाट जैसी राजनीतिक रूप से संगठित जातियों को ओबीसी सूची में शामिल करना अन्य पिछड़े वर्गों के लिए सही नहीं है। यही वजह है कि हरियाणा सरकार जाटों की मांग मानने के नाम पर अभी सिर्फ आश्वासन ही दे पा रही है।

हरियाणा में कुल आबादी का करीब 29 फीसदी जाट हैं। इनमें से ज्यादातर खेती के काम से जुड़ रहे है और उन्हें आर्थिक आधार पर संपन्न माना जाता है। इसीलिए उन्हें पिछड़ा मानने का विरोध भी होता रहा है। हरियाणा सरकार के लिए दूसरी समस्या ये भी है कि बीजेपी के ही सांसद राज कुमार सैनी जाटों की मांग का विरोध करते रहे हैं। जाटों के आरक्षण की मांग के खिलाफ हरियाणा की 35 बिरादरी एकजुट हो गई हैं। इन लोगों ने आंदोलनकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है।

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