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विश्‍वेश्‍वरैया राष्‍ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान के 13वें दीक्षांत समारोह में राष्‍ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी का भाषण

देश-विदेश

नई दिल्ली: आपके जीवन के इस महत्‍वपूर्ण क्षण को साझा करने के लिए आपके बीच होकर मैं प्रसन्‍नता का अनुभव कर रहा हूं। इस अवसर पर मैं उन लोगों को बधाई देता हूं जिन्‍होंने इस प्रतिष्ठित संस्‍थान से अपना डिग्री पाठ्यक्रम पूरा किया है। हमारे देश के एक प्रख्‍यात अभियंता, योजनाकार और राजनेता सर एम. विश्‍वेश्‍वरैया के नाम पर स्‍थापित इस संस्‍थान में मुझे आमंत्रित करने के लिए मैं प्रबंधन को धन्‍यवाद देता हूं।

  1. भारत के इस महान सपूत के जन्‍मदिवस पर आज उन्‍हें याद करते हुए मैं तकनीकी शिक्षा के बारे में उनके दर्शन को उद्धृत करना चाहूंगा। उन्‍होंने कहा था,    ‘‘परिभाषित आदर्शों और संगठनों के बिना कोई महत्‍वपूर्ण सुधार नहीं हो सकता। यदि लोगों के जीवन की गति में तेजी लानी है और किसी बड़े और पूर्ण जीवन के लिए उन्‍हें प्रशिक्षित करना है तो ‘खोज करना, शिक्षित करना, संगठित करना’ हमारा मूलमंत्र होना चाहिए।’’

     मुझे इस बात की खुशी है कि इस संस्‍थान ने उनके दर्शन को साकार करने और प्रौद्योगिकी को बढ़ाना देने के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों के लिए प्रति छात्रों को संवेदनशील बनाने की दिशा में कदम उठाये हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि इस संस्‍थान से उत्तीर्ण होने वाले सभी छात्रों में सर विश्‍वेश्‍वरैया के आदर्श, दृष्टिकोण, दर्शन और व्‍यावसायिक गुण आत्‍मसात होंगे। यह जानकर भी मुझे प्रसन्‍नता हुई है कि इस संस्‍थान का दीक्षांत समारोह सामान्‍य तौर पर सर विश्‍वेश्‍वरैया के जन्‍मदिवस पर आयोजित होता है, जिसे इस स्‍वप्‍नद्रष्‍टा पथप्रदर्शक के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए भारत में ‘इंजीनियर्स डे’ के रूप में भी मनाया जाता है।

  1. आज का यह दीक्षांत समारोह आपके जीवन में एक महत्‍वपूर्ण दौर की समाप्ति का प्रतीक है। संस्‍थान के पाठ्यक्रम के माध्‍यम से ज्ञान, प्रौद्योगिकी और कौ‍शल प्राप्‍त करने के लिए आप सबने कठिन परिश्रम किया है। यहां तक पहुंचने में निश्चित तौर पर आपको कई प्रकार के दबावों, उतार-चढावों और जिज्ञासु क्षणों से गुजरने का मौका मिला होगा। अपने अध्‍यवसाय, कठिन परिश्रम और प्रतिबद्धता के बल पर अपना लक्ष्‍य और उद्देश्‍य पूरा होने पर आपके जीवन के इस महत्‍वपूर्ण दिन पर आप खास आनंद और खुशियाली महसूस कर रहे होंगे। मुझे इस बात की खुशी है कि आप सभी अब एक सक्रिय और कुशल कार्यबल के हिस्‍से के रूप में व्‍यावसायिक क्षेत्र में प्रवेश करेंगे और हमारे राष्‍ट्र की तकनीकी संसाधन में योगदान करेंगे।

 सामान्‍य तौर पर शिक्षा और विशेष तौर पर तकनीकी शिक्षा को हमेशा देश के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विकास के लिए सुधार के औजार के रूप में देखा जाता है। हमने समाज की समस्‍याओं के समाधान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका पर हमेशा जोर दिया है। मुझे डॉ. सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन का वह कथन याद आता है, जिसे उन्‍होंने वर्ष 1966 में स्‍वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्‍ट्र के नाम अपने संदेश में कहा था। मैं उसे उद्धृत करता हूं,

    ‘‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी भूख और गरीबी, बीमारी और निरक्षरता, अस्‍पृश्‍यता और कुप्रथाओं, किसी निर्धन व्‍यक्ति द्वारा किसी समृद्ध देश के कचरे को व्‍यापक संसाधन बनाये जाने जैसी समस्‍याओं के समाधान में हमारी मदद करेंगे।’’

    हमें समाज में सकारात्‍मक सुधार लाने के लिए शिक्षा की शक्ति, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शक्ति का सही दिशा में प्रभावकारी इस्‍तेमाल करना होगा। इस संस्‍थान के स्‍नातक के रूप में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का जो ज्ञान प्राप्‍त किया है, सामाजिक बदलाव में उसका इस्‍तेमाल करना आपका दायित्‍व है।

  1. आज के विश्‍व में प्रौद्योगिकी अशांतिकारक है। तेज बदलावों के कारण इसमें कठिनाई आती है और कई बार तो नये प्रौद्योगिकीय वातावरण के साथ तालमेल कायम रखने पर भी कठिनाई होती है। प्रौद्योगिकी में बदलाव के कारण इसे सीखना एक निरंतर प्रक्रिया बन जाती है जो और भी अधिक चुनौतीपूर्ण है। इस संस्‍थान से उत्तीर्ण होने के बाद आज मैं आप सब से यह अपेक्षा करता हूं कि आप अपने ज्ञान और कौशल को निरंतर ताजा बनाये रखेंगे ताकि आपके संगठन, समाज और देश के लिए महत्‍वपूर्ण परिणाम प्राप्‍त हो सकें। मुझे इस बात का भरोसा है कि इस संस्‍थान के शिक्षकों ने आपको इतना मजबूत बनाया है कि आप जिस कार्य क्षेत्र में जाने का निर्णय करेंगे, उसमें आने वाली चुनौतियों पर विजय प्राप्‍त करके सफल नेतृत्‍व का परिचय देंगे।
  1. प्रौद्योगिकीविद अभियंत्रण क्षेत्र के ऐसे व्‍यावसायिक कामगार हैं, जो प्रौद्योगिकीय समस्‍याओं का समाधान तैयार करने में वैज्ञानिक जानकारी, गणित और सरलता पर जोर देते हैं। प्रौद्योगिकीविद अपने भौतिक विज्ञानों के ज्ञान को जीवन के सभी क्षेत्रों में व्‍याप्‍त मौजूदा प्रौद्योगिकी की सीमा रेखा से परे अतिरिक्‍त वास्‍तविक तथ्‍यों के साथ जोड़ते हैं। उन्‍हें अनुसंधान, डिजाइन, विश्‍लेषण, विकास, परीक्षण और विक्रय से जुड़े पदों सहित अनेक प्रकार के रोजगारों में से चुनना होता है। प्रौद्योगिकीविद समस्‍याओं के ऐसे समाधानकर्ता हैं, जो कठिन चुनौतियों के समाधान के लिए अपेक्षाकृत तीव्र, बेहतर और किफायती तरीके की खोज करते हैं। इस प्रकार, आप जैसे प्रौद्योगिकी के स्‍नातक एक बेहतर भविष्‍य के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और समाज के बीच संबंध को समझकर उसे बेहतर बनाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। वास्‍तविक दुनियां में आपकी यात्रा के निर्धारण के इस यादगार दिन पर मैं आप सभी से यह संकल्‍प लेने के लिए कहूंगा कि आप सभी मानवता के लाभ के लिए प्रौद्योगिकी का पूरा इस्‍तेमाल करेंगे और इस बात का ध्‍यान रखेंगे कि प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल से इस देश के लोगों के बीच खुशियाली, समृद्धि और सामान्‍य खुशहाली आये।
  2. सरकार ने उद्यमिता और रोजगार सृजन पर जोर देने के क्रम में इसकी शुरुआत और प्रोत्‍साहन वित्तपोषण के लिए ‘स्‍टार्ट-अप इंडिया, स्‍टैंड अप इंडिया’ नामक अभियान शुरु किया है। इस अभियान की सफलता इस बात पर निर्भर होगी की हम देश में उपलब्‍ध प्रौद्योगिकी के साथ-साथ मानव संसाधन का किस प्रकार इस्‍तेमाल करते हैं। मैं, आप सभी युवा प्रौद्यो‍गिकीविदों का आह्वान करता हूं कि रोजगार के अवसरों की ओर ध्‍यान देने के स्‍थान पर आपको उद्यमी बनने का लक्ष्‍य रखना चाहिए, जिससे लोगों के लिए रोजगार के अवसर तैयार होंगे। आपकी शुरुआत और उद्यमिता के माध्‍यम से आप कम्‍पनियां बना सकते हैं, जिससे राष्‍ट्र, समाज और जनता के लिए सम्‍पत्ति तैयार होगी। इससे हमारे देश के समावेशी और सतत विकास में आपका सबसे बड़ा योगदान होगा।
  1. पिछले तीन वर्षों से मैं एक तोते की तरह राष्‍ट्रपति भवन में आयोजित सम्‍मेलनों और दीक्षांत समारोह में बार-बार यह दोहरा रहा हूं कि कोई एक भी भारतीय संस्‍थान विश्‍व के शीर्ष 200 संस्‍थानों की सूची में शामिल नहीं है। पिछले तीन वर्षों के दौरान उठाये गये कई सकारात्‍मक कदमों के परिणाम स्‍वरूप संस्‍थानों के दर्जे के परिदृश्‍य में बदलाव होना शुरु हो गया है। भारतीय शैक्षिक समुदाय और उच्‍चतर शिक्षण संस्‍थानों के लिए यह एक ऐसे गर्व का समय है, जब वर्ष 2015-16 की आज जारी की गई क्‍यूएस वर्ल्‍ड यूनिवर्सि‍टी रैंकिंग में दो भारतीय संस्‍थानों को विश्‍व के शीर्ष 200 संस्‍थानों में स्‍थान मिला है। भारतीय विज्ञान संस्‍थान, बैंगलोर को 147वां स्‍थान और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान, दिल्‍ली को 179वां स्‍थान मिला है। इसके अलावा आईआईटी-बम्‍बई को 202वां स्‍थान मिला है। भारतीय संस्‍थानों ने काफी अच्‍छा प्रदर्शन किया है और मैं इस अवसर पर इन संस्‍थानों के शिक्षकों और कर्मचारियों को बधाई देता हूं। मैंने संस्‍थानों की रैंकिंग प्रक्रिया की ओर ध्‍यान दिये जाने के लिए जो बातें बार-बार कही, उसकी ओर ध्‍यान देने के लिए मैं इन संस्‍थानों की सराहना करता हूं और सही समय पर हमारे संस्‍थानों के निष्‍पादन संबंधी आंकड़े को सामने रखने के लिए भी मैं उनकी सराहना करता हूं।
  1. हमारे संस्‍थानों को ऊंचा दर्जा मिलने से शैक्षिक समुदाय का मनोबल बढ़ेगा और छात्रों के लिए विकास और रोजगार के अधिकाधिक अवसर के द्वार खुलेंगे। इससे भारत और विदेश से सर्वेश्रेष्‍ठ शिक्षकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी और निरंतर गुणवत्ता बढ़ाने में एक मानदण्‍ड उपलब्‍ध होगा। मैं एक रिपोर्ट पढ़ रहा था कि विश्‍व भर में आईआईटी संस्‍थान 61वें स्‍थान पर हैं, जबकि एक प्रणाली के रूप में दर्जा प्रदान किया जाये। इसी प्रकार, आईआईटी संस्‍थानों को एक साथ मिलाकर एक यूनिट के रूप में देखने पर यह स्‍टैनफोर्ड, यूसी बर्कले और एमआईटी के बाद स्‍नातक विश्‍वविद्यालयों के अ‍धीन विश्‍व के शीर्ष उद्यमिता संस्‍थानों में चौथे स्‍थान पर है। नवाचार और स्‍वेदशीकरण के माध्‍यम से भारत को बदलने की दिशा में हमारे संस्‍थानों की क्षमता की चर्चा करने के क्रम में मैं आपसे यह जानकारी साझा कर रहा हूं। राष्‍ट्रीय महत्‍व के संस्‍थानों के रूप में एनआईटी संस्‍थानों को नवाचार और उद्यमिता के लिए क्षमता निर्माण और राष्‍ट्रीय विकास लक्ष्‍यों के साथ तालमेल कायम करने में अग्रणी भूमिका निभानी होगी। मैं चाहूंगा कि इस काम में आपका संस्‍थान अग्रणी भूमिका निभाये।
  1. ज्ञान और नवाचार प्रगति के मूलमंत्र हैं। एक ऐसे वातावरण से प्रतिस्‍पर्द्धी लाभ प्राप्‍त किया जा सकता है जो नये शिक्षण, अनुसंधान और नवाचार के लिए सकारात्‍मक हो। मुझे भरोसा है कि वीएनआईटी, नागपुर, जो प्रौद्योगिकी के स्‍वपनद्रष्‍टा सर एम विश्‍वेश्‍वरैया के पदचिन्‍हों पर चलते हुए एनआईटी संस्‍थानों के बीच उद्यमिता और नवाचार के लिए एक वातावरण तैयार करने में अग्रणी भूमिका निभायेगा।
  1. वीएनआईटी के इस 13वें दीक्षांत समारोह में 1117 छात्रों में अपनी डिग्रियां प्राप्‍त की है। मैं उन सभी छात्रों को बधाई देता हूं, जो आज स्‍नातक बन गये हैं। आप सभी अपने व्‍यवसाय के लिए और हमारे राष्‍ट्र की बौद्धिक सम्‍पदा के लिए एक बहुमूल्‍य संसाधन हैं। भारत अवसरों के साथ-साथ चुनौतियों से भरा एक देश है। हम सभी बदलाव की आकांक्षा रखते हैं। मैं महात्‍मा गांधी के उस कथन के साथ अपनी बात समाप्‍त करना चाहता हूं, जिसमें उन्‍होंने कहा था, ‘ऐसा बदलाव लाएं जो आप इस विश्‍व में देखना चाहते हैं।’ मैं एक बार फिर आप सब के लिए यह कामना करता हूं कि आपके चुने हुए कार्यक्षेत्र में आप सफल हों। मुझे भरोसा है कि आने वालों वर्षों में आप अपनी उपलब्धियों से हम सभी को गौरवान्वित करेंगे।

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