मध्य प्रदेश : बैतूल जिले में 29 मासूम बच्चों के दिल में छेद होने का खुलासा हुआ है. मुख्यमंत्री बाल ह्दय उपचार योजना के तहत एक सर्वे कराया गया।
इसमें जिले भर से अब तक 29 बच्चे ऐसे मिले हैं, जिन्हें जन्म से ही दिल में छेद होने की शिकायत है इनमें से लगभग 20 बच्चे ऐसे भी हैं जिनकी जांच हुए एक साल बीत चुका है, लेकिन उनका अब तक ऑपरेशन नहीं हो सका, प्रदेश सरकार की योजना के तहत जिन बच्चों को दिल में छेद होने जैसी गंभीर बीमारी होती हैं। उनके इलाज के लिए सरकारी मदद मुहैया कराई जाती है बच्चों के परिजन सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उनके नौनिहालों का जल्द इलाज हो जिससे वे एक सामान्य जीवन जी सकें। हंसते-खेलते ये मासूम इस बात से अनजान हैं कि वे बार-बार बीमार क्यों होते हैं और वे दूसरे बच्चों की तरह सामान्य जीवन क्यों नहीं जी रहे हैं दरअसल, प्रदेश में संचालित मुख्यमंत्री बाल ह्दय उपचार योजना के तहत दिल में सुराख होने जैसी बीमारी पाए जाने पर सरकारी खर्च से बच्चों के इलाज की व्यवस्था की जानी है, लेकिन बैतूल में 20 ऐसे बच्चे हैं जिनके दिल में छेद होने की पुष्टि एक साल पहले हो चुकी हैं पर अब तक उनका ऑपरेशन नहीं हो पाया है। बच्चों के परिजनों की सरकार से गुहार है कि उनके बच्चों का ऑपरेशन समय पर हो जाए, जिससे वे भी सामान्य जीवन जी सकें।
सरकारी मदद मिलने की प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल है पहले इन बच्चों के फार्म भरे जाएंगे पूरे फार्म भोपाल पहुंचाए जाएंगे जब सरकार की मुहर लगेगी, तब इन बच्चों को रैफर किया जाएगा और फिर कहीं जाकर उनका ऑपरेशन हो सकेगा। ये प्रक्रिया कब शुरू होगी और कब खत्म होगी, ये अभी तय नहीं है प्रोग्राम प्रभारी कविता साल्वे की माने तो प्रक्रिया शुरू होने में अभी समय है। अक्सर सरकारी तंत्र में ये शिकायतें आम हैं कि मुआवजा या सरकारी मदद मिलने में लेट-लतीफी होती है, लेकिन मौजूदा मामला कई मासूम जिंदगियों से जुड़ा हुआ है अब सरकार से यही उम्मीद की जा सकती है कि वे इसे प्राथमिकता में लें।
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