नई दिल्ली: केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा है कि देश के सतत विकास के लिए जल संरक्षण
बहुत जरूरी है। आज नई दिल्ली भारत जल सप्ताह 2016 का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरकार के साथ-साथ समाज के हर वर्ग को मिलकर काम करना होगा। सुश्री भारती ने न्यूनतम जल के अधिकतम इस्तेमाल की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में नई तकनीक के उपयोग की आवश्यकता है। जल प्रबंधन के क्षेत्र में इजराइल की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए मंत्री महोदया ने कहा कि वे इस क्षेत्र में इजराइल को अपना गुरू मानती है। सुश्री भारती ने कहा कि देश में जल की उपलब्धता और उसकी गुणवत्ता में गिरावट सबके लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में हो रहे जलवायु परिवर्तनों से भी जल संसाधनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। सुश्री भारती ने कहा कि उनका मंत्रालय नदी जोड़ो परियोजना के जरिए देश में जल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि केंद्र में नई सरकार को नदी जोड़ों परियोजना को मिशन मोड में पूरा करने का निश्चय किया है। मंत्री महोदया ने उम्मीद जताई कि केन बेतवा नदी, संपर्क योजना पर शीघ्र ही काम शुरू हो जाएगा। जल क्रांति अभियान और जल ग्रामीण योजना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इनका उद्देश्य जल संरक्षण के क्षेत्र में पंचायती राज संस्थाओं, स्थानीय निकायों और सभी हितधाराकों को समान रूप से साथ लेकर आगे बढ़ना है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय वित्त, सूचना और प्रसारण तथा कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरूण जेटली ने कहा कि देश में कृषि के विकास के लिए जल संरक्षण बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि सिंचाई के क्षेत्र में निवेश का लाभ अन्य क्षेत्रों की तुलना में बहुत जल्दी मिलता है और देश के समग्र और आर्थिक विकास में इसका प्रभाव तत्काल दिखना शुरू हो जाता है। श्री जेटली ने जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि यह उन, एक दो मंत्रालयों में हैं जिन पर हमारी पूरी अर्थव्यवस्था का विकास आधारित है। वित्त मंत्री ने कहा कि मानसून कमजोर रहने के कारण कृषि पर बुरा असर पड़ता है लेकिन बेहतर जल प्रबंधन के जरिए हम इस समस्या से निपट सकते है। उन्होंने जल के बेहतर इस्तेमाल के जरिए कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने में विशेष रूप से मध्य प्रदेश का उल्लेख किया और कहा कि पिछले आठ दस वर्षों में राज्य में कृषि की स्थिति में जबरदस्त सुधार आया है।
केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रधानमंत्री के प्रत्येक बूंद से अधिकतम फसल के नारे का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में अनियमित मानसून को देखते हुए बेहतर जल प्रबंधन बहुत जरूरी हो गया है। ‘’पानी बचाओ-पानी बढ़ाओ’’ नारे का उल्लेख करते हुए श्री जावड़ेकर ने कहा कि हमें ऐसे उपाय करने होंगे जिनसे उद्योगों में पानी की खपत कम हो और जो भी पानी वहां उपयोग किया जाए वह संशोधित जल ही हो। उन्होंने कहा कि सरकार उद्योगों में पानी की खपत के बारे में नए मानक तय करेंगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भवन निर्माण में सिर्फ संशोधित जल का ही उपयोग हो और वहां वर्षा जल संचयन को अनिवार्य किया गया है।
केंद्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि देश में लघु और सीमांत किसान पानी की भारी किल्लत से जूझ रहे है। उन्होंने कहा कि भारत में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता चिंताजनक स्तर पर है। इसलिए जरूरी हो गया है कि हम देश में बेहतर जल प्रबंधन पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि इस वर्ष देश में 5 लाख नए कुएं और तालाब खोदे जाएंगे। सिंचाई के क्षेत्र में इजराइल के प्रयासों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमें कम से कम पानी से अधिकतम सिंचाई के बारे में उनसे काफी कुछ सीखना है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास, पेयजल, स्वच्छता, पंचयाती राज मंत्री चौधरी बीरेन्दर सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि मानव सभ्यता को जल के महत्व को समझना चाहिए और इसका समझदारी से प्रयोग करना बहुत जरूरी है। श्री सिंह ने कहा कि जल की किल्लत, खराब गुण्वत्ता वाले जल ओर अपर्याप्त स्वच्छता से गरीब परिवारों के लिए खाद्य सुरक्षा, आजीविका के विकल्पों और शिक्षा के अवसरों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर सरकार की प्राथमिक चिंता देश में सबको पर्याप्त मात्रा जलापूर्ति सुनिश्चित कराना है, वहीं दूसरी ओर हम सबका दायित्व बनता है कि हम जल की एक एक बूंद की कीमत समझें और उसकी बर्बादी न करें।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि यह बहुत जरूरी है कि बच्चों के पाठ्यक्रम में जल प्रबंधन को एक विषय के रूप में शामिल किया जाए ताकि नई पीढ़ी इस महत्वपूर्ण विषय पर बचपन से ही सही संस्कार प्राप्त कर सके। उन्होंने कहा कि देश में भू-जल के गिरते हुए स्तर को ऊपर लाने के लिए कई उपाय करने होंगे। इनमें से एक यह हो सकता है कि किसानों को खेतों में ट्युब्वेल लगाने की अनुमति तभी दी जाए जब वे खेत में ड्रीप सिंचाई के लिए तैयार हो जाए। सरकार से इसके लिए सब्सिडी भी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार केन बेतवा नदी जोड़ों परियोजना पर पूरी तरह से केंद्र के साथ है और उसे अपना भरपूर सहयोग दे रही है ताकि इसे जल्द से जल्द सफलतापूर्वक पूरा किया जा सके।
इजराइल के कृषि मंत्री श्री यूरी एरियल ने कहा कि उनका देश भारत के साथ जल प्रबंधन के क्षेत्र में विशेष सहयोग करने का इच्छुक है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में जल की आपूर्ति में आ रही निरंतर गिरावट को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि मानव सभ्यता, जल संचयन और जल प्रबंधन की बेहतर तकनीक का उपयोग करे। श्री एरियल ने कहा कि भारत और इजराइल, जल प्रबंधन और जल सुरक्षा के क्षेत्र में एक दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते है।
इस अवसर पर सुश्री उमा भारती ने जल संरक्षण के बारे में एक एंड्रायड मोबाइल एप्लीकेशन ‘जल संचयन’ भी लांच किया जिसमें एक ही मंच पर वर्षा जल संचयन के समस्त घटक उपलब्ध हैं। यह एप्लीकेशन उपभोक्ता को इंटरएक्टिव मॉड्यूल के जरिए किसी भी स्थान पर संभावित वर्षा का अनुमान लगाने में सहायता करेगा। यह एप्लीकेशन के क्षेत्र में कार्यरत प्राधिकारियों, एजेंसियों, तकनीकी संस्थानों और जमीनी स्तर पर सामुदायिक संगठनों से संपर्क की जानकारी भी प्रदान करता है।
जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा आयोजित भारत जल सप्ताह 2016 आज से 08 अप्रैल, 2016 तक चलेगा। इस वर्ष के भारत जल सप्ताह का विषय ‘सबके लिए जल : सम्मिलित प्रयास’ है। इस्राइल इस आयोजन में भागीदार देश के रूप में भाग ले रहा है। भारत समेत करीब 20 देशों के 1500 प्रतिनिधि इस सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं।
इस आयोजन को संगोष्ठियों (8), विचारोत्तेजक सत्रों (6), पैनल चर्चाओं (7), केस स्टीडीज (6) और आयोजन से इतर कार्यक्रमों (5) में बांटा गया है। ये कार्यक्रम आईटीपीओ, प्रगति मैदान में आयोजित होंगे। इसके अलावा प्रगति मैदान के हॉल नम्बर-9 में ‘वॉटर एक्सपो-2016’ का आयोजन किया किया जा रहा है, जिसमें जल संसाधन क्षेत्र की प्रौद्योगिकियों और समाधानों को प्रदर्शित किया जाएगा।
इस बहु-विषयक सम्मेलन में प्रदर्शनी के साथ-साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ जल संबंधी विभिन्न विषयों पर संवाद होगा। इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले प्रतिनिधि जल संसाधनों के कारगर प्रबंधन के क्षेत्र में इस्राइल के अनुभवों के साथ ही साथ अन्य राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अनुभवों से भी लाभान्वित होंगे। बहुत से प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठन, शोध संस्थान, शैक्षिक संस्थान और जल संसाधन, कृषि, बिजली आदि क्षेत्रों से संबंधित गैर सरकारी संगठन अपने ज्ञान एवं अनुभव को साझा करने के लिए इस आयोजन में भाग ले रहे हैं। जल के सबसे महत्वपूर्ण हितधारक अर्थात देश के विभिन्न हिस्सों के किसान भी सहभागितापूर्ण सिंचाई प्रबंधन से संबंधित (आईएनपीआईएम) कार्यक्रम के अंतर्गत इस विशिष्ट आयोजन में भाग ले रहे हैं।
जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय, भारत सरकार जल से संबंधित मामलों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए वर्ष 2012 से एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन के रूप में भारत जल सप्ताह का आयोजन करता आ रहा है। अब तक वर्ष 2012, 2013 और 2015 में तीन भारत जल सप्ताह आयोजित किए जा चुके हैं।