नई दिल्ली: केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धार मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा है कि भारत सरकार ने बिहार में बाढ़ की विभीषिका को अत्याधिक कम करने के लिए नेपाल सरकार से सार्थक बातचीत की है और सप्त-काशी हाईडैम के निर्माण हेतु विचार-विमर्श में उल्लेखनीय प्रगति हुई है इससे आशा है कि निर्माण कार्य पूरा होने के बाद बिहार राज्य को सूखे से निजात मिलने के साथ ही बाढ़ की विभीषिका से भी काफी राहत मिलेगी।
पत्रकारों से यहां नई दिल्ली में बात करते हुए मंत्री महोदया ने कहा हम यह भी अच्छी तरह जानते हैं कि कुछ भाग ऐसे हैं जिन पर तत्काल बाढ़ राहत कार्य प्रोटेक्शन के द्वारा बाढ़ राहत निदान करना जरूरी है और इसके लिए हमने बिहार सरकार के अभी भेजे हुए प्रस्ताव मंजूर कर दिए हैं, जिनके द्वारा लगभग 7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को प्रोटेक्शन दिया जाएगा और लगभग 132 लाख जनसंख्या लाभान्वित होगी ।
उन्होंने कहा कि बिहार के निवासियों की धर्म के प्रति आस्था एवं मां गंगे से अनवरत जुड़ी धार्मिक भावनाओं को देखते हुए गंगा को हमने वापस लाने का प्रयास भी कर लिया है,जिससे जन-जन को काफी सुविधा मिलेगी।
साथ ही बिहार की जनता आर्सेनिक से दूषित जल पीने के लिए बाध्य थी एवं भारत सरकार ने केंद्रीय भूमि जल परिषद की मदद से आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्र में 28 गहरे नलकूप जिनका जल आर्सेनिक से प्रभावित नहीं है, तैयार कर स्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग को हस्ताक्षरित कर दिए हैं। इससे वहां लोगों को अभूतपूर्व सहयोग मिला है एवं आर्सेनिक के दुष्परिणामों से लोग बच सके हैं।
सूश्री उमा भारती ने आगे कहा कि अंतर्राज्यीय मतभेदों को दूर करने में भी हमारा मंत्रालय बिहार सरकार के हितों को सर्वोपरि रखते हुए मतभेदों का निदान निकालता है, जैसे कि रिहन्द बांध के द्वारा बिहार राज्य को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाता है। अपर महानंदा प्रोजेक्ट के ससमय निर्माण हेतु लगातार प्रयास जारी है, ताकि संबंधित राज्यों के सहमति से उपरोक्त परियोजनाएं निर्मित हों एवं अपने लाभ से बिहार को लाभान्वित कर सकें। हमें यह भी बताते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि राज्य के चहुँमुखी विकास के लिए राज्य सरकार के प्रस्तावित अंतर्राज्यीय नदी जोड़ परियोजनाओं पर हमारी संस्था राष्ट्रीय जल विकास अधिकरण काफी तेजी से काम कर रही है और इन्होंने इस परियोजना का कोसी-मेची और बूढ़ी-गंडक गंगा लिंक परियोजना की वृहत परियोजना तैयार कर ली है। इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन से बिहार सरकार के किसानों को लाभ होगा और लगभग 3.30 लाख हेक्टेयर वर्ग के किसान लाभान्वित होंगे। बूढ़ी गंडक नदी से 492 क्यूसेक का बाढ़ का खतरा कम होगा।
बिहार राज्य में सिंचाई परियोजनाओं की स्थिति
अ) त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (ए आई बी पी)
इस समय बिहार में त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (ए आई बी पी) के अन्तर्गत दो बड़ी/मझोली सिंचाई परियोजनायें चल रहीं हैं
1 पुनपुन बैराज परियोजना
राज्य के औरंगाबाद जिले में स्थित इस परियोजना के अन्तर्गत 13680 हेक्टेयर क्षेत्र में हैडवक्र्स और नहर प्रणाली निर्माण करने का प्रावधान है। वर्ष 2014-2015 के दौरान जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरुद्धार मंत्री द्वारा नौ करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता हेतु प्राप्त प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई थी। वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान 2.763 करोड़ रुपए जारी किए गये हैं। अबतक कुल 43.884 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं।
2 दुर्गावती जलाशय परियोजना
बिहार राज्य के कैमूर और रोहताश जिलों में फैली दुर्गावती जलाशय परियोजना से 9190 हेक्टेयर सूखा प्रभावित क्षेत्र तथा 23277 हेक्टेयर गैर-सूखा प्रभावित क्षेत्र की आवश्यकतायें पूरी होंगी। वर्ष 2014-2015 के दौरान मंत्री महोदया द्वारा 38.75 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता हेतु प्राप्त प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई थी। वित्त वर्ष 2015-2016 में 7. 59825 करोड़ रुपए की आंशिक राशि जारी की गई है। अभी तक कुल 65.09 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं।
3 ए आई बी पी के अन्तर्गत लघु सिंचाई परियोजनायें
लगभग 340.6732 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली 221 लघु सिंचाई परियोजनाओं को ए आई बी पी के अन्तर्गत वित्त पोषण के लिए शामिल किया गया है। वर्ष 2014-2015 के दौरान 129 चालू परियोजनाओं के लिए 70.8642 करोड़ रुपए जारी किए गये। अभी तक इन सभी परियोजनाओं के लिए 195.2168 करोड़ रुपए जारी किये जा चुके हैं।
4 मरम्मत, पुनरुद्धार एवं नवीनीकरण (आर आर आर) योजना
बिहार सरकार ने वर्ष 2012 में 39 जलाशयों के लिए प्रस्ताव भेजे थे केन्द्रीय जल आयोग पटना ने राज्य सरकार से सितम्बर 2013 में अनुरोध किया था कि वह केन्द्र सरकार की योजना के अनुरूप प्रस्ताव भेजें। तदनुसार राज्य सरकार ने दिसम्बर 2014 में 76.0315 करोड़ रुपए लागत के 35 जलाशयों के लिए केन्द्रीय जल आयोग पटना को प्रस्ताव भेजे थे इनकी समीक्षा की जा रही है।
5 कमांड एरिया विकास तथा जल प्रबंधन कार्यक्रम
इस कार्यक्रम का उदेश्य निर्माण की गई क्षमता का उपयोग बढ़ाना और बहुआयामी कार्यदल को समाहित करते हुए निरन्तर आधार पर समन्वित एवं एकीकृत पहल द्वारा कृषि उत्पादकता और उत्पादन में वृद्धि करना है इस कार्यक्रम के अन्तर्गत राज्य सरकार को केन्द्रीय सहायता अनुदान के रूप में जारी की जाती है। वर्ष 2014–2015 के दौरान बिहार राज्य को38.81527 करोड़ रुपए की केन्द्रीय सहायता प्रदान की गई।
आ) बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम (एफ एम पी)
इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 2014–2015 के दौरान चन्दन बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम हेतु 24.92 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई थी। 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान बिहार राज्य को एफ एम पी के अन्तर्गत 167.96 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है।
इ) नमामि गंगे
राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण ( एन जी आर बी ए ) ने बिहार में 2155.63 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली 14 परियोजना की स्वीकृति दी है। जिसमें बक्सर, बेगुसराय,मुंगेर, हाजीपुर और पटना जिले में 1912.36 करोड़ रुपए की स्वीकृति वाले 13 सीवरेज नेटवर्क एवं शोधन संयंत्र शामिल हैं। साथ ही पटना में 243.27 करोड़ रुपए की स्वीकृत लागत वाली एक रीवर फ्रंट विकास परियोजना जिसमें 20 घाट निर्माण और गंगा नदी के साथ-साथ 6.6 किलामीटर लंबा नाला भी बनाया जा रहा है। इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए जून 2015तक 180 करोड़ रुपए जारी किये जा चुके हैं।
इस के साथ ही 1968 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली एस टी पी को रोकने और उसके प्रवाह की दिशा परिवर्तन करने की 26 परियोजनाओं और 200 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाले 4 रीवर फ्रंट विकास परियोजनाओं की डी पी आर बनाने का काम विभिन्न चरणों में चल रहा है। इन परियोजनाओं के पूरा होने पर बिहार में गंगा तट पर स्थित सभी शहरों को गंगा प्रदूषण समाप्त करने के काम में शामिल कर लिया जायेगा।
ई) एन डी डब्ल्यू ए
निम्नलिखित पांच इण्टर बेसिन वाॅटर ट्रांसफर (आई बी डब्ल्यू टी) लिंक बिहार राज्य से संबंधित है।
क) मनास-संकोश-तीस्ता-गंगा लिंक
ख) कोसी-मेची लिंक
ग) कोसी-घाघरा लिंक
घ) चुनार-सोन बैराज लिंक
ङ) सोन डेम-गंगा की दक्षिणी सहायक नदियां
इन सभी पांच लिंक्स की पूर्व संभाव्यता रिपोर्ट तैयार हो गयी है इन की संभाव्यता रिपोर्ट का कार्य प्रगति पर है। बिहार से 9 अन्तःराज्यीय लिंक प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, जिसमें से 6 लिंक्स की पूर्व संभाव्यता रिपोर्ट तैयार करके बिहार राज्य को सूचित कर दी गई है। एन डी डब्ल्यू ए ने बूढ़ी गंडक-नून-बाया-गंगा तथा कोसी-मेची लिंक के दो अन्तःराज्यीय लिंक प्रस्तावों की डी पी आर बनाकर बिहार राज्य को दे दी है।
नेपाल के साथ सप्त-कोसी हाईडेम की संयुक्त परियोजना के कार्यालय को सशक्त किया गया है।