लखनऊ: उत्तर प्रदेश के ग्राम्य विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डा. महेन्द्र सिंह ने विभागीय अधिकारियों निर्देश दिये हैं कि मनरेगा योजना के तहत भूगर्भ जल के रिचार्ज तथा जल संचयन के लिए नये कुओं की खुदाई, पुराने कुओं की मरम्मत तथा तालाबों के चारो तरफ आम, नीम, महुआ, जामुन, पाकड़, बरगद तथा अन्य छायादार वृक्ष लगाये जायं। उन्होंने बुन्देलखण्ड की जटिल भौगोलिक स्थिति को देखते हुए चेक डैम, बांधों आदि की मानसून से पहले मरम्मत करने के भी निर्देश दिये।
ग्राम्य विकास मंत्री आज विधान भवन के कक्ष संख्या-80 में ग्राम्य विकास विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की गहन समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत निर्माणाधीन आवासों को शीघ्र पूरा करने तथा लाभार्थियों को आवश्यक किश्त तत्काल जारी करने के भी निर्देश दिये। साथ ही उन्होंने महामाया, लोहिया तथा इन्दिरा योजना के तहत अधूरे पड़े आवासों को पूरा करने के लिए सख्त हिदायत दी।
ग्राम्य विकास मंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाये जाने वाले आवासों में सभी बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के साथ ही शौचालय बनाये जाने के भी निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना में हर स्तर पर पारदर्शिता बरती जाय और किसी भी अपात्र को आवास स्वीकृत न किया जाय। यदि किसी अपात्र को आवास मिल गया हो तो उससे धनराशि वापस ली जाय। उन्होंने कहा कि इस योजना में किसी प्रकार लापरवाही और भ्रष्टाचार बरर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
डा. सिंह ने मनरेगा के तहत सृजित परिसम्पत्तियों की जियो टैगिंग तथा नवनिर्मित तालाबों के चारो तरफ अनिवार्य वृक्षारोपण तथा गौशाला निर्माण किये जाने के लिए भी कहा। उन्होंने मनरेगा योजना के मानव दिवस के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अधिक तेजी से कार्य करने की हिदायत दी। इसके अलावा उन्होंने विभाग द्वारा चित्रकूट स्थित मन्दाकिनी नदी के तलहटी से सिल्ट हटाकर पुनर्जीवित किये जाने के कार्य की सराहना की। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार नहरों, नदियों एवं जलाशयों की डीसिल्टिंग करके उन्हें जीवन प्रदान किया जाय।
उन्होंने रूर्बन योजना की समीक्षा करते हुए कहा कि स्वीकृत कलस्टर पर कार्य अतिशीघ्र शुरू किया जाय। साथ ही गांवों का विकास शहरों की तर्ज पर किया जाय। उन्होंने आजीविका मिशन की समीक्षा करते हुए कहा कि स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने तथा उनके सशक्तीकरण के लिए बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सोनभद्र, महोबा अथवा किसी अन्य जनपद में सोलर लैम्प एसेम्बुल करने के लिए फैक्टरी लगायी जाय। इसके साथ ही महिला किसानों द्वारा आर्गेनिक खेती करने के लिए प्रशिक्षित किया जाय। बैठक में बताया गया कि 22 जनपदों के 25 विकासखण्डों के 54 हजार महिला किसानों को आर्गेनिक फार्मिंग के लिए प्रशिक्षित किया जा चुका है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के प्रगति की समीक्षा करते हुए ग्राम्य विकास मंत्री ने सड़कों के निर्माण का कार्य युद्धस्तर पर किये जाने के निर्देश दिये। साथ ही सड़कों के निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर जोर दिया। उन्होंने जनपद गोण्डा के कुछ सड़कों का निर्माण कार्य तत्काल शुरू करने तथा सोनभद्र जनपद की अधूरी सड़कों को पूरा करने की हिदायत दी।
बैठक में बताया गया कि पहली बार नैनो टेक्नोलोजी, जूट, जियो टेक्सटाईल्स, फ्लाई ऐश, सीसी ब्लाक तथा वेस्ट प्लास्टिक से की मद्द से नयी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए 1741.60 किमी0 सड़कों के निर्माण लक्ष्य रखा गया है। अब तक इस तकनीक से 19 जून, 2018 तक 927.73 किमी0 सड़क का निर्माण पूरा हो चुका है। इसके अलावा 10219.25 किमी0 सड़कों को गड्ढामुक्त किया गया है।
ग्राम्य विकास मंत्री स्वजल कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए समस्याग्रस्त क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल पहुंचाने पर जोर देते हुए कहा कि भीषण गर्मी को देखते हुए बुन्देलखण्ड में पानी की समस्या के स्थायी समाधान के लिए नये हैण्डपम्पों की स्थापना, पुराने की रीबोरिंग तथा पाइप पेयजल योजनाओं को पूरी क्षमता से उपयोग में लाया जाय। इसके साथ ही गत वर्ष की भांति टैंकरों की व्यवस्था तथा कन्ट्रोल रूम की स्थापना भी की जाय, जिससे किसी भी गांव को पानी की कमी का सामना न करना पड़े।
प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास श्री अनुराग श्रीवास्तव ने ग्राम्य विकास मंत्री जी द्वारा दिये गये निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। इस बैठक में मनरेगा के निदेशक श्री योगेश कुमार, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, यू.पी. आर.आर.डी.ए. श्री ए.के. श्रीवास्तव, विशेष सचिव श्री एन.पी. सिंह, श्री अच्छेलाल यादव, डा. हरीशचन्द्र के अलावा, लोक निर्माण तथा आरईएस के अभियन्ता भी मौजूद थे।