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जल सरचार्ज को 5 प्रतिशत से घटाकर 1.5 प्रतिशत करने के निर्देश देते हुएः मुख्यमंत्री

उत्तराखंड
देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जल सरचार्ज को 5 प्रतिशत से घटाकर 1.5 प्रतिशत करने के निर्देश दिए हैं। जिन विभिन्न औद्योगिक इकाईयों, भवन निर्माण बिल्डरों, सरकारी भवनों व अन्य व्यावसायिक संस्थाओं द्वारा भूगर्भ जल का दोहन किया जा रहा है, उनसे भूगर्भ जल का मूल्य लिया जाएगा। मंगलवार देर रात व बुधवार प्रातः विभिन्न विभागों के साथ आयोजित बैठकों मे मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ राज्य के आर्थिक संसाधनों को बढ़ाने पर मंथन किया।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों व प्राथमिकताओं में परिवर्तन को देखते हुए हमें अपने आर्थिक संसाधन तलाशने होंगे। आर्थिक संसाधनों को जुटाते हुए यह भी ध्यान में रखना है कि इससे प्रदेश के गरीब तबके पर भार न पड़े। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जल सरचार्ज को 5 प्रतिशत से घटाकर 1.5 प्रतिशत कर दिया जाए। हर साल जलमूल्य में की जाने वाली 15 प्रतिशत वृद्धि के संबंध में उन्होंने कहा कि 4 टोंटियों तक जलमूल्य में केवल 9 प्रतिशत वृद्धि की जाए। जलनिगम व जलसंस्थान बेहतर तकनीक का उपयोग करते हुए अपनी योजनाओं की निर्माण लागत में कम से कम 10 प्रतिशत तक कमी लाएं। जहां तक सम्भव हो, ग्रेविटी आधारित पेयजल योजनाएं बनाई जाएं।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने यूजेवीएनएल को निर्देश दिए कि 4-5 स्थानों पर ग्राम पंचायतों को अपने साथ लेते हुए 2 मेगावाट तक की माइक्रो हाईडिल परियोजनाएं पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर बनाएं। सिंचाई विभाग भी कुछ स्थानों पर 1-2 मेगावाट की जलविद्युत परियोजनाएं बनाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने प्रस्तावित जलकर के संबंध में निर्देश दिए कि इस तरह की व्यवस्था सुनिश्चित कर ली जाए कि परियोजनाओ ंपर जलकर लगाने से बिजली उपभोक्ताओं पर भार न पड़े। उन्होंने कहा कि मोबाईल टावरों, आॅप्टिकल फाईबर, केबल इंडस्ट्री आदि से किस तरह से संसाधन जुटाए जा सकते हैं, पूरा अध्ययन कर लिया जाए। करारोपण व करों की वसूली की प्रक्रिया का कम्प्यूटरीकरण सुनिश्चित किया जाए। विद्युत विभाग ट्रांसमिशन लाॅस में प्रति वर्ष कम से कम 1 प्रतिशत की कमी लाए। बताया गया कि जलविद्युत परियोजनाओं पर जलकर लगाने की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। इसमें जम्मू कश्मीर माॅडल को लिया गया है। हालांकि वहां की तुलना में यहां जलकर की राशि काफी कम होगी। प्रदेश में जलकर की दर का निर्धारण वाटर हेड के आधार पर किया जाना है।
खनन विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि रिटेलर्स पर रोक लगाए जाने से जहां सरकार को आय का नुकसान हो रहा है वहीं भवन निर्माण सामग्री भी महंगी हो रही है। इसलिए खनन में रिटेल लाईसेंस की पाॅलिसी बनाई जाए। खनन कार्यों पर चेकिंग व्यवस्था को अधिक दुरूस्त किया जाए। इन्वर्ड-आउटवर्ड रजिस्टरों की चेकिंग की फ्रिक्वेंसी बढ़ाई जाए। खनन एक्ट में तहसील स्तर पर किस तरह से विजीलेंस को अधिक पुख्ता किया जा सकता है , इसके तमाम पहलुओं पर विचार कर लिया जाए।  रेता बजरी लाने वाले ओवरलोडिंग वाहनों के चालान का अधिकार आरटीओ के साथ ही पुलिस को भी दिया जाए। प्रमुख नाकों पर सरविलांस सिस्टम स्थापित किया जाए। वन क्षेत्रों में अवैध खनन की गतिविधियों को रोकने के लिए आवश्यक होने पर वन विभाग को अधिक शक्तियां प्रदान की जा सकती हैं। पत्थर व स्लेट की अनुमति लघु खनिज के तहत दिए जाने की सम्भावना देखी जाए। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि नदियों के साथ बहकर आने वाले छोटे बोल्डरों व पत्थरों को पाॅलिश करके मार्बल या ग्रेनाईट की तरह भवन निर्माण में किए जाने की सम्भावना का भी अध्ययन किया जाए।

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