देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश में जलागम प्रबंध के अन्तर्गत केन्द्र पोषित, बाह्य सहायतित एवं राज्य सेक्टर के अधीन वित्त पोषित, समेकित जलागम प्रबन्ध, परियोजना विकेन्द्रीकृत विकास परिययोजना समेकित आजीविका सहयोग परियोजना एवं जलागम प्रबन्ध कार्यक्रमो के प्रभावी क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण के लिये जनपद, मण्डल एवं राज्य स्तर पर अविलम्ब पर्यवेक्षण समिति गठित करने के निर्देश दिये है। उन्होने इस समिति में स्थानीय व्यक्तियों, स्टेक होल्डर एवं तकनीकि दक्षता वाले व्यक्ति को सदस्य नामित करने के भी निर्देश दिये। उन्होने कहा कि ग्रामीण एवं क्षेत्रीय विकास से जुडी इन योजनाओं का क्रियान्वयन धरातल पर दिखाई दे तथा योजनाओ एवं संसाधनो का लाभ स्थानीय जनता को उपलब्ध हो यह सुनिश्चित किया जाय।
सचिवालय में गुरूवार को देर सांय जलागम प्रबन्ध के अन्तर्गत संचालित योजनाओं की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने संचालित किये जा रहे कार्यक्रमों से सम्बंधित योजनाओं का केटलॉग तैयार कर विधायकों को भी उपलब्ध कराने को कहा। उन्होने कहा कि यदि हम 20 प्रतिशत वर्षा जल का भी संचय करसके तो यह प्रदेश के लिए बड़ी बात होगी। जल संवर्धन एवं भूमि संरक्षण के प्रति विशेष ध्यान देने पर बल देते हुए इन क्षेत्रों की इमेंजिंग बनाने की भी बात उन्होने कही। विभिन्न जल धाराओं व ढलान वाले क्षेत्रो को भी चिन्हित करने तथा इन क्षेत्रों में तालाब व ट्रेंचेज बनाये जाय। उन्होने योजना आधारित गांवो का डाटाबेस भी तैयार करने को कहा। वृक्षारोपण के लिये भी क्षेत्रों का चिन्हिकरण किया जाय, बछुवाबाण से चौखुटिया तक तुन रोपण क्षेत्र विकसित किया जाय, जंगल से जुडे क्षेत्रो में किनगौड़ा, भीमल, घिंघारू, हिसोल, मेहल, बेडू, अखरोट आदि के पेड लगाये जाय।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि जंगलो में मडुआ, झंगोरा गहत आदि के बीजो का छिडकाव किया जाय ताकि जंगली जानवरो को जंगलो में ही खाने की व्यवस्था हो। उन्होने 10 काफल व 10 बुरांश के पार्क भी विकसित करने को कहा। उन्होने कहा कि प्राकृतिक वस्तुओं का इन्ही क्षेत्रो में उत्पादन पर ध्यान देना होगा। वनाधिकारियो को गांव वालो से सम्पर्क कर स्थानीय उत्पादों के संरक्षण पर भी ध्यान देना चाहिए। ढलान वाले क्षेत्रो में रामबांस का रोपण किया जाय इससे चीड को फैलने से भी रोका जा सकेगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने पर्वतीय कृषि को बढ़ावा देने के लिए आजीविका के तहत कृषकों को छोटे हैंड ट्रेक्टर, पावर ट्रिलर, मंडुआ थ्रेसर आदि उपलब्ध कराने को कहा। पशुपालन एवं दुग्ध विकास को बढ़ावा देने के लिए जानवरो के हेल्थ कैम्प के आयोजन सघन, दुग्ध उत्पादन क्षेत्रो में महिलाओं को चीज बनाने की मशीन उपलब्ध कराने के भी निर्देश उन्होने दिए।
उन्होने इन योजनाओं से जुडे फेडरेशनो का सम्मेलन भी आयोजित कराने को कहा। इस सम्मेलन में स्वंय मुख्यमंत्री श्री रावत भी उपस्थित होकर उनकी समस्याओं एवं सुझावों की जानकारी प्राप्त करेंगे।
बैठक में विधायक एवं सभा सचिव मदन बिष्ट, गणेश गोदियाल, मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार रणजीत रावत, मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, सचिव आनन्द वर्धन, अमित नेगी, डी0एस0गर्ब्याल, सी0एस0नपलच्याल, अपर सचिव विनय शंकर पाण्डे आदि उपस्थित थे।