आवासन एवं शहरी कार्य और पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने नई और नवीनतम कम कार्बन वाली प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन देने का आह्वान किया, जिनसे सभी के लिए घर, सभी के लिए सेवाओं की डिलिवरी, सभी को बेहतर परिवहन सुनिश्चित हो और टिकाऊ शहरी विकास में जनता को सबसे आगे रखा जाए। वह विश्व पर्यावास दिवस, 2021 के उपलक्ष्य में “कार्बन मुक्त विश्व के लिए शहरी कार्यवाही में तेजी लाना”विषयवस्तु पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम में एमओएचयूए सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा, एमओएचयूए में अतिरिक्त सचिव श्री सुरेंद्र कुमार बागड़े, यूएन एजेंसियों, राज्यों और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
जलवायु परिवर्तन का सामना करने और दीर्घकालिक आर्थिक विकास की नींव रखने की दिशा में मोदी सरकार के समेकित और एकीकृत प्रयासों की सराहना करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज व्यापक स्तर पर हो रहे शहरी परिवर्तन और जिस तरह से सरकार ने बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप के साथ खुद को जलवायु के साथ जोड़ा है, उससे हमारी प्रतिबद्धता का पता चलता है।
श्री पुरी ने कहा कि आज की विषयवस्तु “कार्बन मुक्त विश्व के लिए शहरी कार्यवाही में तेजी लाना”न सिर्फ उपयुक्त है, बल्कि भारत के संदर्भ में यह उचित भी है। वैश्विक स्तर पर शहरी स्तर पर भीड़ बढ़ने से शहरों में ऊर्जा की मांग बढ़ी है, जिसकी पहले से वैश्विक ऊर्जा खपत में 78 प्रतिशत और ग्रीनहाउस गैस (सीएचजी) उत्सर्जन में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन मानव बस्तियों विशेष रूप से कमजोर और गरीब लोगों के लिए खतरा बढ़ाता है। ये लोग मौसमी घटनाओं के सबसे ज्यादा संपर्क में आते हैं। 2019 में भारत, जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला 7वां देश रहा, जिसका सबसे ज्यादा असर उसके शहरों पर पड़ा।
भारतीय शहरों के लिए आर्थिक और पर्यावरणीय आवश्यकताओं पर बोलते हुए, श्री पुरी ने कहा कि भारत का ग्रीनहाउस गैसों का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन अन्य विकसित देशों की तुलना में काफी कम है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 1870-2017 के दौरान भारत का कुल सीओ2 उत्सर्जन काफी कम है- यह सिर्फ 3 प्रतिशत है, जबकि इसकी तुलना में अमेरिका का 25 प्रतिशत, ईयू और यूके का 22 प्रतिशत व चीन का 13 प्रतिशत है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत का लक्ष्य ऐसा आर्थिक विकास हासिल करना है, जो विकसित अर्थव्यवस्थाओं ने अतीत में अपने भारी औद्योगीकरण पैटर्न के माध्यम से हासिल किया है, हालांकि भारत के लिए विकास के इस रास्ते का अनुसरण करना जरूरी नहीं है क्योंकि हम पर्यावरणीय लागत से अवगत हैं।भारत देश के बदलाव में अपने शहरों के महत्व को स्वीकार करता है, क्योंकि भारत के शहरी क्षेत्रों द्वारा 2030 तक राष्ट्रीय जीडीपी का 70 प्रतिशत योगदान किए जाने का अनुमान है। हमें अपनी आर्थिक आकांक्षाओं और हमारे पर्यावरणीय दायित्वों दोनों को साकार करना है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत में एसडीजी लक्ष्यों विशेष रूप से लक्ष्य 11 और लक्ष्य 13 को हासिल करने के लिए कम कार्बन वाले शहरों की योजना बनाना आवश्यक होगा। उन्होंने कहा कि यदि एसडीजी में सफलता मिलती है तो यह भारत की सफलता की वजह से होगा। भारत के योगदान के बिना वैश्विक लक्ष्यों को हासिल करना संभव नहीं है।
जलवायु कदमों में भारत के शहरी मिशन के योगदान पर, श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लॉन्च स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्मार्ट सिटी मिशन, शहरी परिवहन और अमृत जैसे शहरी मिशनों ने जीएचजी उत्सर्जन में कमी लाने में पर्याप्त योगदान किया है। ये मिशन न सिर्फ सबसे ज्यादा समग्र शहरीकरण कार्यक्रमों का हिस्सा रहे थे, बल्कि वे जलवायु परिवर्तन पर हमारी प्रतिक्रिया के सबसे महत्वपूर्ण अंग भी रहे हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत आवासों के निर्माण में टिकाऊ और ऊर्जा कुशल विधियों के उपयोग पर, उन्होंने कहा कि प्रमाणित हरित इमारतें 20-30 प्रतिशत के बीच ऊर्जा और 30-50 प्रतिशत पानी की बचत कर सकती हैं। मिशन के तहत बने 16 लाख से ज्यादा घरों में आज हरित प्रौद्योगिकियों का उपयोग हो रहा है और इससे पीएमएवाई मिशन के तहत 2022 तक 1.2 करोड़ टन सीओ2 के बराबर सीएचजी उत्सर्जन में कमी लाने में सहायता मिलेगी। पीएमएवाई में ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज के माध्यम से कम कार्बन वाली निर्माण तकनीकों को प्रोत्साहन दिया गया है, जहां लगभग 1-1 हजार घरों वाली छह लाइट हाउस परियोजनाओं (एलएचपी) का निर्माण किया जा रहा है।
श्री पुरी ने कहा कि भारत राष्ट्रों के समूह में सबसे अलग है, क्योंकि उसने बहुत कम समय में 100 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य हासिल कर लिया है। कोविड-19 के दौरान, हम स्वनिधि योजना के माध्यम से लाखों रेहड़ी पटरी वालों तक पहुंचने में सक्षम रहे थे। देश को स्वच्छ बनाने के महात्मा गांधी के विजन को स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के साथ सभी शहरों को ओडीएफ से मुक्त बनाकर अब पूरा कर दिया गया है। एसबीएम के दूसरे चरण में शहरों को कचरे से मुक्त बनाया जाएगा। ठोस कचरे का प्रसंस्करण पहले ही लगभग 70 प्रतिशत बढ़ गया है और एसबीएम-2.0 के माध्यम से इसे 100 प्रतिशत हासिल कर लिया जाएगा।
शहरी परिवहन प्रणाली पर, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम लोगों के इधर-उधर जाने में विश्वास करते हैं लेकिन ऐसा कारों से नहीं हो और इसके लिए हम मेट्रो ट्रेनों जैसी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का विस्तार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, 18 शहरों में 721 किलोमीटर मेट्रो लाइन परिचालन में हैं और देश के 27 शहरों में 1,058 किलोमीटर का नेटवर्क निर्माणाधीन है, जिससे उत्सर्जन की चिंता में कमी आएगी।
एमओएचयूए सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि जलवायु सुरक्षित विश्व तैयार करने में शहरी केंद्र काफी अहम हैं। ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहर ऊर्जा पर ज्यादा निर्भर हैं और इसका पारिस्थितिकी पर खासा असर दिखता है। उन्होंने कहा कि शहरीकरण में बढ़ोतरी से सार्वजनिक परिवहन, व्यावसायिक और औद्योगिक गतिविधियों के लिए मांग बढ़ती है और खाली शहरी जमीन पर अनचाहा दबाव बढ़ाता है।
श्री मिश्रा ने कहा कि हाल के वर्षों में भारतीय शहर जलवायु परिवर्तन की चुनौती को स्वीकार करते हुए पैदल चलने, साइकिल चलाने, सार्वजनिक परिवहन और छोटे आवागमन की ओर रुख कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश सीओपी-21 प्रतिबद्धताओं के लिए प्रतिबद्ध है और नवीनीकरण ऊर्जा की हिस्सेदारी में सुधार, ऊर्जा दक्षता बढ़ाकर, निर्माण के लिए स्थानीय सामग्रियों के उपयोग, सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकियों को अपनाकर और जलवायु लचीली व टिकाऊ प्रक्रियाओं को अपनाकर इस दिशा में प्रयास कर रहा है।
विश्व पर्यावास दिवस 2021 के अवसर पर, हुडको, बीएमटीपीसी और एनबीसीसी जैसे एमओएचयूए के तहत आने वाले संगठनों के कई ई-प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया।