नई दिल्लीः उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि सकल राष्ट्रीय आय के साथ-साथ हमें इस बात पर फोकस करना चाहिए कि कैसे विज्ञान और अधिक प्रौद्योगिकी खुशहाली और बेहतर जीवन ला सकती है। उपराष्ट्रपति आज कोच्चि में आदि शंकर इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान में आदि शंकर युवा वैज्ञानिक पुरस्कार 2018 प्रदान करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर केरल के राज्यपाल न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) पी शतशिवम तथा अन्य अतिथि उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आदि शंकर युवा वैज्ञानिक पुरस्कार 2018 हमारे युवा भारत में जिज्ञासा, सरलता और नवाचारी पहल का साक्षी है। उन्होंने कहा कि इस आशा और विश्वास के साथ भारत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में फिर से अपना उचित स्थान प्राप्त करने में सक्षम होगा। उन्होंन कहा कि हमारे देश में मानवीय ज्ञान में प्रगति जानने की भावना, प्रश्न करने की सक्षमता, अनुसंधान योग्यता और सत्य के निष्कर्ष पर पहुंचने की सक्षमता के कारण हुई है।
उपराष्ट्रपति ने उत्कृष्टता के लिए तीन गुणो की चर्चा की पहला गुण है – प्रत्येक व्यक्ति संस्थान और संसाधन से जानने की उत्सुकता, दूसरा परख, विश्लेषण की क्षमता और तीसरा गुण नए समाधान के लिए खोज करना है ताकि समस्या का निराकरण हो सके।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आदि शंकर न केवल महान दार्शनिक थे बल्कि असाधारण कवि भी थे। उन्होंने कहा कि आदि शंकर ने अद्वैत दर्शन की व्याख्या की जिसके अनुसार ज्ञान के माध्यम से मानव लौकिक हो सकता है और अंतिम लक्ष्य सतचित आनंद का अनुभव करना है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि ज्ञान हमें चतुर बनाता है और अपने जीवन में सुधार के लिए चतुराई के साथ ज्ञान का उपयोग करना होगा। उन्होंने कहा कि हम सभी आखिरकार आनंद की इच्छा रखते हैं और इसीलिए हम सकल राष्ट्रीय खुशहाली की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें श्रेष्ठ भारतीय परंपरा से प्रेरणा लेनी चाहिए और पुरनी अनुपयोगी बातों का त्याग करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और कहा कि इस तरह के पुरस्कार हमारी शिक्षा प्रणाली का हिस्सा हो गए हैं।