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हम मार्च 2019 तक गंगा को 70 से 80 प्रतिशत स्वच्छ बनाने की आशा रखते हैं: नितिन गडकरी

देश-विदेश

 नई दिल्लीः “हम मार्च 2019 तक गंगा को 70 से 80 प्रतिशत स्वच्छ बनाने की उम्मीद करते हैं। यह एक सामान्य धारणा है कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं किया जा रहा है, लेकिन यह सही नहीं है। 251 प्रदूषणकारी उद्योगों (जीपीआई) को बंद किया गया है और जीपीआई के नियमों की अवहेलना करने के लिए उद्योगों को बंद करने के निर्देश जारी किए गए हैं” उक्त बातें  केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज नई दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। यह संवाददाता सम्मेलन वीडियो के जरिये पटना, वाराणसी, लखनऊ और कानपुर से जुड़ा था। मंत्री महोदय ने कहा कि 938 उपक्रमों में वास्तविक समय पर प्रदूषण की निगरानी की जा रही है। 211 ऐसे नालों की पहचान की गई है जो गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं। नाले के पानी के परिशोधन के लिए 20 एसटीपी निर्मित किए गए हैं।

केन्द्रीय पेयजल व स्वच्छता मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा कि गंगा तट पर स्थित लगभग 4470 गांव खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) हो गए है। हम लोग अब ओडीएफ प्लस की रणनीति के तहत कार्य कर रहे हैं। ठोस-द्रव अपशिष्ट प्रबंधन, वृक्षारोपण, गांवों व शहरों को प्लास्टिक मुक्त बनाना तथा जन जागरूकता अभियान चलाना जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। सुश्री भारती ने कहा कि हमारा मंत्रालय गंगा ज्ञान परियोजना पर काम कर रहा है, जो गंगा तट पर बसे गांव के सम्पूर्ण विकास पर आधारित है। गंगा ग्राम में जैविक खेती, संरक्षण परियोजना, ठोस व द्रव अपशिष्ट का उचित निपटान तथा तालाबों के पुनर्रुद्धार पर विशेष जोर दिया जाएगा।

नमामि गंगे एक वृहद कार्यक्रम है जिसमें गंगा सरंक्षण से संबंधित सभी पुरानी व वर्तमान की परियोजनाओं को शामिल किया गया है। इस कार्यक्रम के लिए 20,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। इस कार्यक्रम का कार्यान्वयन अगले पांच वर्षों तक किया जाएगा और यह दिसम्बर 2020 को समाप्त होगा।

‘नामिम गंगे कार्यक्रम’ के तहत सीवर अवसंरचना, घाटों व श्मशान स्थलों का विकास, नटी तट विकास, नदी सतह की साफ-सफाई, जैव विविधता सरंक्षण, वानिकीकरण, ग्रामीण स्वच्छता जैसी गतिविधियों पर आधारित कुल 195 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

195 में से 102 परियोजनाओं के तहत 2369 एमएलडी क्षमता के नये सीवर शोधन संयंत्रों का निर्माण किया जाएगा, 887 एमएलडी क्षमता वाले संयंत्रों की मरम्मत की जायेगी तथा गंगा व यमुना में प्रदूषण को कम करने के लिए 4722 किलोमीटर लम्बा सीवर नेटवर्क बनाया जायेगा। एक महत्वपूर्ण पहल के तहत 2 एसटीपी परियोजनाएं (वाराणसी और हरिद्वार) हाईब्रिड एनयुटी पीपीपी मोड (एचएएम) के तहत चलाई जा रही है। एचएएम के तहत मंजूर की गई परियोजनाएं हैं- उत्तर प्रदेश में नैनी, झुसी, फाफमाऊ, उन्नाव, शुक्लगंज, मथुरा, कानपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर और फररुखाबाद; बिहार में दीघा, कंकड़बाग और भागलपुर; पश्चिम बंगाल में हावड़ा, बाली और टॉली नाला (कोलकाता),कमरहटी और बड़ानगर।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत ‘एक नगर एक संचालक’ को अपनाया गया है। इसके अंतर्गत सात शहरों (कानपुर, इलाहाबाद, पटना, हावड़ा, भागलपुर, मथुरा और कोलकाता) के एसटीपी परियोजनाओं को एकीकृत किया गया है और एचएएम के तहत निविदा जारी की गई है। चार (कानपुर, इलाहाबाद, मथुरा और कोलकाता) के लिए निविदाएं जारी की जा चुकी हैं। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत उन दस शहरों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जिनके द्वारा कुल सीवर का 64 प्रतिशत प्रवाहित होता है।

नदी तट विकास के तहत 152 घाटों तथा 54 श्मशान घाटों का विकास किया जा रहा है और इसके 2018 तक पूरे होने की उम्मीद है। इसकी अनुमानित लागत 683.32 करोड़ रुपये है। 254.52 करोड़ रुपये की लागत से पटना नदी तट विकास परियोजना पूरी होने के अंतिम चरण में है। इसके तहत 20 घाटों तथा 6.6 किलोमीटर लम्बा टहलने का मार्ग विकसित किया जा रहा है।

नमामि गंगे के तहत पानी की गुणवत्ता जांच के लिए 44 जल गुणवत्ता निगरानी प्रतिष्ठानों का संचालन किया जा रहा है।

वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत गंगा बेसिन में पांच करोड़ से ज्यादा पौधे लगाये गये हैं। उत्तराखंड में 31 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। 13 परियोजनाएं पूरी हो चुकी है और शेष 18 निर्माण के विभिन्न चरणों पर है। जून 2018 तक ऋषिकेश, नवंबर 2018 तक जोशीमठ, श्रीनगर, हरिद्वार और दिसंबर 2018 तक बद्रीनाथ, चमोली, नंदप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, हरिद्वार में परियोजनाएं पूरी होने की संभावना है।

उत्तरप्रदेश में 30 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। 8 परियोजनाएं पूरी हो चुकी है। 03 के निविदाओं की जांच की जा रही है। 10 के लिए निविदाएं जारी की जायेंगी। इलाहाबाद, गढ़मुक्तेश्वर, कन्नौज, अनूपशहर व नरोरा में परियोजनाएं पूरी हो चुकी है। इलाहाबाद (सी एवं ई), मुरादाबाद, वाराणसी, कानपुर में परियोजनाएं शीघ्र ही पूरी हो जायेंगी। चुनार और मथुरा की निविदाओं की जांच की जा रही है।

बिहार में 20 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 10 परियोजनाओं पर काम प्रगति पर है। 04 परियोजनाओं का मूल्यांकन किया जा रहा है। 06 परियोजनाओं के लिए निविदाएं जल्द ही जारी की जायेंगी। बक्सर तथा पटना के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य प्रगति पर है। बाढ़, सुल्तानगंज, मोकामा, नौगछिया के लिए निविदाएं प्राप्त की जा चुकी है। भागलपुर, दीघा और कंकड़बाग (पटना) के लिए निविदाएं जारी की जायेंगी।

झारखंड के साहिबगंज में दो परियोजनाएं प्रगति पर हैं जहां 12 एमएलडी क्षमता वाले एक एसटीपी, 55 किलोमीटर लम्बे सीवर का निर्माण किया जा रहा है। यह परियोजना दिसंबर 2018 तक पूरी हो जायेगी। राजमहल परियोजना को हाल ही में मंजूरी दी गई है। इसके तहत 3.5 एमएलडी एसटीपी तथा 34 किलोमीटर लम्बे सीवर का निर्माण किया जायेगा। इसके जून 201 9 तक पूरा होने की संभावना है।

पश्चिम बंगाल में 15 परियोजनाएं मंजूर की गई हैं। इनमें से 2 परियोजनाओं को पूरा कर लिया गया है। चार परियोजनाओं पर काम प्रगति पर है जबकि चार अन्य निविदा की प्रक्रिया में हैं। पांच परियोजनाओं के लिए निविदाएं जारी की जायेंगी।

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