केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने आज विशाखापत्तनम के बाविकोंडा में स्थित बौद्ध परिसर में पर्यटन परियोजना का दौरा किया और भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित विभिन्न पर्यटन परियोजनाओं की समीक्षा की। हवाई अड्डे पर मीडिया को संबोधित करते हुए, मंत्री महोदय ने कहा कि, “विभिन्न कारकों जैसे कि कोविड-19 और अतीत में समुद्री चक्रवातों के कारण से पर्यटन स्थल के रूप में विजाग का विकास नहीं हो सका। हम अब एक पर्यटन स्थल के रूप में विजाग की क्षमता का अनुभव कराने के लिए मिशन मोड में काम करेंगे ।
केंद्रीय मंत्री ने रुशिकोंडा-भीमली बीच रोड स्थित बाविकोंडा बौद्ध परिसर का निरीक्षण किया।परियोजना को शालिहुंडम-थोटलाकोंडा-बाविकोंडा-बोज्जानकोंडा- अमरावती-अनुपु बौद्ध सर्किट के एक हिस्से के रूप में विकसित किया जा रहा है और स्वदेश 2.0 पर्यटन परियोजना के एक हिस्से के रूप में 26.17 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई । मंत्री महोदय के साथ आंध्र प्रदेश के पर्यटन मंत्री श्री अवंती श्रीनिवास भी थे। राज्य सरकार और भारत पर्यटन के अधिकारी भी इस दौरे में शामिल हुए।
श्री जी किशन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश के पर्यटन मंत्री श्री अवंति श्रीनिवास के साथ विशाखापत्तनम पोर्ट ट्रस्ट, क्रूज टर्मिनल और क्रूज पर्यटन की समीक्षा बैठक भी की। विशाखापत्तनम के बाहरी बंदरगाह में चैनल बर्थ क्षेत्र में क्रूज सह तटीय कार्गो टर्मिनल का निर्माण पर्यटन बुनियादी ढांचा विकास योजना के लिए केंद्रीय एजेंसियों को सहायता के माध्यम से पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रदान किए जा रहे वित्त पोषण के 50% के साथ 77 करोड़ रुपये की लागत से कार्यान्वित किया जा रहा है ।
श्री जी किशन रेड्डी ने कहा, “हम विजाग के इस खूबसूरत समुद्र तटीय शहर को न केवल एक विश्व पर्यटन स्थल के रूप में बल्कि व्यापार और वाणिज्य के केंद्र के रूप में भी विकसित करेंगे।” केंद्रीय मंत्री ने सभी हितधारकों को आश्वासन दिया कि सरकार उद्योग को पुनर्जीवित करेगी और पर्यटन के बुनियादी ढांचे के विकास का समर्थन करेगी ।
आंध्र प्रदेश राज्य के पर्यटन मंत्री श्री अवंति श्रीनिवास सहित श्री जी किशन रेड्डी के साथ अनाकापल्ली की सांसद श्रीमती बी वी, आंध्र प्रदेश राज्य पर्यटन निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, जिला अधिकारी और अन्य राज्य के अधिकारी भी उपस्थित थे। बंदरगाह के अध्यक्ष और बंदरगाह के अधिकारियों, जनजातीय संग्रहालय के अधिकारियों, भारत पर्यटन अधिकारियों, पुरातत्व सर्वेक्षण अधिकारियों और राज्य में रेलवे के अधिकारियों ने भी इस दौरे में भाग लिया।