केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि भारत ने दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य पूर्व के देशों में मौसम और जलवायु सेवाएं प्रदान करने के लिए एशियाई महाद्वीप में अग्रणी भूमिका निभाई है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के 147वें स्थापना दिवस के अवसर पर प्रशासकों, वैज्ञानिकों और प्रबुद्ध विद्वानों को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2016 से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कई देशों को उपलब्ध कराई जा रही मौसम की गंभीर चेतावनी की जानकारी ने एक लंबा सफर तय किया है और गंभीर जलवायु आपदाओं से लड़ने में नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों के लिए इसके प्रयोग को आसान बनाया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के सार्क उपग्रह का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आने वाले दिनों में भारत मौसम विज्ञान विभाग वैश्विक जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी मौसम और जलवायु सेवाओं में आधुनिक तरीके से बदलाव करेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय हाई रेजोल्यूशन मॉडल अपनाने के अलावा स्थानीय पूर्वानुमान तन्त्र को सुदृढ़ करने के लिए बड़े पैमाने पर ड्रोन आधारित ऑब्जर्वेशन टेक्नोलॉजी की तैनाती और उसका उपयोग करेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पूर्वानुमान और सूचना में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा को समझने में आसान बनाया जाए और प्रत्येक नागरिक द्वारा आसानी से उपयोग किया जाएगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार भारत मौसम विज्ञान विभाग को एक विश्व स्तरीय संगठन बनाने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि आम आदमी को मौसम के हिसाब से और जलवायु के अनुरूप उचित निर्णय लेने में सक्षम बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि कृषि, स्वास्थ्य, जल, ऊर्जा और आपदा प्रबंधन जैसे 5 महत्वपूर्ण क्षेत्रों से प्रभावित प्रत्येक पहलू का भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा प्रभावी ढंग से ध्यान रखा जा रहा है।
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उपराज्यपाल श्री आर.के. माथुर, लद्दाख के सांसद श्री जामयांग सेरिंग नामग्याल, डॉ. एम. रविचंद्रन, सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष डॉ. के सिवान, भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ. एम. महापात्रा, वैज्ञानिक और आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. एस डी अत्री, आईएमडी के पूर्व डीजीएम और अन्य सेवानिवृत्त अधिकारियों और एमओईएस संस्थानों के निदेशकों, गणमान्य व्यक्तियों, अधिकारियों, वैज्ञानिकों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बेहतर अनुसंधान और परिचालन विश्लेषण के लिए लेह, मुंबई, दिल्ली और चेन्नई में चार डॉपलर मौसम रडार राष्ट्र को समर्पित किए। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि आज के उद्घाटन के साथ ही भारत मौसम विज्ञान विभाग नेटवर्क में राडारों की संख्या 33 तक पहुंच गई हैI उन्होंने आईएमडी से आग्रह किया कि वह अपने नियंत्रण में सभी संसाधनों यानी उपग्रहों, रडार, कंप्यूटर, उन्नत मॉडल और मानव संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करे। डॉ. सिंह ने कहा कि स्वचालित मौसम स्टेशनों, डॉपलर मौसम रडार और मौसम उपग्रहों जैसे आधुनिक अवलोकन प्लेटफार्मों को बढ़ाने से मौसम और जलवायु सेवाओं को और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
पिछले पांच वर्षों की तुलना में हाल के पांच वर्षों में भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा प्रतिकूल मौसम चेतावनी की सटीकता में लगभग 20 से 40 प्रतिशत सुधार का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि उच्च तापमान और हीट वेव की स्थिति के पूर्वानुमान के परिणामस्वरूप हाल के वर्षों में हीट वेव के कारण होने वाली मृत्यु की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है। उन्होंने आने वाले वर्षों में सभी एजेंसियों से हीट वेव की स्थिति से होने वाली मौतों को शून्य पर लाने का आह्वान किया ।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अपनी कई सेवाओं को अपग्रेड करने के साथ डिजिटलीकरण किया है और कृषि, पानी, स्वास्थ्य, बिजली, ऊर्जा, खनन, आपदा जोखिम में कमी और कई अन्य क्षेत्रों के लिए इनके परिणाम कम समय सीमा में निकट-सटीक पूर्वानुमान, चक्रवातों और उनके ट्रैक की अग्रिम भविष्यवाणी, क्षेत्र-विशिष्ट मौसम सेवाओं के विस्तार के रूप में स्पष्ट हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत मौसम विज्ञान विभाग और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को स्थापना दिवस और मकर संक्रांति के लिए शुभकामनाएं दीं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वैज्ञानिक दृष्टिकोण और दूरदृष्टि देश के मौसम पूर्वानुमान और जलवायु सेवाओं के उन्नयन के साथ-साथ नवीनतम कंप्यूटिंग क्षमताओं और बुनियादी ढांचे को प्रदान करने के लिए एक वरदान साबित हुई है। उन्होंने बताया कि नवंबर, 2021 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने वायुमंडलीय और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिंग अवलोकन प्रणालियों और सेवाओं को जारी रखने के लिए 2,135 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस योजना के अंतर्गत 2021 से 2026 तक आठ उप-योजनाएं लागू की जाएंगी और आईएमडी पूर्वानुमान प्रणाली के उन्नयन, मौसम और जलवायु सेवाएं, वायुमंडलीय अवलोकन नेटवर्क, मानसून और बादलों का अध्ययन और देश में पोलारिमेट्रिक डॉपलर मौसम रडार की स्थापना और उसे चालू करने जैसी पांच उप-योजनाओं में प्रमुख रूप से योगदान देगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने जनता के माध्यम से अवलोकनों को संग्रहित करने के लिए क्राउड जैसे नए मंच का उद्घाटन किया और इस प्रकार नागरिक विज्ञान में एक नया अध्याय की शुरूआत हुई जो विज्ञान और समाज के बीच एक सेतु का काम करेगा। उन्होंने कहा की आज भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा शुरू की गई वेब आधारित जीआईएस सेवाएं जनता, आपदा प्रबंधकों और हितधारकों के लिए आपदाओं को कम करने के समय पर प्रतिक्रिया कार्रवाई शुरू करने में बहुत सहायक होंगी। उन्होंने रेखांकित किया कि आईएमडी द्वारा जारी प्रभाव आधारित पूर्वानुमान जन-धन की हानि को कम कम से कम करने में मदद कर रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हाल की घटनाओं ने हमें मौसम, जलवायु और पानी से संबंधित आपदाओं के प्रति हमारे समाज की भेद्यता की याद दिला दी है और हाल ही में आईएमडी द्वारा अतीत में प्रदान किए गए सटीक पूर्वानुमान के कारण बेहतर मौसम और जलवायु सेवाओं के लिए समाज की अपेक्षाओं में काफी वृद्धि हुई है। यह रेखांकित करते हुए कि भारत के चक्रवात पूर्वानुमान को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय निकायों द्वारा सराहा गया है, डॉ. सिंह ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग ने लू, शीत-लहर, भारी बारिश, चक्रवात और गरज जैसी चरम स्थितियों के लिए जिला-स्तरीय वल्नरेबिलिटी एटलस तैयार किया है। उन्होंने कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि यह एटलस आपदा प्रबंधन निकायों को वर्षों से एकत्रित जानकारी के आधार पर जोखिम मूल्यांकन में मदद करेगा।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने उन सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी जिन्होंने कोविड-19 महामारी के बावजूद निष्ठा के साथ मौसम विज्ञान से जुडी सेवाओं में सुधार के लिए अपना कर्तव्य निभाया है। उन्होंने आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान आयोजित मौसम और जलवायु पर प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले छात्रों की भी सराहना की।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ.एम. रविचंद्रन ने अपने संबोधन में कहा कि आईएमडी ने विभिन्न संचार चैनलों जैसे इंटरनेट (वेबसाइट और ई-मेल), समाचार पत्र, टेलीविजन, संबंधित नियंत्रण कक्ष और संबंधित सरकारी अधिकारियों के साथ रेडियो, मोबाइल और हॉट लाइन टेलीफोन कनेक्शन का उपयोग करके विभिन्न हितधारकों के लिए मौसम और जलवायु पूर्वानुमान के प्रसार के लिए एक प्रभावी तंत्र स्थापित किया है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत मौसम विज्ञान विभाग ने मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किए हैं और मौसम की जानकारी के बड़े पैमाने पर प्रसार के लिए फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा रहा है तथा ब्लॉक स्तर पर इसकी एग्रोमेट एडवाइजरी खेती के विभिन्न चरणों के दौरान करोड़ों किसानों द्वारा प्रभावी ढंग से उपयोग की जाती है साथ ही इन सेवाओं का विस्तार भी किया जा रहा है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ. एम. महापात्रा ने कहा कि हाल के वर्षों में अचानक आने वाली बाढ़ और शहरी क्षेत्रों में बाढ़ ने समाज के लिए नए खतरे पैदा कर दिए हैंI इसको देखते हुए आईएमडी ने पश्चिमी हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों और दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों में डॉपलर मौसम रडार स्थापित करने जैसे पर्याप्त उपाय शुरू किए हैं। उन्होंने कहा कि आईएमडी अगले 5 वर्षों के दौरान अन्य शहरों और पूर्वोत्तर राज्यों में ऐसे रडार लगाने की योजना बना रहा है। उन्होंने आगे कहा कि इस योजना में चेन्नई और मुंबई के लिए शहरी बाढ़ चेतावनी प्रणाली और देश में 30,000 जलग्रहण क्षेत्रों के लिए अचानक बाढ़ आने से जुड़े दिशा निर्देश (फ्लैश फ्लड गाइडेंस) शामिल हैं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के पास 1864 में कलकत्ता से टकराने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवात की पृष्ठभूमि के साथ ही 1866 और 1871 में मानसून की विफलता के कारण पड़े अकाल के बाद 147 वर्ष पूर्व 15 जनवरी 1875 को इस विभाग की स्थापना के बाद मौसम और जलवायु रिकॉर्ड बनाए रखने और मौसम की निगरानी और भविष्यवाणी करने की विरासत है। अपनी स्थापना के बाद इन 147 वर्षों के दौरान विभाग ने मौसम संबंधी खतरों के खिलाफ और देश के आर्थिक विकास के लिए भारतीय जनमानस की सुरक्षा और भलाई के लिए काम किया है। यह सरकार के उन कुछ विभागों में से एक है जिनकी सेवाएं जीवन के लगभग हर पहलू और अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को छूती हैं।