नई दिल्ली: सीएसआईआर-सीएमईआरआई, दुर्गापुर के निदेशक, प्रो.(डॉ.) हरीश हिरानी, एमएसएमई-डीआई, लुधियाना के उप-निदेशक श्री आर.के. परमारऔर पंजाब स्टेट एग्रीकल्चर इम्प्लीमैंट्स के अध्यक्षने 25 अगस्त 2020 को आयोजित एक वेबिनार में शामिल होते हुए कृषि मशीनरी के आयात के विकल्प के रूप में अनुसंधान और विकास कार्यप्रणाली को पुनर्निर्देशित करने पर विचार-विर्मश किया।
सीएसआईआर-सीएमईआरआई, दुर्गापुर के निदेशक प्रो.(डॉ.) हरीश हिरानी ने सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा विकसित कृषि मशीनीकरण, कृषि और फसल कटाई के बाद की तकनीकों पर गहन और विश्लेषणात्मक प्रस्तुति दी। डॉ. हिरानी ने कहा कि विज्ञान, अर्थशास्त्र और समाज का एक मिश्रण राष्ट्र के आर्थिक परिदृश्य को बदलने के लिए अद्भुत कार्य कर सकता है। उन्होंने हरित क्रांति के दौरान सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा विकसित स्वराज ट्रैक्टर से लेकर के कृषि पद्धतियों में बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित संगठित छोटे कृषि शक्ति ट्रैक्टर प्रौद्योगिकी की विकास यात्रा के विषय में भी जानकारी दी। अपनी प्रस्तुति के दौरान, डॉ. हिरानी ने सब्जियों के लिए सटीक प्लांटर, ऑर्केड्स के लिए ऑफसेट रोटावेटर से लेकर अक्षय ऊर्जा आधारित स्टैंड-अलोन कोल्ड स्टोरेज यूनिट, लीफ कलेक्टर सिस्टम और स्वचालित बायो-मास ब्रिकेटिंग प्लांट के लिए अभिनव कृषि प्रौद्योगिकी तकनीकों को प्रदर्शित किया।
किसानों की आय बढ़ाने और उनको उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए, सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने फसल कटाई के पश्चात की तकनीकें विकसित की हैं और मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर सहित पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में इन्हें स्थापित किया हैं। फसल कटाई के पश्चात की इन प्रसंस्करण तकनीकों का पूर्वोत्तर राज्यों में जबरदस्त सामाजिक-आर्थिक प्रभाव रहा है और इससे हजारों स्थानीय लोगों, विशेष रूप से महिलाओं को मुख्य आर्थिक गतिविधियों में शामिल होने में सहायता मिल रही है।
डॉ. हरीश हिरानी ने कहा कि ट्रैक्टर प्रौद्योगिकियों के इतिहास में एक क्रांतिकारी कदम के रूप में, सीएसआईआर-सीएमईआरआईसितंबर, 2020 के महीने में पहली पीढ़ी का ई-ट्रैक्टर पेश करेगा,जिसमें पूरे देश में वर्तमान डीजल-खपत वृद्धि वाली ट्रैक्टर उपयोग कार्यप्रणालियों में सुधार लाने की क्षमता है। डॉ. हिरानी ने सभी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगोंसे अपने अभिनव विचारों, अवधारणाओं और मौजूदा तकनीकों के साथ आगे आने का आग्रह किया ताकि सीएसआईआर-सीएमईआरआईके सहयोग और गहन विश्लेषणित टेक्नो-इकोनॉमिक्स के माध्यम से उन संभावित परिकल्पित प्रौद्योगिकी में और अधिक सुधार किया जा सकें। उन्होंने कहा कि भविष्य में कृषि कृत्रिम आसूचना और कुशल इलेक्ट्रॉनिक निर्माण द्वारा संचालित होगी और सीएसआईआर-सीएमईआरआई की अनुसंधान और विकास कार्यप्रणाली पहले से ही इस दिशा में कार्यरत है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई प्रौद्योगिकियों को खेतों में लगाए जाने के बाद, यदि उनमें नई उभरती चुनौतियों/बाधाओं के अनुसार और सुधार/संशोधन की आवश्यकता होती है, तो विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए प्रतिनियुक्त की गई वैज्ञानिकों की टीम द्वारा इन्हें पुनः तैयार/मूल्य-वर्धित किया जाएगा।
श्री बलदेव सिंह और श्री आर.के. परमार ने सीएसआईआर-सीएमईआरआई की प्रौद्योगिकी संभावनाओं पर अत्यधिक उत्साहजनक प्रतिक्रिया जताई। श्री बलदेव सिंह ने डॉ. हिरानी से क्षेत्र के भौगोलिक, मृदा और सामाजिक-आर्थिक मापदंडों के अनुसार पूरे देश में कृषक समुदाय के लिए पूर्व निर्धारित समाधानों के विकास के लिए सीएसआईआर-सीएमईआरआई के प्रयासों में और गति लाने का आग्रह किया।