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कोविड-19 से मुकाबला करने के लिए पीपीई और अन्य उत्पादों के निर्माण पर वेबिनार का आयोजन

देश-विदेश

नई दिल्ली: कोविड-19 से निपटने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी दोनों क्षेत्रों की ओर से लड़ाकू उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, घरेलू उद्योग को अपनी निर्माण क्षमताओं को बढ़ाने की आवश्यकता है। इस संबंध में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के सहयोग से सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) द्वारा आज एक वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसका नेतृत्व सचिव, रक्षा अनुसंधान विभाग (डीडी आरएंडडी) और अध्यक्ष, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) डॉ जी सतीश रेड्डी और अन्य हितधारकों द्वारा किया गया।

डॉ रेड्डी ने पूर्ण सत्र को संबोधित किया और महामारी का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रीय अभियान का समर्थन करते हुए कोविड-19 संबंधित चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन करने के लिए आगे बढ़कर आने के लिए उद्योग के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने पीपीई के लिए डीआरडीओ के नए डिजाइन की जानकारी प्रदान की और भरोसा दिलाया कि इसकी मांग करने वाले उद्योगों के साथ पूरी जानकारी साझा की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि पीपीई कपड़ों के पुनर्प्रयोग पर अनुसंधान और विकास के प्रयास किए जा रहे हैं। वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर, चश्में, परिक्षण किट, स्वैब और वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम (वीटीएम) के महत्वपूर्ण घटकों का स्वदेशीकरण करने के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं।

सचिव, डीडी आरएंडडी ने बताया कि वर्तमान समय में डीआरडीओ लगभग 15-20 उत्पादों को विकसित कर रहा है। उन्होंने कोविड-19 महामारी के रोकथाम के लिए नव विकसित उत्पादों के बारे में जानकारी दी जैसे कि यूवी सैनिटाइजेशन बॉक्स, हैंडहेल्ड यूवी डिवाइस, कोवसैक (कॉविड सैंपल कलेक्शन कियोस्क), फुट ऑपरेटेड फ्यूमिगेशन डिवाइस, टच फ्री सैनिटाइजर और फेस शील्ड इत्यादि।

संवाद सत्र के दौरान, उद्योगों द्वारा सामग्री, साधन, परीक्षण, सीलेंट और डीआरडीओ द्वारा विकसित नए उत्पादों के संबंध में कई प्रश्न पूछे गए। इन प्रश्नों को डीआरडीओ, दक्षिण भारत वस्त्र अनुसंधान संघ (सीट्रा) और अन्य संगठनों के पैनलिस्टों द्वारा संबोधित किया गया। उद्योगों द्वारा इन उपकरणों के उत्पादन के लिए सभी तकनीकी जानकारी डीआरडीओ में निशुल्क रूप से उपलब्ध हैं।

उन्होंने वेबिनार के सभी प्रतिभागियों के सफलता की कामना की और आश्वासन दिया कि संकट के इस घड़ी में डीआरडीओ और उद्योगों के बीच तकनीकी साझेदारी को और ज्यादा मजबूत किया जाएगा।

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