नई दिल्ली: पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने अध्यक्ष श्री लाभा राम गांधी के नेतृत्व में आज गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और उन्हें एक मांग-पत्र प्रस्तुत किया।
मांग-पत्र में जम्मू-कश्मीर में नागरिकता, जम्मू-कश्मीर में पुनर्वास के लिये विशेष पैकेज, राज्य चुनावों में मताधिकार और चुनाव लड़ने का अधिकार, जमीन का आबंटन, विशेष भरती, तकनीकी/व्यावसायिक संस्थानों में शिक्षा का अधिकार, एससी/ओबीसी प्रमाणपत्र प्रदान करना शामिल है। प्रतिनिधिमंडल ने पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों के लिये राहत आयुक्त को नियुक्त करने की भी मांग की ताकि उनकी शिकायतों को दूर किया जा सके।
प्रतिनिधिमंडल की भावनाओं की कद्र करते हुये श्री राजनाथ सिंह ने प्रतिनिधमंडल को आश्वस्त किया कि वे इस मामले को देखेंगे और आवश्यक कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने एक नोडल अधिकारी को नियुक्त किया है जो उनके दैनंदिन के विषयों को हल करने के लिये शरणार्थी समुदाय के साथ विशेष समन्वय स्थापित करेगा। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय एक उपयुक्त प्रावधान पर काम कर रहा है ताकि राज्य सरकारों द्वारा पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों को एससी/एसटी/ओबीसी प्रमाणपत्र जारी न करने सम्बंधी समस्याओं का निपटारा हो सके।
पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी जम्मू-कश्मीर में बसे हैं और वे भारत के नागरिक हैं और उन्हें संसदीय चुनाव में वोट देने का अधिकार है। हालांकि वे जम्मू-कश्मीर संविधान के संदर्भ में राज्य के स्थायी नागरिक नहीं हैं। उन्हें विधान सभा और स्थानीय निकायों के चुनावों में वोट देने का अधिकार नहीं है। जम्मू-कश्मीर में बसे पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों को जम्मू-कश्मीर के संविधान के दायरे में स्थायी निवासी का दर्जा प्रदान करने से उन्हें राज्य सरकार की नौकरियां प्राप्त करने, राज्य तकनीकी/व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश लेने और जम्मू-कश्मीर राज्य में जमीन/अचल सम्पत्ति खरीदने/प्राप्त करने में सुविधा होगी।
पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों के बच्चों को अर्ध सैनिक बलों में भरती करने का कोई अलग प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है। बहरहाल, इन बच्चों को जम्मू-कश्मीर सरकार के अधिकृत प्राधिकार द्वारा जारी आवासीय प्रमाणपत्र होने की शर्त के बिना केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में भरती के लिये अनुमति है। अन्य प्रमाणों में संसदीय मतदाता सूची में उनका नाम शामिल होने को भी उनके पश्चिमी पाकिस्तान का शरणार्थी होने के प्रमाण के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है। इसके अलावा गांव के नंबरदार/सरपंच द्वारा जारी प्रमाणपत्र को भी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और असम राइफल्स में जम्मू-कश्मीर के कोटे के तहत भरती के लिये स्वीकार किया जा सकता है। इन शरणार्थियों के बच्चे अर्ध सैनिक बलों में जम्मू-कश्मीर के लिये तय रिक्तियों के संदर्भ में आवेदन करने के योग्य हैं।
1947 में जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तानी हमले के मद्देनजर लगभग 5764 परिवार तत्कालीन पश्चिमी पाकिस्तान से विस्थापित हो गये थे और वे जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यतः जम्मू, कठुआ और रजौरी जिलों में रहते हैं।
पूर्वोत्तर राज्य विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह और गृह सचिव श्री राजीव महर्षि भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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