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क्या है धारा 188, जो गाजियाबाद में लॉकडाउन नहीं मानने वालों पर लगेगी

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में भी कोरोना वायरस से मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. उत्तर प्रदेश से कोरोना वायरस के कुल 13 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 5 का इलाज हो चुका है. कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र से आए हैं. महाराष्ट्र में कोरोना वायरस से 33 लोग संक्रमित हो गए हैं. इन हालातों को देखते हुए यूपी के कई जिलों को पूरी तरह लॉकडाउन कर दिया गया है.

गाजियाबाद में भी लॉकडाउन किया गया है. ऐसे में गाजियाबाद एसएसपी ने कहा है कि जो लोग लॉक डाउन नहीं मानेंगे, उन पर धारा 188 के तहत कार्रवाई होगी. जानिए इस धारा के बारे में. क्यों हैं ये महत्वपूर्ण और क्या हो सकती है सजा.

प्रशासन के लॉकडाउन के निर्देश का पालन नहीं करने वाले के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी. इस धारा के तहत तब कार्रवाई तब की जाती है जब प्रशासन कोई जरूरी आदेश जारी करता है और उसका पालन नहीं किया जाता.

इंडियन पीनल कोड (भारतीय दंड संहिता) की धारा 188 तब लागू की जाती है जब जिले के लोक सेवक (पब्ल‍िक सर्वेंट) जो कि एक आईएएस अफसर होता है, उसके द्वारा लागू विधान का उल्लंघन किया जाता है. ये सरकारी आदेश के पालन में बाधा और अवज्ञा के तहत आता है. जब प्रशासन की ओर से लागू किसी ऐसे नियम जिसमें जनता का हित छुपा होता है, कोई इसकी अवमानना करता है तो प्रशासन उस पर धारा 188 के तहत कार्रवाई कर सकता है.

ये होती है सजा

इस सेक्शन 188 को न मानने वालों पर एक माह के साधारण कारावास या जुर्माना या जुर्माने के साथ कारावास की सजा दोनों हो सकते हैं. ये जुर्माना 200 रुपये तक हो सकता है.

यही नहीं, अगर ये अवज्ञा मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा के लिए खतरे का कारण बनती है, या दंगे का कारण बनती है. तब ये सजा छह महीने के कारावास या 1000 रुपये जुर्माना हो सकती है. या दोनों चीजें एक साथ हो सकती हैं. इसमें ये जरूर देखा जाता है कि कहीं आरोपी का नुकसान पहुंचाने का इरादा तो नहीं था या नुकसान की संभावना के रूप में उसकी अवज्ञा पर विचार किया जाता है.

उदाहरण के लिए अगर किसी लोकसेवक ये निर्देश दिया है कि कोई धार्मिक जुलूस एक निश्चित सड़क से नीचे नहीं गुजरेगा. फिर भी कोई जानबूझकर आदेश की अवज्ञा करता है, और जिससे दंगे का खतरा होता है तो इस सेक्शन के खंड A ने इसे परिभाषित किया है.

कानूनी भाषा में समझें

इस धारा के अंतर्गत लोक सेवक द्वारा प्रख्यापित (Promulgated) किसी आदेश की अवज्ञा (Disobedience) करने वाले व्यक्ति को दण्डित करने का प्रावधान है. हालांकि कोर्ट ने एक मामले में कहा था कि केवल एक लोक सेवक द्वारा प्रख्यापित किसी आदेश की अवज्ञा करने भरने से किसी व्यक्ति को इस धारा के अंतर्गत दण्डित नहीं किया जाएगा, बल्कि यह दिखाया जाना जरूरी है कि आदेश की अवज्ञा के परिणामस्वरूप इस धारा के अंतर्गत बताये गए परिणाम सही साबित हो रहे हों. यानी अवज्ञा के चलते (A) विधिपूर्वक नियुक्त व्यक्तियों को बाधा (obstruction), क्षोभ (annoyance) या क्षति (injury), अथवा बाधा, क्षोभ या क्षति का जोखिम (risk) हो रहा हो, या व्यक्त‍ि की ऐसा करने की प्रवॄत्ति दिख रही हो. या (B) ये अवज्ञा मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा को संकट पहुंचाने वाली हो या ऐसी प्रवॄत्ति रखती हो, या उपद्रव या दंगा की वजह या प्रवृत्ति रखती हो, केवल तब ही इस धारा के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान किया जा सकता है.

बता दें कि उत्तर प्रदेश में भी कोरोना वायरस से मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. उत्तर प्रदेश से कोरोना वायरस के कुल 13 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 5 का इलाज हो चुका है. कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र से आए हैं. महाराष्ट्र में कोरोना वायरस से 33 लोग संक्रमित हो गए हैं.

लखनऊ में भी जिम-सिनेमा हॉल बंद

लखनऊ में भी जिला प्रशासन ने जिम, सिनेमा हॉल, मल्टीप्लेक्स, क्लब और स्वीमिंग पूल बंद करने का आदेश दिया है. प्रशासन ने 31 मार्च तक बंद रखने का आदेश जारी किया है. यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किए जा रहे हैं. आदेश का उल्लंघन करने आईपीसी की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी. Source आज तक

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