प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से एएमए,अहमदाबाद में जेन गार्डेन तथा काइजेन एकेडमी का उद्घाटन किया।
जेन गार्डेन और काइजेन एकेडमी के समर्पण को भारत-जापान संबंधों की सहजता और आधुनिकता का प्रतीक बताते हुए प्रधानमंत्री ने हाइगो प्रांत के नेताओं को विशेष रूप से गवर्नर तोशिज़ोडोऔर हाइगो इंटरनेशनल एसोसिएशन को जेन गार्डन और काइज़ेन एकेडमी की स्थापना में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने भारत-जापान संबंधों में नई ऊर्जा लाने के लिए इंडो-जापान फ्रेंडशिप एसोसिएशन ऑफ गुजरात की सराहना की।
‘ज़ेन’ और भारतीय ‘ध्यान’ के बीच समानताओं की ओर संकेत करते हुए प्रधानमंत्री नेदोनों संस्कृतियों में बाहरी प्रगति और विकास के साथ-साथ आंतरिक शांति पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीयों को इस ज़ेन गार्डन में उसी शांति, संतुलन और सादगी की झलक मिलेगी, जिसका उन्होंने युगों से योग में अनुभव किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि बुद्ध ने विश्व को यह ‘ध्यान‘ यह ज्ञान दिया। प्रधानमंत्री ने इसी प्रकार काइजेन के बाहरी और आंतरिक दोनों अर्थों पर प्रकाश डाला जो न केवल सुधार पर बल जोर देते हैं बल्कि निरंतर सुधार पर जोर देते हैं।
प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने गुजरात प्रशासन में काइज़ेन को लागू किया था। इसे 2004 में गुजरात में प्रशासनिक प्रशिक्षण में लागू किया गया था और 2005 में शीर्ष अधिकारियों के लिए एक विशेष प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया था।’निरंतर सुधार’ प्रक्रियाओं के परिमार्जन में दिखता था, जिसका शासन संचालन पर सकारात्मक प्रभाव हुआ। राष्ट्रीय प्रगति में शासन के महत्व को जारी रखते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री बनने के बाद वह गुजरात के काइज़ेन से जुड़े अनुभव को पीएमओ और केंद्र सरकार के अन्य विभागों में लेकर आए। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे प्रक्रियाएं सरल हुई हैं और कार्यालय स्थान इष्टतम हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के कई विभागों, संस्थानों और योजनाओं में काइजेन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने जापान के साथ अपने व्यक्तिगत जुड़ाव और जापान के लोगों के स्नेह,उनकी कार्य संस्कृति, कौशल और अनुशासन के लिए उनकी सराहना को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि उनका यह दावा कि “मैं गुजरात में मिनी-जापान बनाना चाहता था” ने जापान के लोगों की यात्रा के लिए गर्मजोशी की आकांक्षा को पूरा किया।
प्रधानमंत्री ने ‘वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन’ में जापान की उत्साहपूर्ण भागीदारी की चर्चा की। उन्होंने कहा कि ऑटोमोबील, बैंकिंग से लेकर निर्माण और फार्मा क्षेत्र तक की 135 से ज्यादा कंपनियों ने गुजरात को अपना आधार बनाया है। उन्होंने कहा कि सुजुकी मोटर्स, होंडा मोटरसाइकिल, मित्सुबिशी, टोयोटा, हिताची जैसी कंपनियां गुजरात में मैन्युफैक्चरिंग में लगी हैं। वे स्थानीय युवाओं के कौशल विकास में योगदान कर रही हैं। गुजरात में मैन्युफैक्चरिंग के लिए तीन जापान-भारत संस्थान तकनीकी विश्वविद्यालयों और आईआईटी के साथ सहयोग करके सैकड़ों युवाओं को कौशल प्रशिक्षण दे रहे हैं।इसके अलावाजेट्रो का अहमदाबाद बिजनेस सपोर्ट सेंटर एक साथ पांच कंपनियों को प्लग एंड प्ले वर्क-स्पेस सुविधा प्रदान कर रहा है। इससे कई जापानी कंपनियों को लाभ हो रहा है।प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि बारीकी से विवरण पर ध्यान देने के मामले के रूप में उन्होंने गुजरात में गोल्फ सुविधाओं में सुधार के लिए विशेष प्रयास किए जब अनौपचारिक चर्चा में उन्हें यह एहसास हुआ कि जापानी लोग गोल्फ से प्यार करते हैं।प्रधानमंत्री ने बताया कि उस समय गुजरात में गोल्फ कोर्स बहुत आम नहीं थे। आज गुजरात में कई गोल्फ कोर्स हैं। इसी तरह, गुजरात में जापानी रेस्तरां और जापानी भाषा का प्रसार हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने जापान की स्कूल प्रणाली पर आधारित गुजरात में स्कूलों का मॉडल बनाने की इच्छा भी जताई। उन्होंने जापान की स्कूल प्रणाली में आधुनिकता और नैतिक मूल्यों के मिश्रण की सराहना को रेखांकित किया। उन्हें टोक्यो के ताइमेई एलिमेंट्री स्कूल में अपनी यात्रा को याद किया।
श्री मोदी ने बल देते हुए कहा कि जापान के साथ हमें सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंधों का विश्वास है और भविष्य के लिए एक समान दृष्टिकोण भी है। उन्होंने जापान के साथ विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को मजबूत बनाने का संकेत दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय(पीएमओ) में जापान प्लस व्यवस्था के बारे में भी जानकारी दी।
जापान के नेतृत्व के साथ अपने व्यक्तिगत समीकरण का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिज़ो आबे की गुजरात यात्रा को याद किया। इस यात्रा ने भारत-जापान संबंधों को नई गति दी।उन्होंने जापान के वर्तमान प्रधानमंत्रीयोशिहिदे सुगा के साथ अपने साझा विश्वास के बारे में भी विस्तार से बताया और कहा कि महामारी के इस दौर में भारत-जापान की मित्रता वैश्विक स्थिरता और समृद्धि के लिए और भी महत्वपूर्ण हो गई है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि वर्तमान चुनौतियां की यह मांग है कि हमारी मित्रता और साझेदारी और अधिक प्रगाढ़ हो।
श्री मोदी ने भारत में काइज़ेन और जापानी कार्य संस्कृति को और अधिक विस्तार का भी आह्वान किया। उन्होंने भारत और जापान के बीच व्यापारिक संपर्क पर अधिक ध्यान देने को कहा।
श्री मोदी ने जापान और जापान के लोगों को टोक्यो ओलंपिक के लिए शुभकामनाएं दीं।