देहरादून: प्रदेश के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने मसूरी में आयोजित स्वच्छता प्रणाली विषय पर आयोजित कार्यशाला में कहा कि राज्य के लिए गैर नेटवर्क स्वच्छता प्रणाली विकसित किया जाएगा।
शहरी मामलों के राष्ट्रीय संस्थान, अखिल भारतीय स्थानीय स्वशासन संस्थान एवं राष्ट्रीय सुशासन केन्द्र, मसूरी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इसका लाभ उत्तराखण्ड में स्वच्छता प्रणाली को विकसित करने में मिलेगा।
उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के अधीन खुले मंे शौच को रोकने में हमें शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सफलता मिली है। खुले में शौच से मुक्ति की प्राप्ति की बाद मल-मूल अपशिष्ट का सुरक्षित निपटान भविष्य की चुनौती होगा। छोटे एवं मध्यम शहर, शहरी स्थानीय निकाय गहन केन्द्रीकृत सीवेज उपचार संयंत्र को लगाने में भारी धनराशि को खर्च करने में असमर्थ होंगे। असुरक्षित बिना उपचारित सेप्टिक टेंक के कारण मानव क्षति होने को भी संज्ञान में लेना होगा।
आने वाले दशक में उत्तराखण्ड एक शहरीकरण की दृष्टि से मुख्य राज्यों में से एक होगा। केन्द्रीय सीवर आधारित सफाई व्यवस्था उत्तराखण्ड के 6 नगर निगम, 31 नगर पालिका एवं 41 नगर पालिका पंचायतों में स्वच्छता प्रणाली प्रभावशाली रूप से स्थापित की जायेगी। उत्तराखण्ड शासन का शहरी मामलों के राष्ट्रीय संस्थान के साथ समझौता जिसमें विकेन्द्रीयकृत स्वच्छता सुझाव, मल एवं सेपटेज प्रबन्धन एवं क्षमता विकास के गठजोड़ से (एम.ओ.यू.) हो चुका है।
इस राष्ट्रीय कार्यशाला का ऐसे समय में आयोजित किया जाना जिसमे देश के सर्वोत्तम शहरों/जिलों से आये हुए प्रतिनिधियों के विचारों से कि कैसे उन्होंने अपने-अपने शहरों एवं जिलों को विकेन्द्रीयकृत एवं गैर नेटवर्क स्वच्छता प्रणाली खासतौर पर नीति निमार्ण, तकनीकी, नियम, वित्त एवं क्षमता निर्माण जैसे बिन्दुओं पर उत्तराखण्ड राज्य सीख ले सकता है।
यह विचार-विमर्श उत्तराखण्ड को गैर-नेटवर्क प्रणाली अपनाने के लिए अपनी रणनीति को अपनाने में मदद करेगा। ताकि सुरक्षित स्वच्छता सेवाओं के साथ 100 प्रतिशत आबादी प्रदान की जा सके।