देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि जलवायु संतुलन व जैव विविधता के संरक्षण में अपनी भूमिका निभाने के लिए उत्तराखण्ड हमेशा तत्पर रहा है। हमारी जैव विविधता मानवता की धरोहर है। मध्य हिमालयी राज्यों में उत्तराखण्ड ऐसा क्षेत्र है जिसपर उत्तरी भारत का जीवन प्रभावित होता है।
न्यू कैंट रोड़ स्थित सीएम आवास में पाक्षिक पत्रिका ‘‘चाणक्य वार्ता’’ के उत्तराखण्ड विशेषांक का विमोचन करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि देश व समाज के लिए उत्तराखण्ड पीछे नहीं रहेगा। परंतु पर्यावरण संरक्षण के दायित्वों के निर्वहन में उत्तराखण्ड को विकास परियोजनाओं में कई सीमाओ का पालन करना पड़ता है। इसलिए उत्तराखण्ड के लोग किस प्रकार बेहतर जीवनस्तर प्राप्त कर सकते हैं, उसमें सहयोग के लिए केंद्र को भी आगे आना चाहिए। हमारे सामने चुनौती है कि अपने सीमित संसाधनों का उपयोग करते हुए राज्य को किस प्रकार आगे ले जाएं।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रकृति ने हमें कठिनाईयां दी हैं तो उन कठिनाईयों से लड़ने का जज्बा भी दिया है। वर्ष 2013 की आपदा से उबरते हुए जिस प्रकार हमने शीर्ष राज्यों में स्थान बनाया है वह उत्तराखण्डवासियों के दृढ़ संकल्प का परिणाम है। हमारी प्रति व्यक्ति आय देश के औसत से कहीं ज्यादा है। हम समावेशी विकास के भी माॅडल राज्य हैं। हमारे पास बेहतर मानव संसाधन है, दृढ़ इच्छा शक्ति है।
इस अवसर पर प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती विमला बहुगुणा, पद्मश्री डा. श्याम सिंह शशि, समाजसेवी डा.एम फारूख, पत्रिका के एसपी त्रिपाठी, आदि उपस्थित थे।