लखनऊः मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु उत्तर प्रदेश, बिहार एवं मध्य प्रदेश में किये जा रहे प्रयासों उनमे और बेहतरी व एकरूपता लानें हेतु राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की पहल पर योजना भवन, लखनऊ में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। ‘‘तृतीय सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा के लिये क्षेत्रीय परामर्श विषयक’’ (Third Universal Periodic Review) इस कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, उत्तर प्रदेश सरकार तथा पुलिस महानिदेशक कार्यालय की मानवाधिकार इकाई द्वारा किया गया।
इसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के स्पेशल रिर्पोटियर श्री सुनील कृष्ण द्वारा की गई जिनके साथ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के संयुक्त निदेशक अनुसंधान सुश्री सविता भाखरी संयुक्त सचिव, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान श्री जे0एस0 कोचर की विशेष उपस्थिति रही। इस कार्यशाला दूसरे एवं अन्तिम दिन महिलाओं एवं बच्चों के अधिकारो तथा उनके संरक्षण की दिशा में किये जाने वाले प्रयासो पर विशेष रूप से चर्चा की गयी।
गृह सचिव, श्री कमल सक्सेना एवं श्री मणि प्रसाद मिश्रा द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस संबंध में किये गये प्रयासो की विस्तृत जानकारी दी गई। उत्तर प्रदेश सरकार ने महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ करने के साथ-साथ उनके उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने की दिशा में विशेष रूप से गंभीरता से प्रयास किये है। प्रदेश में 15 नवम्बर 2012 से महिलाओं की सहायता हेतु शुरू की गई ‘‘वीमेन पावर लाइन-1090’’ के अन्र्तगत 30 जून, 2016 तक की अवधि में 5 लाख 64 हजार से अधिक शिकायतें प्राप्त हुई जिनमे से 5 लाख 53 हजार से अधिक शिकायतों का निदान किया जा चुका है। इस सेवा ने महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाया है। महिलाओं को उत्पीड़न से राहत दिलाने के लिये पहली बार उनकी शिकायतों के आॅनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गयी है तथा पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में ‘‘महिला सम्मान प्रकोष्ठ’’ की भी स्थापना हुई है।
मानव तस्करी की घटनाओं को रोकने हेतु राज्य सरकार द्वारा किये गये प्रयासो की सराहना प्रदेश के बाहर ही नही अपितु विदेशों में भी हुयी है। संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा मानव तस्करी की रोकथाम हेतु किये जा रहे प्रयासो के संबंध में जारी वार्षिक आख्या “U.S. DEPARTMENT OF STATE”- द्वारा निर्गत “Trafficking in Persons Report 2016” में भी राज्य सरकार द्वारा की गयी पहल की प्रशंसा की गयी है। नेपाल में आयी दैवीय आपदा के दौरान प्रदेश सरकार द्वारा मानव तस्करी की घटनाओं की कड़ाई से रोकथाम हेतु सार्थक प्रयास किये गये। प्रदेश में स्थापित सभी 35 एंटी ह्यूमन ट्रैफिक्स को थाने का दर्जा दिया गया है। मुख्यमंत्री जी की घोषणा के तहत पुलिस व अन्य विभाग के लगभग 3 हजार से अधिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों को मानव तस्करी के विरूद्ध विशेष प्रशिक्षण वर्ष 2015-16 में (मई 2015 से फरवरी 2016 तक) कराकर स्पष्ट एक्शन प्लान को लागू किया गया।
लापता बच्चों की तलाश हेतु उत्तर प्रदेश से शुरू किये गये आॅपरेशन स्माइल एवं आॅपरेशन मुस्कान की सफलता को देखते हुये भारत सरकार द्वारा इसे पूरे देश में लागू किया गया। गत वर्ष उत्तर प्रदेश के 3 आईपीएस अधिकारियों सहित कई पुलिस कर्मियों को राष्ट्रीय स्तर पर भी पुरस्कृत कर सम्मानित भी किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश में गुण्डा एवं गैंगस्टर एक्ट में संशोधन कर मानव तस्करी के अपराध को भी इसकी परिधि में लाया गया है। उत्तर प्रदेश पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना के तहत एसिड अटैक तथा मानव तस्करी से पीड़ित व्यक्ति को क्षतिपूर्ति देने की व्यवस्था की गयी है। राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही रानी लक्ष्मीबाई योजना के बारे में भी जानकारी दी गयी।
अपर पुलिस महानिदेशक, राज्य मानवाधिकार आयोग श्रीमती तनुजा श्रीवास्तव ने भी इस संबंध में किये जाने वाले प्रयासो की विस्तार से जानकारी दी। अपर पुलिस महानिदेशक, विशेष जांच प्रकोष्ठ श्री चंद्र प्रकाश ने महिलाओ एवं बच्चों से संबंधित विशेषकर अनुसूचित जाति, जनजाति के व्यक्तियों अधिकारों की सुरक्षा एवं उनके उत्पीड़न को रोकने हेतु कानूनों में हुये नवीन संशोधनों से अवगत कराया।
कार्यक्रम के दौरान विभिन्न राज्यों में बच्चो की सुरक्षा एवं शिक्षा आदि हेतु किये जा रहे प्रयासो की जानकारी दी गयी तथा उनकी गुणवत्ता बढ़ाने संबंधी सुझाव दिये गये। इसके अलावा बच्चों के अधिकारों से जुड़ी अन्य चुनौतियों पर भी चर्चा की गयी। महिलाओं एवं बच्चो की सुरक्षा से जुड़े विभिन्न कानूनो के अनुपालन की वर्तमान स्थिति, कार्य स्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न, महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा की घटनाओ, बाल श्रम एवं घरेलू कार्यो हेतु बच्चों की तस्करी तथा उनके पुर्नवासन के प्रयासो आदि पर भी विचार विमर्श किया गया।
बिहार, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश राज्य में सिविल एवं पॉलीटिकल्स राइट्स, इकोनोमिक, सोशल एण्ड कल्चर राइट्स, महिलाओं, बच्चो एवं दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारो, अनुसूचित जाति, जनजाति व समाज के अन्य कमजोर तत्वो के उत्थान से जुड़े विभिन्न विभाग के अधिकारियों, राज्यों के मानवाधिकार आयोगो व अन्य आयोगो के प्रतिनिधियों, गैर सरकारी एवं सिविल सोसाइटी संगठनों, तकनीकी संस्थाओ के प्रतिनिधियों एवं विभिन्न क्षेत्रों मे कार्य करने वाले विषय विशेषज्ञो आदि ने विचार-विमर्श में भाग लिया तथा एक दूसरे के प्रयासों को सांझा किया। उनके द्वारा महत्वपूर्ण जानकारी देने के अलावा सुझाव भी रखे गये। उल्लेखनीय है कि कार्यशाला के प्रथम दिन नागरिक एवं राजनैतिक अधिकारांे, आर्थिक, सांस्कृतिक अधिकारों तथा महिला अधिकारों पर विशेष रूप से चर्चा की गयी थी।
कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के संयुक्त सचिव प्रशिक्षण एवं अनुसंधान श्री जे0एस0 कोचर ने कार्यक्रम के आयोजन एवं उसमें सहयोग हेतु योगदान करने वाले सभी अधिकारियों को धन्यवाद दिया। पुलिस अधीक्षक, मानवाधिकार श्री हरीश कुमार ने सभी आगंतुको के प्रति आभार व्यक्त किया।