नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने चेन्नई में करूर व्यास बैंक के शताब्दी समारोह में हिस्सा लिया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति महोदय ने बैंकों की अलाभकारी परिसंपत्तियों में बढ़ोतरी तथा मुनाफे में हो रही कमी की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने बताया कि अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों का सकल अग्रिमों के अलाभकारी अग्रिमों की मात्रा मार्च, 2015 के 10.90 प्रतिशत से बढ़कर मार्च, 2016 में 11.40 प्रतिशत हो गई है। सभी अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों द्वारा किए गए प्रोविजन मार्च, 2015 के 73,887 करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च, 2016 में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के दौरान 1,70,630 करोड़ रुपये तक पहुंच गए हैं। इसके फलस्वरूप व्यावसायिक बैंकों द्वारा ऋण संवितरण के लिए उपलब्ध संसाधन प्रभावित हुए हैं और यह वांछनीय स्थिति में नहीं है। भारत जैसी बढ़ रही अर्थ व्यवस्था में ऋण विस्तार की जरूरत है। कुल मिलाकर, भारतीय बैंकिंग क्षेत्र ने, विशेष रूप से आर्थिक संकट के दौरान अच्छा प्रदर्शन किया है और वह उन्हें बधाई देना चाहेंगे। बहरहाल, उन्हें एनपीए की स्थिति को लेकर विवेकपूर्ण बने रहना चाहिए।
राष्ट्रपति महोदय ने बैंकरों को कहा कि उन्हें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि वे जमाकर्ताओं के धन के ट्रस्टी हैं। यह उनकी पावन जिम्मेदारी है कि वे उनके धन की रक्षा करें जिन्होंने उनमें भरोसा जताया है।