लखनऊ: यूपी के सीएम अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच का झगड़ा सपा के लिए मुसीबत बन गया और सोमवार को लखनऊ में पार्टी के घर की रार सभी ने देखी। कहने के लिए तो यग झगड़ा पिछले एक-दो महीने से ही सामने आया लेकिन दोनों के बीच मनमुटाव कई साल पुराना है। चाचा-भतीजे के बीच झगड़े का घटनाक्रम डिंपल यादव की राजनीति में एंट्री के समय ही है। तब से अब तक एक के बाद एक कारण आते गए और झगड़ा बढ़ता ही गया…
1- डिंपल यादव की हार से तकरार
विधानसभा उपचुनाव में डिंपल यादव की हार के बाद अमर सिंह और शिवपाल यादव पर आरोपलगे। वहीं से चाचा-भतीजे का झगड़ा बढ़ने लगा था। फिरोजाबाद जैसी मजबूत सीट से डिंपल से 2009 में उपचुनाव हार गई थीं। 2009 में इसी सीट से जीतकर अखिलेश यादव सांसद बने थे। माना गया कि अखिलेश ने यह सीट छोड़ी तो जनता में नाराजगी दिखी और डिंपल को हार का सामना करना पड़ा।
2- सीएम पद पर टकराव
यूपी विधानसभा चुनाव में सपा को बहुमत हासिल हुआ तो मुलायम सिंह ने पुत्र को सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया। शिवपाल और कई अन्य बड़े नेताओं को पहले तो लगा कि प्रदेश की कमान भले ही अखिलेश को दी गई हो लेकिन असल सरकार नेताजी ही चलाएंगे। लेकिन धीरे-धीरे अखिलेश ने अपना प्रभाव बढ़ाते हुए अपने स्तर पर फैसले करने शुरू किए और पार्टी में भी अपना रुतबा बढ़ाना शुरू किया। यहीं से शिवपाल यादव और बाकी नेताओं की चिढ़ बढ़ने लगीं।
3- अमर सिंह की वापसी पर अखिलेश की आपत्ति
अमर सिंह की सपा में वापसी पर भी अखिलेश यादव ने आपत्ति जताई लेकिन पिता से लेकर चाचा तक सभी को उनकी आपत्ति नागवार गुजरी। अखिलेश के चाहने के बावजूद भी अमर सिंह को सम्मान सपा में वापस लाया गया।
4- मुख्तार अंसारी की पार्टी पर टकराव
मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के विलय के सवाल पर अखिलेश ने सख्त रुख अख्तियार किया तो विलय रद्द किया गया। तब से चाचा शिवपाल खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे थे। दरअसल, यूपी की सत्ता में एक अहम केंद्र होने के बावजूद शिवपाल को शायद इस विलय के न होने से सार्वजनिक रूप से शर्मिंदगी झेलनी पड़ी होगी।
5-ताजा झगड़ा
अंसारी की पार्टी के विलय पर विवाद के बाद शिवपाल ने ही सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया। उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा देने की भी चेतावनी दी। शिवपाल के आरोपों के हफ्ते भर बाद अखिलेश यादव ने पहले अपने दो मंत्रियों और फिर अगले ही दिन मुख्य सचिव दीपक सिंघल को हटा दिया, जो शिवपाल के करीबी माने जाते थे। बस इसके बाद तो आग मानो पूरी तरह सुलग गई और यूपी की सियासत में इस आग का धुआं और गुब्बार फैल गया।
साभार अमर उजाला
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