नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने मंगलवार को कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. 18 जुलाई को पंजाब कांग्रेस की कमान संभालने वाले 57 वर्षीय सिद्धू ने अचानक जिम्मेदारी छोड़कर सभी को चौंका दिया. उन्होंने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब पंजाब में विधानसभा चुनाव में 5 महीने से भी कम समय बचा है. आखिर सिद्धू ने क्यों इस्तीफा दिया, किस चीज से वे नाराज हो गए और इसका असर अब कांग्रेस पर किस तरीके से पड़ेगा?
सिद्धू के इस्तीफे का असर पंजाब कांग्रेस पर या राहुल गांधी के नेतृत्व क्षमता पर पड़ेगा, इसे समझने की कोशिश करते हैं. नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा पंजाब कांग्रेस के लिए ‘बम’ था. सूत्र बताते हैं कि पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से नाराज होकर सिद्धू ने इस्तीफा दिया है. नवजोत सिंह सिद्धू इस बात से नाराज थे कि सुखजिंदर सिंह रंधावा को गृह मंत्रालय आवंटित किया गया था. रंधावा मुख्यमंत्री की रेस में भी थे, लेकिन सिद्धू ने उनके नाम पर वीटो कर दिया था.
प्रशासन और कैबिनेट पर पकड़ चाहते थे सिद्धू!
सूत्रों के मुताबिक, नवजोत नहीं चाहते थे कि कोई दूसरा जट सिख अमरिंदर सिंह के बाद मुख्यमंत्री बने. इसलिए दलित सिख के नाम पर सहमति बनी और चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री बन गए. अमरिंदर सिंह भी जट सिख के मुद्दे पर सिद्धू के खिलाफ थे. उनका कहना था कि प्रदेश अध्यक्ष पद और मुख्यमंत्री पद दोनों जट सिख के पास नहीं होने चाहिए. वहीं सिद्धू राणा गुरजीत सिंह के मंत्री बनाए जाने से भी काफी नाराज थे. राणा गुरजीत का इस्तीफा अमरिंदर सिंह के कार्यकाल में हुआ था क्योंकि उनके ऊपर गैरकानूनी तरीके से बालू खनन के आरोप लगे थे.
सिद्धू के करीबी कहते हैं कि उन्हें कुलजीत सिंह नागरा को हटाए जाने से भी दिक्कत थी. वे चाहते थे कि नागरा मंत्रिमंडल में रहें. सूत्रों के अनुसार, उन्हें यह बात ठीक नहीं लगी कि विजय इंदर सिंगला को लोक निर्माण विभाग दिया गया. साथ ही सिद्धू ब्यूरोक्रेसी में ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर भी नाराज थे. यानी वे पंजाब के कैबिनेट बदलाव और प्रशासनिक फेरबदल में अपनी पूरी दखल रखना चाहते थे लेकिन चरणजीत सिंह चन्नी ने ये सारे फैसले खुद लिए.
पंजाब कांग्रेस के लिए बढ़ेगी दिक्कतें
सूत्र बताते हैं कि ये सारी वजहें नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे का कारण बनी हैं. सिद्धू पंजाब सरकार पर अपना पूरा नियंत्रण चाहते थे. लेकिन अब उनके इस्तीफे से कांग्रेस की दिक्कत बढ़ गई है. पंजाब कांग्रेस के सामने कई दिक्कतें हैं. सिद्धू के इस्तीफे के कुछ ही घंटे बाद रजिया सुल्ताना ने मंगलवार को राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री का पद छोड़ दिया. माना जा रहा है कि सिद्धू के करीबी और भी लोग इस्तीफा देंगे. इसके साथ-साथ कांग्रेस के भीतर भी ज्यादा समस्याएं आएंगी. अब कांग्रेस के पास ना सिद्धू हैं और ना ही अमरिंदर सिंह. यानी दो बड़े जट सिख चेहरे चुनाव के ठीक 4 महीने पहले गायब हो गए हैं.
अमरिंदर सिंह ने खुलकर तंज कसते हुए कह दिया है कि वे तो पहले से कह रहे थे कि सिद्धू गैरजिम्मेदार व्यक्ति हैं. इससे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा और जनता में संदेश जाएगा कि पंजाब कांग्रेस में अंतर्कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. इसके बाद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के फैसले पर भी सवाल उठने वाला है. सिद्धू के इस्तीफे से संकेत गया कि वे ऐसे आदमी को प्रोमोट कर रहे थे, जो जिम्मेदारी लेकर उसे निभा नहीं सकते. सिद्धू के इस्तीफे के बाद अकाली दल और आम आदमी पार्टी को भी ताकत मिलेगी.
डिस्क्लेमरः यह TV9 भारतवर्ष न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ श्रमजीवी जर्नलिस्ट टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.