देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रमुख वन संरक्षक को फारेस्ट सर्वे कर उनके अन्दर की बसासतो फाॅरेस्ट लेंण्ड एवं डिग्रेटेड फारेस्ट एरिया का विवरण उपलब्ध कराने को कहा है। फारेस्ट एरिया में बसे गांवों व तोको को आधार भूत सुविधायें उपलब्ध कराने के भी निर्देश उन्होंने दिए है।
रविवार को बीजापुर अतिथि गृह में वन विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि बिन्दुखता मालधन चैड, टोलिया गांव, वाडेखता जैसे गांवों में बड़ी बसासत हो गयी है। इसके साथ ही सड़क से लगे गांव व तोकों में बिजली, पानी, स्कूल व आने जाने के रास्तो के लिए निर्माण कार्यों में शिथिलता प्रदान की जाय। अधिकांश गोट व खते 75 साल से अधिक समय से स्थापित हैं। इन्हें राजस्व गांव घोषित करने की संभावनाएं भी तलासी जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने प्रमुख वन संरक्षक को यह भी निर्देश दिए कि इस संबंध में चीफ कंजरवेटर गढवाल व कुमांऊ के साथ नोडल आॅफिसर व संबंधित वनाधिकारी की शीघ्र बैठक बुलाकर इसकी नीति तैयार की जाए। फारेस्ट एक्ट के तहत इनके लिए क्या सुविधाएं दी जा सकती हैं, इसका भी विवरण उपलब्ध कराया जाए। इन क्षेत्रो में बिजली, पानी व रास्ते के निर्माण के लिए यदि धनराशि की जरूरत होगी तो वन विभाग को धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी। यदि भारत सरकार के स्तर पर कोई कार्यवाही अथवा मंजूरी लेनी होगी तो इसके लिए भी अनुरोध किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में यदि आवश्यक हुआ तो इन गोटो व खतों के निवासियों के हित से संबंधित प्रकरण कैबिनेट के समक्ष भी रखे जायेंगे।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वन क्षेत्र में बने तोक व खतों के निवासी वनों के हितेषी है, वे वनो को नुकसान नही पहुंचाते है। उन्होंने कहा कि अकेले रामनगर क्षेत्र के जंगल से सटे 24 ग्रामांे में से 08 गांव में अभी भी बिजली की सुविधा उपलब्ध नही हो पायी है। कई गांव व तोक तो 100 साल से यहा बसे है। वन विभाग चराई रजिस्टर अथवा अन्य अभिलेखो में इसकी पुष्टि कर सकता है। इन गांवों के निवासियों को आधारभूत सुविधाएं देना हमारा फर्ज बनता है, विभाग इस ओर ध्यान दें।
उन्होंने वन, कैम्पा, जायका व जलागम से जल संवर्द्धन के साथ ही सूअर रोधी दीवार व बन्दर वाडे बनाने की एकीकृत योजना बनाने को कहा। वनों मे मडुंआ, चैलाई आदि पत्ते दार पौधो के बीजों का रोपण किया जाए ताकि जगंली जानवरो को जंगल में ही चारा उपलब्ध हो जाए और वे गांवों की ओर न आए। वाटर वाडी बनाने से जंगलों में वनावरण बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। यही नही फारेस्ट के अन्दर किस प्रकार के चारा प्रजाति के वृक्ष हो सकते है, इसकी भी जानकारी रखी जाए। इससे मानव पशु संघर्ष भी कम होगा। वनों में अधिक से अधिक चैड़ी प्रजाति के वृक्षों के रोपण पर ध्यान देने की भी बात मुख्यमंत्री ने कही। वनो को गांव की गरीबी दूर करने का माध्यम बनाना होगा तभी गांव वाले वनो के सहयोगी बनेंगें, वनों को होने वाले नुकसान से बचाने में मददगार बनेंगें।
उन्होंने ग्रीन इंडिया के तहत मिलने वाली धनराशि के बेहतर उपयोग पर बल देते हुए कहा कि वनो को आग से बचाने के लिए समय पर कार्य योजना बनायी जाए। इसके लिए यदि धनराशि की जरूरत हुयी तो वह दी जायेगी। उन्होंने वनो व वन्य जीवों के बेहतर संरक्षण व वनो में अवैध गतिविधियों की रोकथाम के लिए संचालित वन मित्र सेवा का राज्य स्तर पर संचालित करने पर बल दिया, ताकि जनता द्वारा की गई शिकायतों पर त्वरित कार्यवाही की जा सकें।
उन्होंने वन भूमि स्थानान्तरण से संबंधित प्रकरणों में तेजी लाने व समयबद्धता के साथ कार्यवाही अमल में लाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर इस संबंध में यदि संबंधित विभाग को मैन पावर की जरूरत तो उसकी व्यवस्था भी राज्य सरकार द्वारा की जाएगी। यह प्रयास किया जाय कि सड़क व अन्य योजनाओं के निर्माण में बन भूमि की स्वीकृति शीघ्रता से प्राप्त हो जाए।
बैठक में राजस्व मंत्री यशपाल आर्या, प्रमुख वन संरक्षक एस.एस.शर्मा, उप प्रमुख वन संरक्षक जयराज, अपर सचिव वन मीनाक्षी जोशी, मुख्य वन संरक्षक कैम्पा परमजीत सिंह सहित रामनगर के विभिन्न खतो व तोको के प्रतिनिधि उपस्थित थे।