लखनऊ: हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) या हाई बीपी में शरीर की धमनियों में रक्तदाब बढ़ जाता है, जिससे हृदय को रक्त नलिकाओं में रक्त के संचरण के लिए सामान्य से ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। हाइपरटेंशन के दो प्रकार हैं, प्राइमरी और सेकेण्डरी 90 से 95 प्रतिशत लोग प्राइमरी हाइपटेंशन के शिकार होते हैं, जिसमें बीपी बढ़ने का कोई स्पष्ट चिकित्सकीय कारण नहीं होता है। बचे हुए 5 से 10 प्रतिशत सैकेंडरी। हाइपरटेंशन के शिकार बनते हैं, जो किडनी, धमनियों, हृदय या एंडोक्राइन की गड़बड़ी के कारण होता है।
हाइपरटेंशन से हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, में थोड़ी-सी भी बढ़ोत्तरी जीवनकाल को कम कर देती है। लक्षणों का पता देर से चलने के कारण इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है। एक सर्वे के अनुसार महानगरों के 27 प्रतिशत लोग हाइपरटेंशन के शिकार होते हैं।
अतः उम्र बढ़ने के साथ प्रत्येक इसे तीन से चार माह के अन्तराल में अपने रक्तचाप की जांच अनुभवी चिकित्सक से कराते रहें।